BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-2 Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-2 Solution

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BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-2 Solution व्याख्या और important Objectives

इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी की काव्य पुस्तक “गोधूली” के द्वितीय अध्याय “प्रेम अयनि श्री राधिका” के काव्य की व्याख्या, सभी प्रश्नों के समाधान (Solutions), महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions) और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों ( Objective Questions) को विस्तार से देखने वाले हैं। यह अध्याय श्री राधा जी के प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक भावनाओं पर आधारित है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अनन्य भक्ति और समर्पण का सुंदर चित्रण मिलता है।
इस अध्याय के सभी प्रश्नोत्तरों एवं व्याख्याओं का PDF भी आप निशुल्क डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। PDF लिंक नीचे उपलब्ध है, जिससे आप इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं।

रसखान का संक्षिप्त परिचय

अध्याय – 2 प्रेम- अयनि श्री राधिका
पूरा नाम सैयद इब्राहिम (रसखान)
काल रीतिकालीन भक्त कवि (जहाँगीर का राज्यकाल)
जन्म 1548 ई० (अनुमानित)
जन्म स्थान दिल्ली (पठान राजवंश)
मृत्यु 1628 ई० (अनुमानित)
धार्मिक दीक्षा गोस्वामी विट्ठलनाथ से ‘पुष्टिमार्ग’ की दीक्षा
भाषा ब्रजभाषा
प्रमुख रचनाएँ प्रेमवाटिका, सुजान रसखान
रचनात्मक विशेषता सवैया छंद में सिद्धहस्त, कृष्ण की लीलाओं का अद्भुत काव्य-गान, सहज और प्रवाहमयी शैली
विशेषता सूफी हृदय के कृष्ण भक्त, सम्प्रदायमुक्त कवि, प्रेम और भक्ति के अद्वितीय गायक
सम्मान भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने इनकी भक्ति व भावनाओं की अत्यधिक प्रशंसा की

व्याख्या

प्रेम- अयनि श्री राधिका

प्रेम-अयनि श्री राधिका, प्रेम-बरन नँदनंद।
प्रेम-बाटिका के दोऊ, माली-मालिन-द्वन्द्व।।
मोहन छबि रसखानि लखि अब दृग अपने नाहिं।
अँचे आवत धनुस से छूटे सर से जाहिं।।

व्याख्या – रसखान कवि कहते हैं कि रसखान कवि कहते हैं कि राधिका प्रेम का खजाना और श्रीकृष्ण (नंद के बेटा) प्रेम का रूप है। प्रेम रूपी बाग में दोनों माली-मालीन के जैसे हैं। एक बार श्रीकृष्ण का रूप देख लेने के बाद दूसरा रूप देखने का मन नहीं करता है। अर्थात आँखें इन्हीं दोनों को देखती रहती है। रसखान ने जब से कृष्ण के छवि को देखा है। उसका नयन अपना नहीं है। क्षण भर के लिए आते हैं और जैसे धनुष से बाण छूटता है, उसी प्रकार आते-जाते रहते हैं।

मो मन मानिक लै गयो चितै चोर नँदनंद।
अब बे मन मैं का करूँ परी फेर के फंद।।
प्रीतम नन्दकिशोर, जा दिन तै नैननि लग्यौ।
मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।

व्याख्या – मेने मन को श्रीकृष्ण ने चूरा लिया है। जिसके कारण अब मैं बेमन हो गया हूँ। मेरा मन इच्छा रहित हो गया है। मैं श्रीकृष्ण के प्रेम की जाल में बुरी तरह फंस गया हूँ। लेखक अपनी अपनी विवशता प्रकट करते हुए कहते हैं कि जिस दिन सें मैंने प्रेमी श्रीकृष्ण को देखा हूँ, उसने मेरा मन चुरा लिया है। हर पल कृष्ण एवं राधा की सुदंरता को बिना पलक झपकाए देखते रहते हैं।

करील के कुंजन ऊपर वारौं

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर की तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवोनिधि को सुख नन्द की गाइ चराई बिसारौं।।

व्याख्या – कवि रसखान अपने दिल की अभिलाषा प्रकट करते हुए कहते हैं कि अगर श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल मिल जाए तो मैं तीनों लोक के राज्य का त्याग कर दूँगा। अगर केवल नंद बाबा की गाय चराने को मिल जाए, जिसे कृष्ण चराते थे तो आठों सिध्दियाँ और नौ निधियों के सुख को भी भूला दूँगा।

रसखानी कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बनबाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक रौ कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।

व्याख्या – कवि का कहना है कि जब से मेरी आँखों ने ब्रज के जंगलों, निकुंजों (वन-वाटिका या फुलवारी या उपवन), तालाबों तथा करील (एक प्रकार की काँटेदार झाड़ी), के सघन कुँजों (झाड़ियों, लताओ आदि से घिरा स्थान; वह जगह जहाँ लताएँ छाई हों) को देखा है, तब से यही इच्छा होती है कि ऐसे मनोहर उपवनों की सुन्दरता के सामने करोड़ों महल बहुत नीच प्रतीत होते हैं। अर्थात ऐसे कीमती महल को छोड़कर कृष्ण जहाँ रासलीला करते थे, वहीं निवास करूँ।

बोध और अभ्यास प्रश्न

कविता के साथ

Q1: कवि ने माली-मालिन किन्हें और क्यों कहा है?
उत्तर : कवि ने माली-मालिन कृष्ण और राधा को कहा है। क्योंकि कवि राधा-कृष्ण के प्रेममय युग को प्रेम भरे नेत्र से देखा है। यहाँ प्रेम को वाटिका मानते हैं और उस प्रेम-वाटिका के माली-मालिन कृष्ण-राधा को मानते हैं। वाटिका का विकास माली-मालिन की कृपा पर निर्भर है। अतः कवि के प्रेम वाटिका को पुष्पित पल्लवित कृष्ण और राधा के दर्शन ही कर सकते हैं।
Q2: द्वितीय दोहे का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर : प्रस्तुत दोहे में सवैया छन्द में भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अत्यन्त मार्मिक है। सम्पूर्ण छन्द में ब्रजभाषा की सरलता, सहजता और मोहकता देखी जा रही है। कहीं-कहीं तद्भव और तत्सम के सामासिक रूप भी मिल रहे हैं। कविता में संगीतमयता की धारा फूट पड़ी है। अलंकार योजना से दृष्टांत अलंकार के साथ अनुप्रास एवं रूपक का समागम प्रशंसनीय है।
Q3: कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है? कवि का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर : कवि कृष्ण और राधा के प्रेम में मनमुग्ध हो गये हैं। उनके मनमोहक छवि को देखकर मन पूर्णतः उस युगल में रम जाता है। इन्हें लगता है कि इस देह से मन रूपी मणि को कृष्ण ने चुरा लिये हैं। चित्त राधा-कृष्ण के युगल जोड़ी में लग चुका है। अब लगता है कि यह शरीर मन एवं चित्त रहित हो गया है। इसलिए चित्त हरने वाले कृष्ण को चोर कहा गया है। उनकी मोहनी मूरत मन को इस प्रकार चुराती है कि कवि अपनी सुध खो बैठते हैं। केवल कृष्ण ही स्मृति पटल पर अंकित रहते हैं और कुछ भी दिखाई नहीं देता है।
Q4: सवैये में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती हियाँ? भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर : प्रेम-रसिक कवि रसखान द्वारा रचित सवैये में कवि की आकांक्षा प्रकट हुई है। इसके माध्यम से कवि कहते हैं कि कृष्ण लीला की छवि के सामने अन्यान्य दृश्य बेकार हैं। कवि कृष्ण की लकुटी और कामरिया पर तीनों लोकों का राज न्योछावर करने देने की इच्छा प्रकट करते हैं। नन्द की गाय चराने की कृष्ण लीला का स्मरण करते हुए कहते हैं कि उनके चराने में आठों सिद्धियों और नवों निधियों का सुख भुला जाना स्वाभाविक है। ब्रज के वनों के ऊपर करोड़ों इन्द्र के धाम को न्योछावर कर देने की आकांक्षा कवि प्रकट करते हैं।

Q5: व्याख्या करें :

(क) मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौ।
उत्तर : प्रस्तुत दोहे में कवि राधिका के माध्यम से श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित हो जाना चाहता है। जिस दिन से श्रीकृष्ण से आँखें चार हुई उसी दिन से सुध-बुध समाप्त हो गई। पवित्र चित्त को चुराने वाले श्रीकृष्ण से पलक हटाने के बाद भी अनायास उस मुख छवि को देखने के लिए विवश हो जाती है। वस्तुतः यहाँ कवि बताना चाहता है कि प्रेमिका अपने प्रियतम को सदा अपने आँखों में बसाना चाहती है।

(ख) रसखानी कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बनबाग तड़ाग निहारौं
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा रचित हिंदी पाठ्य-पुस्तक के “करील में कुंजन ऊपर वारों” पाठ से उद्धत है। प्रस्तुत पंक्ति में कवि ब्रज पर अपना जीवन सर्वस्थ न्योछावर कर देने की भावमयी विदग्धता मुखरित करते हैं। कवि इसमें ब्रज की बागीचा एवं तालाब की महत्ता को उजागर करते हुए निरंतर उसकी शोभा देखते रहने की आकांक्षा प्रकट करते हैं।

प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि ब्रज की बागीचा एवं तालाब अति सुशोभित एवं अनुपम हैं। इन आँखों से उसकी शोभा देखते बनती है। कवि कहते हैं कि ब्रज के वनों के ऊपर, अति रमनीय, सुशोभित मनोहारी मधुवन के ऊपर इन्द्रलोक को भी न्योछावर कर दूँ तो कम है। ब्रज के मनमोहक तालाब एवं बाग की शोभा देखते हुए कवि की आँखें नहीं थकती, इसकी शोभा निरंतर निहारते रहने की भावना को कवि ने इस पंक्ति के द्वारा बड़े ही सहजशैली में अभिव्यक्त किया है। कवि को कृष्ण-लीला स्थल के कण-कण से प्रेम है। कृष्ण की सभी चीजें उन्हें मनोहारी लगती हैं।

भाषा की बात

1. समास-निर्देश करते हुए निम्नलिखित पदों को विग्रह करें-
प्रेम-अयनि, प्रेमबरन, नंदनंद, प्रेमबाटिका, माली-मालिन, रसखान, चितचोर, मानमानिक, बेमन, नवनिधि, आठहुँसिद्धि, बनबाग, तिहूँपुर
उत्तर:

पद समास का प्रकार विग्रह
प्रेम-अयनितत्पुरुषप्रेम की अयन (गति/मार्ग)
प्रेमबरनतत्पुरुषप्रेम का रंग
नंदनंदद्विगु/कर्मधारयनंद का पुत्र
प्रेमबाटिकातत्पुरुषप्रेम की बाड़ी (उपवन/निकुंज)
माली-मालिनद्वंद्वमाली और मालिन
रसखानकर्मधारयरस का खान (रस से परिपूर्ण)
चितचोरकर्मधारयचित्त चुराने वाला
मानमानिककर्मधारयमान का मणि
बेमनबहुव्रीहिजिसका मन नहीं
नवनिधिद्विगुनौ निधियाँ
आठहुँसिद्धिद्विगुआठों सिद्धियाँ
बनबागद्वंद्व/कर्मधारयवन और बाग
तिहूँपुरद्विगुतीनों नगर

2. निम्नलखित के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखें-
राधिका, नंदनंद, नैन, सर, आँख, कुंज, कलधौत
उत्तर:

राधिकाराधावृंदावनीगोपिका
नंदनंदकृष्णश्यामयशोदनंदन
नैननेत्रलोचनदृग
सरतालसरोवरजलाशय
आँखनेत्रनयनचक्षु
कुंजनिकुंजबागउपवन
कलधौतभ्रमरमधुकरभौंरा

3. कविता से क्रियारूपों का चयन करते हुए उनके मूल रूप को स्पष्ट करें।
उत्तर:

कहैकहना
जानतजानना
मरैमरना
रोयरोना
आवतआना
जातजाना
पढ़िपढ़ना
भए (भय)होना
कियौकरना

शब्द निधि

अयनि : गृह, खजाना
बरन : वर्ण, रंग
दृग : आँख
अँचे : खींचे
सर : वाण
मटि : मति, बुद्धि
मानिक : (माणिक्य) रत्न विशेष
चितै : देखकर
कामरिया : कंबल, कंबली
तिहूँपुर : तीनों लोक
बिसारौं : विस्मृत कर दूँ, भुला दूँ
तड़ाग : तालाब
कलधौत : इंद्र
वारौं : न्योछावर कर दूँ
कुंजन : बगीचा (कुंज का बहुवचन)
क्रमांक अध्याय
1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा
3 अति सुधो सनेह को मारग है
4 स्वदेशी
5 भारतमाता
6 जनतंत्र का जन्म
7 हिरोशिमा
8 एक वृक्ष की हत्या
9 हमारी नींद
10 अक्षर – ज्ञान
11 लौटकर आऊँगा फिर
12 मेरे बिना तुम प्रभु

रसखान का संक्षिप्त परिचय :

रसखान का जन्म सन् 1548 ई. में माना जाता है और उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था। सन् 1628 ई. के आसपास उनकी मृत्यु हुई। इनके जीवन से जुड़ी सटीक जानकारियाँ उपलब्ध नहीं हैं, किन्तु उनके ग्रंथ ‘प्रेमवाटिका’ (1610 ई.) से संकेत मिलता है कि वे दिल्ली के पठान राजवंश में उत्पन्न हुए और इनका रचनाकाल मुगल सम्राट जहाँगीर के शासनकाल में था। जब दिल्ली पर मुगलों का अधिकार हुआ और पठान वंश पराजित हुआ, तब वे दिल्ली छोड़कर ब्रजभूमि आ गए और यहाँ कृष्णभक्ति में तल्लीन हो गए।

इनके हृदय में वैष्णव धर्म के गहन संस्कार विद्यमान थे। प्रारम्भ में माना जाता है कि वे सांसारिक रस-रंजित प्रेम के भक्त थे, पर बाद में अलौकिक प्रेम की ओर आकृष्ट होकर भक्तिमार्ग को अपनाया। ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ से यह भी ज्ञात होता है कि गोस्वामी विट्ठलनाथ ने उन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षा दी।

रसखान के दो प्रमुख ग्रंथ हैं — ‘प्रेमवाटिका’ और ‘सुजान रसखान’. प्रेमवाटिका में प्रेम-निरूपण संबंधी रचनाएँ हैं, जबकि सुजान रसखान में श्रीकृष्ण की भक्ति तथा ब्रजभूमि की महत्ता का सुन्दर वर्णन मिलता है। रसखान ने कृष्ण की लीलाओं का मुख्‍यत: सवैया छंद में वर्णन किया और वे सवैया छंद के सिद्धहस्त कवि माने जाते हैं।

उनके सवैये सरस, सहज और प्रवाहमय हैं — जिनमें ब्रजभाषा की मधुरता स्पष्ट झलकती है। रसखान की रचनाओं में उल्लास, मादकता और उत्कटता का अनोखा समन्वय दिखाई देता है। उनकी कविताओं की मार्मिकता दृश्यों और आन्तरिक भावनाओं के संयोजन तथा ध्वनि-प्रवाह की माधुर्य से उत्पन्न होती है।

रसखान न केवल ब्रजियाई रस-भरे कवि थे, बल्कि वे सम्प्रदायमुक्त कृष्ण भक्त कवि भी माने जाते हैं। उनकी रचनाएँ जन-मन में इतनी लोकप्रिय हुईं कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था — “इन मुसलमान हरिजनन पै, कोटिन हिन्दू वारिये।”

सारतः, रसखान हिंदी साहित्य के ऐसे लोकप्रिय जातीय कवि हैं जिनकी रचनाओं ने राधा-कृष्ण के प्रेम-परक आदर्शों तथा भक्तिमूलक भावों को अत्यन्त सुलभ और मार्मिक भाषा में प्रस्तुत किया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

नीचे इस अध्याय से संबंधित कुल 40 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं। ये प्रश्न अध्याय के गहन अध्ययन के आधार पर तैयार किए गए हैं तथा इनमें से कई प्रश्न पिछले वर्षों की मैट्रिक परीक्षा से भी लिए गए हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करने से आपको परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलेगी और यह समझने में आसानी होगी कि परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
1. रसखान का मूल नाम क्या था?
(A) इब्राहिम सैयद
(B) सैयद इब्राहिम
(C) इब्राहिम खान
(D) सैयद रशीद

2. रसखान का जन्म कब माना जाता है?
(A) 1528 ई.
(B) 1548 ई.
(C) 1568 ई.
(D) 1588 ई.

3. रसखान का निधन लगभग कब हुआ?
(A) 1618 ई.
(B) 1628 ई.
(C) 1638 ई.
(D) 1648 ई.

4. रसखान के जीवन का रचनाकाल किस मुगल शासक के समय था?
(A) बाबर
(B) अकबर
(C) जहाँगीर
(D) शाहजहाँ

5. रसखान किस काल के कवि हैं?
(A) आदिकाल
(B) भक्तिकाल
(C) रीतिकाल
(D) आधुनिक काल

6. रसखान का रचनाकाल था-
(A) शाहजहाँ का शासन काल
(B) जहाँगीर का शासन काल
(C) हुमायूँ का शासन काल
(D) अकबर का शासन काल

7. रसखान की प्रमुख रचनाएँ कौन-सी हैं?
(A) प्रेमवाटिका और सुजान रसखान
(B) सूरसागर और प्रेमवाटिका
(C) सुजान रसखान और गीता गंगा
(D) इनमें से कोई नहीं

8. ‘प्रेमवाटिका’ मुख्यतः किस प्रकार की रचना है?
(A) भक्ति सम्बन्धी
(B) प्रेम निरूपण सम्बन्धी
(C) नीति सम्बन्धी
(D) इतिहास सम्बन्धी

9. ‘प्रेमवाटिका’ किसकी रचना है?
(A) भारतेन्दु की
(B) रसखान की
(C) घनानंद की
(D) प्रेमघन की

10. रसखान को किस मार्ग में दीक्षा मिली थी?
(A) जैन मार्ग
(B) पुष्टिमार्ग
(C) रजस्त्र मार्ग
(D) नाथ मार्ग

11. रसखान दिल्ली से कहाँ चले गए?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) ब्रजभूमि
(D) वाराणसीं

12. रसखान का हृदय किस धर्म के संस्कार से पूर्ण था?
(A) जैन धर्म
(B) वैष्णव धर्म
(C) बौद्ध धर्म
(D) शैव धर्म

13. रसखान ने कृष्ण की लीलाओं का वर्णन मुख्यतः किस छंद में किया?
(A) Doha
(B) सवैया
(C) ग़ज़ल
(D) छप्पय

14. रसखान के सवैये की भाषा है-
(A) ब्रज भाषा
(B) अवधी भाषा
(C) पूर्वी भाषा
(D) खड़ी बोली

15. रसखान की भाषा शैली में क्या प्रमुख है?
(A) संस्कृत की कठोरता
(B) ब्रजभाषा की मधुरता
(C) फारसी शब्दों का अत्यधिक प्रयोग
(D) हिंदी व्याकरण की शुद्धता

16. रसखान की रचनाओं में किसका अनोखा समन्वय दिखाई देता है?
(A) ज्ञान और नीति
(B) उल्लास, मादकता और उत्कटता
(C) इतिहास और भूगोल
(D) धर्म और राजनीति

17. रसखान न केवल ब्रजियाई रस-भरे कवि थे, बल्कि किसके भी कवि माने जाते हैं?
(A) रामभक्त
(B) सम्प्रदायमुक्त कृष्ण भक्त
(C) शिवभक्त
(D) सूरदास

18. कवि रसखान किस पर सैकड़ों इन्द्रलोक को न्योछावर करने की बात करते हैं?
(A) करील की कुंजों पर
(B) बलराम पर
(C) गोपियों पर
(D) राधा पर

19. ‘सुजान रसखान’ किनकी रचना है?
(A) सुजान की
(B) रसखान की
(C) मियाजान की
(D) निरस की

20. “इन मुसलमान हरिजनन पै, कोटिन हिन्दू वारिये।” किसने कहा था?
(A) घनानंद
(B) भारतेन्दु हरिश्चंद्र
(C) सूरदास
(D) रहीम

21. कवि ने माली-मालिन किसे कहा है?
(A) शंकर-पार्वती
(B) गणेश-लक्ष्मी
(C) कृष्ण-राधा
(D) राम-सीता

22. कवि रसखान ने ‘प्रेम अयनि’ किसे कहा है?
(A) यशोदा को
(B) गोपियों को
(C) राधा को
(D) प्रेमिका को

23. ‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ के कवि हैं-
(A) रसखान
(B) भारतेन्दु
(C) घनानंद
(D) गुरुनानक

24. कवि ‘करील के कुंजन’ किस पर अर्पण करने की अभिलाषा प्रकट करते हैं?
(A) नन्द पर
(B) राम पर
(C) विठ्ठलनाथ पर
(D) कृष्ण पर

25. गोस्वामी विठ्ठलनाथ ने किस भक्त कवि को पुष्टिमार्ग की दीक्षा दी?
(A) कबीर
(B) गुरुनानक
(C) रसखान
(D) घनानंद

26. कवि रसखान चितचोर किसे कहा है?
(A) कृष्ण को
(B) राम को
(C) नन्द को
(D) विठ्ठलनाथ को

27. कृष्ण भक्त कवि है-
(A) गुरुनानक
(B) रसखान
(C) घनानंद
(D) प्रेमघन

28. कवि रसखान किस भाषा के कवि है?
(A) पंजाबी
(B) अवधी
(C) अंगिका
(D) ब्रजभाषा

29. ‘प्रेम अयनि श्री राधिका’ किनकी रचना है?
(A) गुरुनानक
(B) प्रेमघन
(C) रसखान
(D) घनानंद

30. ‘प्रेमवाटिका’ किस प्रकार की रचना है?
(A) भक्ति संबंधी
(B) प्रेम निरूपण संबंधी
(C) आत्मज्ञान संबंधी
(D) इनमें से कोई नहीं

31. ‘रसखान’ ने प्रेमवाटिका की रचना कब की थी?
(A) 1605
(B) 1610
(C) 1615
(D) 1620

32. कवि रसखान का रचनाकाल किस मुगल शासक का राज्यकाल था?
(A) बाबर
(B) हुमायूँ
(C) अकबर
(D) जहाँगीर

33. कवि ने ‘प्रेम-अयनि श्री राधिका’ शीर्षक कविता में माली-मालिन किसे कहा?
(A) राम-सीता को
(B) शंकर-पार्वती को
(C) राधा-कृष्ण को
(D) गणेश-लक्ष्मी को

34. कवि रसखान के किस ग्रंथ में कृष्ण की भक्ति संबंधी रचनाएँ हैं?
(A) प्रेमवाटिका में
(B) सुजान रसखान में
(C) उपर्युक्त दोनों में
(D) इनमें से कोई नहीं

35. गोस्वामी विठ्ठलनाथ ने किस भक्त कवि को पुष्टिमार्ग की दीक्षा दी?
(A) कबीर
(B) गुरुनानक
(C) रसखान
(D) घनानंद

36. “इन मुसलमान हरिजनन पै कोटिन हिन्दू वारियै” किस कवि के लिए कहा गया है?
(A) कबीरदास
(B) मलिक मुहम्मद जायसी
(C) रहीम
(D) रसखान

37. कवि रसखान ने किस पर सैकड़ों इन्द्रलोक को न्योछावर करने की बात की?
(A) करील की कुंजों पर
(B) बलराम पर
(C) गोपियों पर
(D) राधा पर

38. रसखान की रचनाओं में उल्लास, मादकता और उत्कटता किसके साथ समन्वित हैं?
(A) ज्ञान और नीति
(B) सृजन और सौंदर्य
(C) इतिहास और भूगोल
(D) धर्म और राजनीति

39. रसखान ने कृष्ण-लीला का गान किस रूप में किया?
(A) पदों में
(B) घनाक्षरी में
(C) दोहों में
(D) सवैयों में

40. रसखान को किस क्षेत्र में मुख्यतः भक्ति-रस के कवि माना जाता है?
(A) रामभक्ति
(B) कृष्णभक्ति
(C) शिवभक्ति
(D) गंगाभक्ति

निष्कर्ष :

ऊपर आपने बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिन्दी पुस्तक “गोधूली भाग 2” के काव्यखंड के दूसरे अध्याय “प्रेम-अयनि श्री राधिका” की व्याख्या, बोध-अभ्यास, महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ा। यह अध्याय न केवल आपकी परीक्षा की दृष्टि से सहायक है बल्कि जीवन के लिए भी प्रेरणादायी सीख देता है। हमें उम्मीद है कि यह सामग्री आपके अध्ययन को और सरल व प्रभावी बनाएगी। यदि किसी प्रश्न या समाधान को लेकर आपके मन में कोई शंका हो, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं या सीधे हमसे संपर्क करें। हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। संपर्क करें
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