
Bihar Board Class10 Economics All Chapters Exercise Solutions : BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi : उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण
उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण अध्याय 7 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi
I सही विकल्प चुनें।
Q1: भारत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की घोषणा कब हुई?
[क] 1986
[ख] 1980
[ग] 1987
[घ] 1988
✔ सही उत्तर: 1986
कारण: भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में पारित किया गया था, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है।
कारण: भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में पारित किया गया था, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है।
Q2: उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
[क] 17 मार्च
[ख] 15 मार्च
[ग] 19 अप्रैल
[घ] 22 अप्रैल
✔ सही उत्तर: 15 मार्च
कारण: 15 मार्च को उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके।
कारण: 15 मार्च को उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके।
Q3: राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंo क्या है?
[क] 100
[ख] 1000-100
[ग] 1800-11-4000
[घ] 2000-11-4000
✔ सही उत्तर: 1800-11-4000
कारण: यह भारत सरकार द्वारा उपभोक्ताओं की सहायता के लिए दी गई टोल-फ्री हेल्पलाइन है।
कारण: यह भारत सरकार द्वारा उपभोक्ताओं की सहायता के लिए दी गई टोल-फ्री हेल्पलाइन है।
Q4: स्वर्णाभूषणों की परिशुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए किस मान्यता प्राप्त चिन्ह का होना आवश्यक है?
[क] ISI मार्क
[ख] हॉल मार्क
[ग] एगमार्क
[घ] इनमें से कोई नहीं
✔ सही उत्तर: हॉल मार्क
कारण: हॉलमार्क स्वर्ण आभूषणों की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिए अनिवार्य चिन्ह है।
कारण: हॉलमार्क स्वर्ण आभूषणों की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिए अनिवार्य चिन्ह है।
Q5: यदि किसी वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से अधिक तथा 1 करोड़ से कम है तो उपभोक्ता शिकायत करेगा?
[क] जिला फोरम
[ख] राज्य आयोग
[ग] राष्ट्रीय आयोग
[घ] इनमें से कोई नहीं
✔ सही उत्तर: राज्य आयोग
कारण: 20 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की उपभोक्ता शिकायतें राज्य आयोग में दर्ज की जाती हैं।
कारण: 20 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की उपभोक्ता शिकायतें राज्य आयोग में दर्ज की जाती हैं।
Q6: उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने के लिए आवेदन शुल्क कितना लगता है?
[क] 50 रु
[ख] 70 रु
[ग] 10 रु
[घ] कोई शुल्क नहीं
✔ सही उत्तर: कोई शुल्क नहीं
कारण: उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, ताकि सभी नागरिक आसानी से शिकायत दर्ज कर सकें।
कारण: उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, ताकि सभी नागरिक आसानी से शिकायत दर्ज कर सकें।
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BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi : उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण : Fill in the Blanks
सही और ग़लत कथन की पहचान करें।
Q1: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संक्षिप्त रूप में कोपरा (COPRA) कहते हैं।
✅ सही
❌ गलत
✔ सही उत्तर: सही
कारण: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संक्षेप में COPRA कहा जाता है।
कारण: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संक्षेप में COPRA कहा जाता है।
Q2: राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन टेलीफोन नंo 15,000 है।
✅ सही
❌ गलत
✔ सही उत्तर: गलत
कारण: सही हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 है।
कारण: सही हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 है।
Q3: भारत में ‘सूचना पाने का अधिकार 2005’ कानून बनाया गया।
✅ सही
❌ गलत
✔ सही उत्तर: सही
कारण: भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
कारण: भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
Q4: उपभोक्ता को खराब वस्तु या सेवा मिलने पर उत्पादक से मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
✅ सही
❌ गलत
✔ सही उत्तर: सही
कारण: उपभोक्ता को दोषपूर्ण वस्तु या सेवा के लिए मुआवजा पाने का अधिकार है।
कारण: उपभोक्ता को दोषपूर्ण वस्तु या सेवा के लिए मुआवजा पाने का अधिकार है।
Q5: ‘हॉलमार्क’ आभूषणों की गुणवत्ता को प्रमाणित करनेवाला चिन्ह है।
✅ सही
❌ गलत
✔ सही उत्तर: सही
कारण: हॉलमार्क आभूषणों की शुद्धता प्रमाणित करने वाला एक आधिकारिक चिन्ह है।
कारण: हॉलमार्क आभूषणों की शुद्धता प्रमाणित करने वाला एक आधिकारिक चिन्ह है।
BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi : उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण : Short Question Answer
लघु उत्तरीय प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi
Q1:
आप किसी खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदते समय कौन-कौन सी मुख्य बातों का ध्यान रखेंगे? बिन्दुवार उल्लेख करें।
उत्तर :
किसी खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदते समय अनेक मुख्य बातों को ध्यान में रखा जा सकता है।
• खाद्य पदार्थ के निर्माण में किन-किन अवयवों का उपयोग किया गया है।
• उस पदार्थ का वजन या परिमाण।
• खाद्य पदार्थ के निर्माता का नाम व पता।
• उसका निर्माण तिथि।
• इस्तेमाल की समाप्ति/निर्दिष्ट से पहले इस्तेमाल की तिथि।
• वह खाद्य पदार्थ पर निरामिष/सामिष चिन्ह अर्थात मांस रहित /मांस सहित खाद्य बताने वाला चिन्ह।
• स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक चेतावनी। इन सभी चीजों की जाँच करना आवश्यक हो जाता है।
• खाद्य पदार्थ के निर्माण में किन-किन अवयवों का उपयोग किया गया है।
• उस पदार्थ का वजन या परिमाण।
• खाद्य पदार्थ के निर्माता का नाम व पता।
• उसका निर्माण तिथि।
• इस्तेमाल की समाप्ति/निर्दिष्ट से पहले इस्तेमाल की तिथि।
• वह खाद्य पदार्थ पर निरामिष/सामिष चिन्ह अर्थात मांस रहित /मांस सहित खाद्य बताने वाला चिन्ह।
• स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक चेतावनी। इन सभी चीजों की जाँच करना आवश्यक हो जाता है।
Q2:
उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारों को लिखें।
उत्तर :
उपभोक्ता जागरण हेतु समय-समय पर अनेक नारे दिए गए है, जो निम्न है-
• जागो ग्राहक जागो।
• ग्राहक सावधान।
• अपने अधिकारों को पहचनों।
• सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
• उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करों।
• जागो ग्राहक जागो।
• ग्राहक सावधान।
• अपने अधिकारों को पहचनों।
• सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
• उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करों।
Q3:
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिससे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
उत्तर :
एक उपभोक्ता का शोषण अनेक कारणों से होता है, उनमें से कुछ कारण निम्न है-
1. मिलावट कर : महँगी वस्तुओं में अन्य चीजों का मिलावट करके उपभोक्ता का शोषण होता है।
2. कम तौल कर : वस्तुओं के माप में हेर-फेरी करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है।
3. कम गुणवत्तावली वस्तु : उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर कम गुणवत्ता वाली वस्तु देकर उसका शोषण होता है।
4. ऊँची कीमत द्वारा : ऊँची किमते वसूल करके भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
5. डुप्लीकेट वस्तुएँ : सही कम्पनी का डुप्लीकेट वस्तुएँ प्रदान करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है।
1. मिलावट कर : महँगी वस्तुओं में अन्य चीजों का मिलावट करके उपभोक्ता का शोषण होता है।
2. कम तौल कर : वस्तुओं के माप में हेर-फेरी करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है।
3. कम गुणवत्तावली वस्तु : उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर कम गुणवत्ता वाली वस्तु देकर उसका शोषण होता है।
4. ऊँची कीमत द्वारा : ऊँची किमते वसूल करके भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
5. डुप्लीकेट वस्तुएँ : सही कम्पनी का डुप्लीकेट वस्तुएँ प्रदान करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है।
Q4:
उपभोक्ता के रूप में बाजार में उनके कुछ कर्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर :
एक उपभोक्ता के रूप में बाजार में उसके अनेक कर्तव्य है, उनमें से कुछ निम्न है-
• जब भी वह कोई वस्तु खरीदे वह उस वस्तु रसीद अवश्य ले।
• वह उस वस्तु कि गुणवत्ता, ब्रांड, मात्रा, शुद्धता, मानक, माप-तौल की जाँच कर ले।
• वह उस वस्तु का निर्माण की तिथि तथा उपभोग की अंतिम तिथि कि जाँच कर ले।
• उस वस्तु एक गुणवत्ता के निशनों (जैसे: ISI मार्क, एगमार्क, बुलमार्क, हॉलमार्क आदि) की जाँच कर ले।
• और सबसे महत्वपूर्ण उस वस्तु के सही मूल्य की जाँच कर ले।
• जब भी वह कोई वस्तु खरीदे वह उस वस्तु रसीद अवश्य ले।
• वह उस वस्तु कि गुणवत्ता, ब्रांड, मात्रा, शुद्धता, मानक, माप-तौल की जाँच कर ले।
• वह उस वस्तु का निर्माण की तिथि तथा उपभोग की अंतिम तिथि कि जाँच कर ले।
• उस वस्तु एक गुणवत्ता के निशनों (जैसे: ISI मार्क, एगमार्क, बुलमार्क, हॉलमार्क आदि) की जाँच कर ले।
• और सबसे महत्वपूर्ण उस वस्तु के सही मूल्य की जाँच कर ले।
Q5:
उपभोक्ता कौन है? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर :
जब कोई व्यक्ति वस्तुओं एवं सेवाओं को अपने प्रयोग के लिए खरीदता है तब वह उपभोक्ता कहलाता है। यह बाजार व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है।
महात्मा गाँधी ने बहुत पहले ही उपभोक्ताओं के बारे में कहा था – “ग्राहक हमारी दुकान में अनेवाला सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है। वह हम पर निर्भर नहीं, हम उनपर निर्भर है।”
महात्मा गाँधी ने बहुत पहले ही उपभोक्ताओं के बारे में कहा था – “ग्राहक हमारी दुकान में अनेवाला सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है। वह हम पर निर्भर नहीं, हम उनपर निर्भर है।”
BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi : उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण : Long Question Answer
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 7 Solution in Hindi
Q1:
उपभोक्ता के कौन-कौन अधिकार हैं? प्रत्येक अधिकार को उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर :
उपभोक्ता के निम्नलिखित प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं-
(i) सुरक्षा का अधिकार : उपभोक्ता का प्रथम अधिकार, सुरक्षा का अधिकार है। इर अधिकार का सीधा संबंध बाजार से खरीदी जानेवाली वस्तुओं और सेवाओं से जुड़ा हुआ है उपभोक्ता को ऐसी वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या सम्पत्ति को हानि हो सकती है। जैसे- बिजली का आयरन विद्युत आपूर्ति की खराबी के कारण करंट मार देता है या एक डॉक्टर ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरतता है जिसके कारण मरील को खतरा या हानि होती है।
(ii) सूचना पाने का अधिकार : उपभोक्ता को वे सभी आवश्यक सूचनाएँ भी प्राप्त कर का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तु या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं। जैसे पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मूल्य, इस्तेमाल करने की अवधि, गुणवत्ता इत्यादि की सूचना प्राप्त करें।
(iii) चुनाव या पसंद करने का अधिकार : उपभोक्ता अपने अधिकार के अन्तर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्राण्ड, किस्म, गुणा, रूप, रंग, आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है।
(iv) सुनवाई का अधिकार : उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली सभी बातों को उपयुक्त मंचों के समक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है। उपभोक्ता को अपने मंचों के साथ जुड़कर अपने बातों को रखनी चाहिए।
(v) शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार : यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है कि क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं निकले तो उन्हें मुआवजा दिया जायेगा।
(vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार : उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार के अन्तर्गत किसी वस्तु के मूल्य, उसकी उपयोगिता, कोटि तथा सेवा की जानकारी तथा अधिकारों से ज्ञान प्राप्ति की सुविधा जैसी बातें आती हैं जिसके माध्यम से शिक्षित उपभोक्ता धोखाधड़ी या दगाबाजी से बचने के लिए स्वयं सबल संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं एवं उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं। इसलिए एक सजग उपभोक्ता बने रहने के लिए निरंतर शिक्षा पाने का अधिकार दिया गया है।
(i) सुरक्षा का अधिकार : उपभोक्ता का प्रथम अधिकार, सुरक्षा का अधिकार है। इर अधिकार का सीधा संबंध बाजार से खरीदी जानेवाली वस्तुओं और सेवाओं से जुड़ा हुआ है उपभोक्ता को ऐसी वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या सम्पत्ति को हानि हो सकती है। जैसे- बिजली का आयरन विद्युत आपूर्ति की खराबी के कारण करंट मार देता है या एक डॉक्टर ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरतता है जिसके कारण मरील को खतरा या हानि होती है।
(ii) सूचना पाने का अधिकार : उपभोक्ता को वे सभी आवश्यक सूचनाएँ भी प्राप्त कर का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तु या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं। जैसे पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मूल्य, इस्तेमाल करने की अवधि, गुणवत्ता इत्यादि की सूचना प्राप्त करें।
(iii) चुनाव या पसंद करने का अधिकार : उपभोक्ता अपने अधिकार के अन्तर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्राण्ड, किस्म, गुणा, रूप, रंग, आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है।
(iv) सुनवाई का अधिकार : उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली सभी बातों को उपयुक्त मंचों के समक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है। उपभोक्ता को अपने मंचों के साथ जुड़कर अपने बातों को रखनी चाहिए।
(v) शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार : यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है कि क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं निकले तो उन्हें मुआवजा दिया जायेगा।
(vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार : उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार के अन्तर्गत किसी वस्तु के मूल्य, उसकी उपयोगिता, कोटि तथा सेवा की जानकारी तथा अधिकारों से ज्ञान प्राप्ति की सुविधा जैसी बातें आती हैं जिसके माध्यम से शिक्षित उपभोक्ता धोखाधड़ी या दगाबाजी से बचने के लिए स्वयं सबल संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं एवं उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं। इसलिए एक सजग उपभोक्ता बने रहने के लिए निरंतर शिक्षा पाने का अधिकार दिया गया है।
Q2:
‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986’ की मुख्य विशेषताओं को लिखें।
उत्तर :
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
• यह सभी क्षेत्रों पर लागू होता है चाहे वह निजी क्षेत्र हो, सार्वजनिक क्षेत्र हो अथवा, सहकारिता का क्षेत्र हो।
• इस अधिनियम के प्रावधान प्रकृति से क्षतिपूरक हैं। दूसरे शब्दों में, यह अधिनियम उपभोक्ताओं को अन्य कानूनों में उपलब्ध निवारण के अतिरिक्त निवारण प्रदान करता है तथा उनमें से चुनाव उसकी स्वेच्छा पर निर्भर करता है।
• यह सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर लागू होता है जब तक कि केन्द्रीय सरकार ने विशेष छूट नहीं दी हो।
• सुरक्षा, सूचना, चयन, प्रतिनिधित्व, शिकायत निवारण एवं उपभोक्ता शिक्षा से संबंधित अधिकारों को उच्च स्थान प्रदान करता है।
• उपभोक्ता को कुछ अनुचित एवं पतिबंधात्मक व्यापार, कार्यवाहियों, सेवाओं में कमियों. अथवा बुराइयों एवं सेवाओं को रोक लेने पर रोक लगाने तथा बाजार से खतरनाक वस्तुओं को हटाने की मांग का अधिकार है।
• यह सभी क्षेत्रों पर लागू होता है चाहे वह निजी क्षेत्र हो, सार्वजनिक क्षेत्र हो अथवा, सहकारिता का क्षेत्र हो।
• इस अधिनियम के प्रावधान प्रकृति से क्षतिपूरक हैं। दूसरे शब्दों में, यह अधिनियम उपभोक्ताओं को अन्य कानूनों में उपलब्ध निवारण के अतिरिक्त निवारण प्रदान करता है तथा उनमें से चुनाव उसकी स्वेच्छा पर निर्भर करता है।
• यह सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर लागू होता है जब तक कि केन्द्रीय सरकार ने विशेष छूट नहीं दी हो।
• सुरक्षा, सूचना, चयन, प्रतिनिधित्व, शिकायत निवारण एवं उपभोक्ता शिक्षा से संबंधित अधिकारों को उच्च स्थान प्रदान करता है।
• उपभोक्ता को कुछ अनुचित एवं पतिबंधात्मक व्यापार, कार्यवाहियों, सेवाओं में कमियों. अथवा बुराइयों एवं सेवाओं को रोक लेने पर रोक लगाने तथा बाजार से खतरनाक वस्तुओं को हटाने की मांग का अधिकार है।
Q3:
उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली(त्रिस्तरीय प्रणाली) को विस्तार से समझाएँ।
उत्तर :
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था की गयी है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है
• राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग
• राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग
• जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)
उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान अथवा उपभोक्ता-विवादों के निपटारे हेतु सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है जिसमें ‘जिला मंचों’, ‘राज्य आयोग’ एवं ‘राष्ट्रीय आयोग’ की स्थापना की गयी है।
यह न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी एवं व्यावहारिक है। इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को त्वरित (जल्दी) एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है और समय एवं धन की बचत होती है। जिस तरह आदालतों में मुकदमे दायर होते हैं उसी तरह उनकी सुनवाई की होती है। पहले शिकायत जिला फोरम में की जाती है। शिकायतकर्ता अगर संतुष्ट नहीं है, तो मामला को राज्य फोरम फिर राष्ट्रीय फोरम में ले जा सकता है। पुनः अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।
• राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग
• राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग
• जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)
उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान अथवा उपभोक्ता-विवादों के निपटारे हेतु सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है जिसमें ‘जिला मंचों’, ‘राज्य आयोग’ एवं ‘राष्ट्रीय आयोग’ की स्थापना की गयी है।
यह न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी एवं व्यावहारिक है। इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को त्वरित (जल्दी) एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है और समय एवं धन की बचत होती है। जिस तरह आदालतों में मुकदमे दायर होते हैं उसी तरह उनकी सुनवाई की होती है। पहले शिकायत जिला फोरम में की जाती है। शिकायतकर्ता अगर संतुष्ट नहीं है, तो मामला को राज्य फोरम फिर राष्ट्रीय फोरम में ले जा सकता है। पुनः अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।
Q4:
दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरतों का वर्णन करें।
उत्तर :
(i) व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ अर्जित करना है किन्तु कुछ व्यापारी अधिक लाभ कमाने की इच्छा से उपभोक्ताओं का शोषण करने लगे जिसके कारण एक ऐसे तंत्र की आवश्यकता महसूस हुई जिससे उपभोक्ता के हितों की रक्षा की जा सके।
(ii) कभी-कभी उपभोक्ता व्यापारियों के द्वारा अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है। उसे चुकाये गये मूल्य के बराबर वस्तु अथवा सेवा प्राप्त नहीं होती। यहाँ तक कि कभी-कभी उसे मिलावट की वस्तुएँ प्राप्त होती हैं जिससे उसे अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उसे उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है।
(ii) कभी-कभी उपभोक्ता व्यापारियों के द्वारा अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है। उसे चुकाये गये मूल्य के बराबर वस्तु अथवा सेवा प्राप्त नहीं होती। यहाँ तक कि कभी-कभी उसे मिलावट की वस्तुएँ प्राप्त होती हैं जिससे उसे अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उसे उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है।
Q5:
‘मानव अधिकार’ के महत्त्व पर लिखें।
उत्तर :
हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्चतम संस्था है जो मानवीय अधिकारों की रक्षा और उनके अधिकार से संबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। इस संस्था को राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था कहते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि इसके अध्यक्ष भारत के उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश होते हैं। इसी तरह देश के प्रत्येक राज्य में एक राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है जो देश के नागरिकों के अधिकारऔर सुरक्षा संबंधी बातों को देखती है। विगत दिनों इस आयोग के कार्यों को देखने से पता लगता है कि यह अति संवेदनशील है। अतः कहा जा सकता है कि मानवाधिकार आयोग का बहुत अधिक महत्व है। इसके अन्तर्गत मानवीय अधिकारों का संरक्षण होता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि इसके अध्यक्ष भारत के उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश होते हैं। इसी तरह देश के प्रत्येक राज्य में एक राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है जो देश के नागरिकों के अधिकारऔर सुरक्षा संबंधी बातों को देखती है। विगत दिनों इस आयोग के कार्यों को देखने से पता लगता है कि यह अति संवेदनशील है। अतः कहा जा सकता है कि मानवाधिकार आयोग का बहुत अधिक महत्व है। इसके अन्तर्गत मानवीय अधिकारों का संरक्षण होता है।
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