BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-5 Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-5 Solution

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Bihar Board 10th Hindi Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-5 Solution व्याख्या और important Objectives

इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी की काव्य पुस्तक “गोधूली” के पाँचवें अध्याय “भारतमाता” के काव्य का व्याख्या, सभी प्रश्नों के समाधान (Solutions), महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions) और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Questions) को विस्तार से देखने वाले हैं। यह काव्य हमें स्वदेशी अपनाने, भारतीय भाषा और संस्कृति पर गर्व करने का संदेश देती है।
बिहार बोर्ड के छात्र/छात्राएँ इस पोस्ट को पूरा अंत तक पढ़े। इसके पढ़ने से इस अध्याय के सभी डाउट खत्म हो जाएँगे और आप बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में बहुत मददगार होगा। साथ ही आप सभी इस अध्याय के सभी प्रश्नोत्तरों एवं व्याख्याओं का PDF भी आप निशुल्क डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। PDF लिंक नीचे उपलब्ध है, जिससे आप इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं।

सुमित्रानंदन पंत जी का संक्षिप्त परिचय

अध्याय 5 भारतमाता
पूरा नाम सुमित्रानंदन पंत
काल छायावाद युग
जन्म 20 मई 1900 ई.
जन्म स्थान कौसानी, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)
माता का नाम सरस्वती देवी
मृत्यु 29 दिसंबर 1977 ई.
प्रमुख काव्य कृतियाँ उच्छ्वास, पल्लव, वीणा, ग्रंथि, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्णधूलि, स्वर्णकिरण, युगपथ, चिदंबरा
अन्य रचनाएँ नाटक, आलोचना, कहानी, उपन्यास आदि
विशेषता छायावादी कवि, प्रकृति और मानव सौंदर्य के प्रेमी, उदार मानवतावादी, नवीन प्रयोगकर्ता, कलात्मक सूझ से सम्पन्न, समाजवाद और अरविन्द दर्शन की ओर आकृष्ट
सम्मान भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968, ‘चिदंबरा’ के लिए)

व्याख्या

भारतमाता

1. “भारतमाता ग्रामवासिनी
खेतों में फैला है श्यामल
धूल-भरा मैला-सा आँचल
गंगा-यमुना में आँसू-जल
मिट्टी की प्रतिमा
उदासिनी !”

व्याख्या – यहाँ कवि भारत माता को गाँवों में रहने वाली माँ के रूप में देखता है। उनका आँचल हरियाली से भरा तो है, लेकिन उसमें गरीबी और धूल भी मिली हुई है। गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियाँ उनकी आँखों के आँसू बन गई हैं। मिट्टी की प्रतिमा की तरह उदास भारतमाता अपने बच्चों की स्थिति से दुखी दिखाई देती है।

2. “दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग-युग के तम से विषण्ण मन,
वह अपने घर में
प्रवासिनी !”

व्याख्या – कवि बताते है कि भारतमाता की नज़र दैन्यता और गरीबी से झुकी हुई है। उनके होंठों पर सदियों से मौन रोदन छिपा है। गुलामी और अज्ञानता के अंधकार से उनका मन दुःखी है। वह अपने ही घर यानी भारत में पराई सी हो गई हैं।

3. “तीस कोटि सन्तान नग्न तन,
अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्रजन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक
तरु-तल निवासिनी !”

व्याख्या – भारत माता की संताने (जनता) उस समय भूखी, नग्न, शोषित और निरस्त्र थीं। वे गरीब, अशिक्षित और असभ्य बनी हुई थीं। उनके पास रहने के लिए उचित घर भी नहीं थे और पेड़ों के नीचे रहते थे।

4. “स्वर्ण शस्य पर-पद-तल लुंठित,
धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रन्दन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु ग्रसित
शरदेन्दु हासिनी !”

व्याख्या – भारत की धरती सोना उगाती थी, लेकिन वह विदेशियों के पैरों तले लुट जाती थी। भारत माता सहनशील और दबे मन की प्रतीक बनी रहीं। उनके चेहरे पर दुःख छिपा हुआ मौन मुस्कान थी, जैसे राहु से ग्रसित शरद ऋतु का चाँद।

5. “चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित,
नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित,
आनन श्री छाया-शशि उपमित,
ज्ञान मूढ़
गीता प्रकाशिनी !”

व्याख्या – भारत माता की भौंहें चिंता से तनी हुई हैं। उनकी आँखें आँसुओं से भरी हुई हैं। उनका चेहरा चाँद की छाया-सा उज्ज्वल है। गीता जैसे महान ज्ञान के बावजूद लोग अज्ञानता और मूढ़ता में फँसे हुए हैं।

6. “सफल आज उसका तप संयम,
पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,
हरती जन-मन-भय,भव-तम-भ्रम,
जग-जननी
जीवन-विकासिनी !”

व्याख्या – अब कवि कहता है कि भारत माता की तपस्या और संयम रंग ला रही है। उन्होंने अपने बच्चों को अहिंसा का अमृत पिलाया है। वे संतानों के भय और अज्ञान के अंधकार को दूर करती हैं। भारत माता संपूर्ण जगत को जीवन और विकास देने वाली जननी हैं।

[Note] : इस कविता में पंत जी ने भारत माता की व्यथा, ग्रामीण जीवन की सच्चाई, निर्धनता, सहिष्णुता, उसके आदर्श और उत्क्रमण की शक्ति दर्शायी है। अंग्रेज़ी शासनकाल और सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों की पीड़ा को मार्मिक चित्रण के साथ संजोया गया है। हर पंक्ति राष्ट्र की वास्तविकता, उसके संघर्ष, और भावनाओं को एक गहरे संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है।

बोध और अभ्यास

कविता के साथ

Q1: कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि भारतमाता का कैसा चित्र प्रस्तुत करता है ?
उत्तर : प्रथम अनुच्छेद में कवि ने भारतमाता का सजीव और भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया है।
गाँवों में बसनेवाली भारतमाता आज धूल-धूसरित और शस्य-श्यामला न रहकर उदासीन हो गई है। उसका आँचल मैला हो गया है। गंगा और यमुना के जल प्रदूषित हो गए हैं। उसकी मिट्टी में पहले जैसी प्रतिमा और यश नहीं है। आज वह दुःखी और उदास प्रतीत होती है।
Q2: भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है ?
उत्तर : भारत को अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीरों में जकड़ रखा था। इस देश पर अंग्रेजों की हुकूमत कायम थी और यहाँ की जनता के पास कोई अधिकार नहीं था। अपने ही घर में रहते हुए परायों के आदेश मानना उनकी विवशता बन गई थी। परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी और समय के कुचक्र में फंसी भारतमाता चुपचाप अपने पुत्रों पर किए जाने वाले अत्याचार को देख रही थी। यहाँ की धरती दूसरों के अधीन थी और भारतमाता के पुत्र स्वतंत्र रूप से विचरण नहीं कर सकते थे। इसलिए कवि ने परतंत्रता की इस स्थिति को दर्शाते हुए कहा है कि भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बन गई है।
Q3: कविता में कवि भारतवासियों का कैसा चित्र खींचता है ?
उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवि ने दिखाया है कि परतंत्र भारत की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई थी। अंग्रेजों ने सुसंपन्न, सभ्य और शिक्षित भारत को निर्धनता और दीनता की स्थिति में ला दिया था। परतंत्र भारतवासियों को नंगे रहना पड़ता था और भूखे पेट जीवन यापन करना पड़ता था। यहाँ की तीस करोड़ जनता शोषित, पीड़ित, मूढ़, असभ्य, अशिक्षित और निर्धन थी, जो वृक्षों के नीचे निवास करती थी। कवि ने इस दीन और पीड़ित अवस्था की यथार्थता को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है। अर्थात् तात्कालीन भारतीय मूढ़, असभ्य, निर्धन, अशिक्षित और क्षुधित हो चुके थे।
Q4: भारतमाता का हास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है ?
उत्तर : बार-बार विदेशी आक्रमण और लूटपाट के कारण भारतमाता का चित्र ह्रासित दिखाई देता है। मुगलों के बाद अंग्रेजों ने भारत को लूटना और दबाना शुरू कर दिया। आज यह देश अन्य आक्रमणकारियों के द्वारा रौंदा और शोषित हो रहा है। जिस तरह धरती सभी प्रकार की आपदाएँ सहन करती है, उसी तरह भारतमाता भी विदेशी अत्याचार, उपद्रव और उत्पीड़न को सहज भाव से सहन करती है। जैसे चंद्रमा अनायास राहु से प्रभावित हो जाता है, वैसे ही यह धरती भी विदेशी आक्रमणकारियों जैसे राहु से प्रभावित हो जाती है।
Q5: कवि भारतमाता को गीता प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञानमूढ़ क्यों कहता है ?
उत्तर : भारत कभी सत्य, अहिंसा, मानवता और सहिष्णुता का प्रतीक था और यह पूरे विश्व को इन गुणों का पाठ पढ़ाता था। किन्तु अब इस क्षितिज पर अज्ञानता, लूटखसोट, बेरोजगारी और अलगाववाद जैसी समस्याएँ फैल चुकी हैं। भारतमाता का मुखमंडल पहले की तरह सुशोभित नहीं रहा और उसका प्रभाव धरती और आकाश पर भी दिखाई पड़ता है। आज सर्वत्र अंधविश्वास और अज्ञानता का साम्राज्य व्याप्त है। इसी कारण कवि ने भारतमाता को ज्ञानमूढ़ कहा है।
Q6: कवि की दृष्टि में आज भारतमाता का तप-संयम क्यों सफल है ?
उत्तर : विदेशियों द्वारा बार-बार भारत को अपमानित और दीन-हीन करने के बावजूद भारतमाता की सहृदयता और सहनशीलता अडिग बनी हुई है। यह आज भी अहिंसा का पाठ पढ़ाती है, लोगों के भय को दूर करती है और सबकुछ खो देने के बाद भी अपने संतान में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की शिक्षा देती है। यही भारतमाता के तप का परिणाम है कि उसकी संतान आज भी सहिष्णु और संयमी बने हुए हैं।
Q7: व्याख्या करें:
(क) स्वर्ण शस्य पर-पद-तल लुंठित, धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित
(ख) चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित, नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित
उत्तर : (क) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य के सुमित्रानंदन पंत रचित ‘भारत माता’ पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ने परतंत्र भारत का साकार चित्रण किया है। भारतीय ग्राम के खेतों में उगे हुए फसल को भारत माता के श्यामला शरीर के रूप में मानते हुए कवि ने कहा है कि भारत की धरती पर सुनहरा फसल सुशोभित है और वह दूसरे के पैरों तले रौंद दिया गया है।

प्रस्तुत व्याख्येय में कवि ने कहा है कि भारत पर अंग्रेजी हुकूमत कायम हो गयी है। यहाँ के लोग अपने ही घर में अधिकार विहीन हो गये हैं। पराधीनता के चलते यहाँ की प्राकृतिक शोभा भी उदासीन प्रतीत हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि कवि की स्वर्णिम फसल पैरों तले रौंद दी गयी है और भारत माता का मन सहनशील बनकर कुंठित हो रही है। इसमें कवि ने पराधीन भारत की कल्पना को मूर्त रूप दिया है।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य के ‘भारत माता’ पाठ से उद्धृत है जो सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित है। इसमें कवि ने भारत का मानवीकरण करते हुए पराधीनता से प्रभावित भारत माता के उदासीन, दुःखी एवं चिंतित रूप को दर्शाया है।

प्रस्तुत व्याख्येय में कवि ने चित्रित किया है कि गुलामी में जकड़ी भारत माता चिंतित है, उनकी भृकुटि से चिंता प्रकट हो रही है, क्षितिज पर गुलामी रूपी अंधकार की छाया पड़ रही है, माता की आँखें अश्रुपूर्ण हैं और आँसू वाष्प बनकर आकाश को आच्छादित कर लिया है। इसके माध्यम से परतंत्रता की दुःखद स्थिति का दर्शन कराया गया है। पराधीन भारत माता उदासीन है इसका बोध कराने का पूर्ण प्रयास किया गया है।

भाषा की बात

1. कविता के हर अनुच्छेद में विशेषण का संज्ञा की तरह प्रयोग हुआ है। आप उनका चयन करें एवं वाक्य बनाएँ ।
उत्तर : ग्रामवासिनी – ग्रामवासिनी, अंग्रजों की अत्याचार से त्रस्त थे।
श्यामल – उसका श्यामल वर्ण फीका हो गया है।
मैला – उसका आँचल मैला हो गया।
दैन्य – उसका दैन्य देखने में बनता है।
नत – उसका मस्तक नत है।
नीरव – नंदी नीरव गति से बह रही है।
विषण्ण – उसका हृदय विषण्ण है।
क्षुधित – क्षुधित मनुष्य कौन-सा पाप नहीं करता है।
चिर – चीर चिर है।
मौन – उसने मौन व्रत रखा है।
चिंतित – उसकी चिंतित मुद्राएँ अनायास आकर्षित करती हैं।

2. निम्नांकित के विग्रह करते हुए समास स्पष्ट करें
ग्रामवासिनी, गंगा-यमुना, शरदेन्दु, दैन्यजड़ित, तिमिरांकित, वाष्पाच्छादित, ज्ञानमूढ़, तपसंयम, जन-मन-भय, भव-तम-भ्रम
उत्तर : ग्रामवासिनी – ग्राम में वास करने वाली → तत्पुरुष समास
गंगा-यमुना – गंगा और यमुना → द्वंद्व समास
शरदेन्दु – शरद ऋतु का चन्द्रमा → तत्पुरुष समास
दैन्यजड़ित – दैन्य से जड़ित → तत्पुरुष समास
तिमिरांकित – तिमिर से आंकि्त (ढका हुआ) → तत्पुरुष समास
वाष्पाच्छादित – वाष्प से आच्छादित → तत्पुरुष समास
ज्ञानमूढ़ – ज्ञान से मूढ़ (अंधा) → तत्पुरुष समास
तपसंयम – तप और संयम → द्वंद्व समास
जन-मन-भय – जन और मन का भय → द्वंद्व समास
भव-तम-भ्रम – भव और तम का भ्रम → द्वंद्व समास

3. कविता से तदभव शब्दों का चयन करें ।
उत्तर: भारतमाता, ग्रामवासिनी, खेतों, मैला, आँसू, मिट्टी, उदासीनी, रोदन, थार, तीस, मूढ़, निवासिनी, चिंतित।

4. कविता से क्रियापद चुनें और उनका स्वतंत्र वाक्य प्रयोग करें ।
उत्तर: नत – उसका मस्तक नत है।
फैला – प्रकाश फैल गया।
क्रंदन – उसका क्रंदन सुनकर हृदय द्रवित हो गया।
पिला – उसने उसे अमृत पिला दिया।
धरती – धरती सबका संताप हरती है।

शब्द निधि

श्यामल : साँवला
दैन्य : दीनता, अभाव, गरीबी
जड़ित : स्थिर, चेतनाहीन
नत : झुका हुआ
चितवन : दृष्टि
चिर : पुराना, स्थायी
नीरव : निःशब्द, ध्वनिहीन
तम : अंधकार
विषण्ण : (विषाद से निर्मित विशेषण) विषादमय
प्रवासिनी : विदेशिनी, बेगानी
क्षुधित : भूखा
निरस्त्रजन : निहत्थे लोग
शस्य : फसल
तरु-तल : वृक्ष के नीचे
पर-पद-तल : दूसरों के पाँवों के नीचे
लुंठित : रौंदा जाता हुआ
सहिष्णु : सहनशील
कुंठित : रुका हुआ, रुद्ध, गतिहीन
क्रंदन : रुदन, रोना
अधर : होठ
स्मित : मुस्कान
शरदेन्दु : शरद ऋतु का चन्द्रमा
भृकुटि : भौंह
तिमिरांकित : अंधकार से घिरा हुआ
नमित : झुका हुआ
वाष्पाच्छादितः भाप से ढँका हुआ
आनन-श्री : मुख की शोभा
शशि-उपमितः चंद्रमा से उपमा दी जानेवाली
स्तन्य : स्तन का दूध

क्रमांक अध्याय
1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2 प्रेम-अयनि श्री राधिका
3 अति सुधो सनेह को मारग है
4 स्वदेशी
6 जनतंत्र का जन्म
7 हिरोशिमा
8 एक वृक्ष की हत्या
9 हमारी नींद
10 अक्षर – ज्ञान
11 लौटकर आऊँगा फिर
12 मेरे बिना तुम प्रभु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

नीचे इस अध्याय से संबंधित कुल 35 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं। ये प्रश्न अध्याय के गहन अध्ययन के आधार पर तैयार किए गए हैं तथा इनमें से कई प्रश्न पिछले वर्षों की मैट्रिक परीक्षा से भी लिए गए हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करने से आपको परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलेगी और यह समझने में आसानी होगी कि परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
1. ‘युगवाणी’ किनकी रचना है?
(A) महादेवी वर्मा
(B) सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (C) सुमित्रानंदन पंत

2. सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब हुआ था?
(A) 1800 ई०
(B) 1700 ई०
(C) 1900 ई०
(D) 1905 ई०
उत्तर: (D) 1905 ई०

3. सुमित्रानंदन पंत के अनुसार भारतमाता किसकी मूर्ति हैं?
(A) उदास माटी की
(B) सुख समृद्धि की
(C) उदारता की
(D) त्याग की
उत्तर: (C) उदारता की

4. ‘सफल आज उसका तप संयम, पिला अहिंसा, स्तन्य सुधोतम’ प्रस्तुत पंक्ति किस कविता की है?
(A) स्वदेशी
(B) भारतमाता
(C) जनतंत्र का जन्म
(D) हिरोशिमा
उत्तर: (B) भारतमाता

5. ‘भारत माता’ किनकी कविता है?
(A) रामधारी सिंह दिनकर
(B) जयशंकर प्रसाद
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) प्रेमघन
उत्तर: (C) सुमित्रानंदन पंत

6. सुमित्रानंदन पंत के पिता थे-
(A) के०सी० पंत
(B) रवि सिंह पंत
(C) कालूचंद पंत
(D) गंगादत्त पंत
उत्तर: (C) कालूचंद पंत

7. सुमित्रानंदन पंत की माता थी-
(A) मनरूप देवी
(B) व्यंती देवी
(C) तृप्ता
(D) सरस्वती देवी
उत्तर: (A) मनरूप देवी

8. ‘भारत माता’ कविता में भारत का कैसा चित्र प्रस्तुत किया गया है?
(A) आदर्श
(B) काल्पनिक
(C) यथार्थ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (C) यथार्थ

9. भारत माँ के श्रेष्ठ मुख की तुलना कवि ने किससे की है?
(A) सूर्य
(B) कंचन
(C) पुष्प
(D) छाया युक्त चंद्र
उत्तर: (B) कंचन

10. पंतजी प्रख्यात-
(A) छायावादी कवि
(B) प्रगतिवादी कवि
(C) प्रयोगवादी कवि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (A) छायावादी कवि

11. पंतजी को किस रचना के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला?
(A) उच्छ्वास
(B) ग्राम्या
(C) चिदंबरा
(D) गुंजन
उत्तर: (C) चिदंबरा

12. कवि पंतजी के अनुसार भारतमाता का आंचल कैसा है?
(A) फूल भरा
(B) धूल भरा
(C) सुख से भरा
(D) दुःख से भरा
उत्तर: (B) धूल भरा

13. सुमित्रानंदन पंत ने किसे कहा है ‘मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी’?
(A) भारतमाता
(B) माता
(C) विमाता
(D) मूर्ति
उत्तर: (A) भारतमाता

14. इनमें से कौन-सी रचना कवि पंत की नहीं है?
(A) ग्राम्या
(B) स्वदेशी
(C) चिदंबरा
(D) उच्छ्वास
उत्तर: (B) स्वदेशी

15. कवि पंत के अनुसार भारतमाता ….. है।
(A) ग्रामवासिनी
(B) नगरवासिनी
(C) प्रवासिनी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (A) ग्रामवासिनी

16. जन्म के छः घंटे बाद किनकी माता का देहांत हो गया था?
(A) गुरुनानक
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) रामधारी सिंह दिनकर
(D) प्रेमघन
उत्तर: (B) सुमित्रानंदन पंत

17. प्रकृति सौन्दर्य की कविता के लिए विख्यात कवि है?
(A) रामधारी सिंह दिनकर
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) गुरुनानक
(D) प्रेमघन
उत्तर: (B) सुमित्रानंदन पंत

18. ‘स्वर्ण किरण’ किस कवि की रचना है?
(A) कुँवर नारायण
(B) रामधारी सिंह दिनकर
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) गुरुनानक
उत्तर: (A) कुँवर नारायण

19. ‘चिदंबरा’ किनकी रचना है?
(A) पंत
(B) दिनकर
(C) रसखान
(D) प्रेमघन
उत्तर: (A) पंत

20. किस कवि के पिता कौसानी टी स्टेट में एकाउंटेंट थे?
(A) प्रेमघन
(B) कुँवर नारायण
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) वीरेन डंगवाल
उत्तर: (C) सुमित्रानंदन पंत

21. प्रख्यात छायावादी कवि हैं-
(A) गुरुनानक
(B) रसखान
(C) अज्ञेय
(D) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर: (D) सुमित्रानंदन पंत

22. कवि पंत के अनुसार गंगा-यमुना में क्या प्रवाहित हो रहे हैं?
(A) स्वच्छ जल
(B) अमृतरूपी जल
(C) प्रदूषित जल
(D) आँसू जल
उत्तर: (D) आँसू जल

23. पंतजी का अंतिम काव्य था
(A) लोकायतन
(B) पल्लव
(C) वीण
(D) युगपथ
उत्तर: (C) वीण

24. ‘ग्राम्या’ किनकी रचना है?
(A) दिनकर
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) जीवनानंद दास
(D) कुँवर नारायण
उत्तर: (B) सुमित्रानंदन पंत

25. निम्न में से कौन-सी रचना पंत जी की है?
(A) रहिरास
(B) प्रेमवाटिका
(C) स्वर्ण किरण
(D) जीर्ण जनपद
उत्तर: (B) प्रेमवाटिका

26. पंत की प्रमुख काव्यकृति है-
(A) उच्छ्वास
(B) ग्राम्या
(C) चिदंबरा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (D) उपर्युक्त सभी

27. कवि के अनुसार भारतमाता के कितने संतान नग्न तन भूखे अशिक्षित और निर्धन हैं?
(A) तीस करोड़
(B) चालीस करोड़
(C) पचास करोड़
(D) सवा सौ करोड़
उत्तर: (D) सवा सौ करोड़

28. सुमित्रानंदन पंत रचित कविता ‘भारतमाता’ किस काव्य संग्रह से संकलित है?
(A) उच्छ्वास
(B) ग्राम्या
(C) पल्लव
(D) वीणा
उत्तर: (B) ग्राम्या

29. पंतजी के अनुसार भारतमाता है-
(A) मिट्टी की मूरत उदासिनी
(B) वह अपने घर में प्रवासिनी
(C) ज्ञान मूढ़ गीता प्रकाशिनी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (D) उपर्युक्त सभी

30. भारतमाता ग्रामवासिनी -खेतों में फैला है श्यामल धूल-भरा मैला-सा आँचल। प्रस्तुत पंक्तियाँ किस कविता से ली गई है?
(A) जनतंत्र का जन्म
(B) भारतमाता
(C) स्वदेशी
(D) हिरोशिमा
उत्तर: (B) भारतमाता

31. किस कवि का आरंभिक काव्य प्रकृति और सौन्दर्य के प्रेमी कवि की संवेदनशील अभिव्यक्तियों से परिपूर्ण है?
(A) अज्ञेय
(B) दिनकर
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) कुँवर नारायण
उत्तर: (C) सुमित्रानंदन पंत

32. स्वर्ण शस्य पर पद-तल लुंठित धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित। प्रस्तुत पंक्तियाँ किस कविता की हैं?
(A) लौटकर आऊँगा फिर
(B) मेरे बिना तुम प्रभु
(C) अक्षर-ज्ञान
(D) भारतमाता
उत्तर: (D) भारतमाता

33. कवि पंत के अनुसार भारतमाता के आँचल में सबसे अधिक क्या है?
(A) फूल
(B) मैला-सा धूल
(C) सोना
(D) पानी
उत्तर: (B) मैला-सा धूल

34. ‘भारतमाता’ कविता में कवि ने भारतमाता की छवि कैसे प्रस्तुत की है?
(A) सुंदर और अमीर
(B) दुखी और निर्धन
(C) शक्तिशाली और क्रोधित
(D) शांत और निष्क्रिय
उत्तर: (B) दुखी और निर्धन

35. कवि पंत की ‘भारतमाता’ कविता का मुख्य संदेश क्या है?
(A) भारत की समृद्धि और खुशहाली
(B) बच्चों को खेल और पढ़ाई में व्यस्त रखना
(C) भारत की गरीबी, कष्ट और उसके बच्चों की स्थिति को जागरूक करना
(D) भारत के नदियों की सुंदरता दिखाना
उत्तर: (C) भारत की गरीबी, कष्ट और उसके बच्चों की स्थिति को जागरूक करना

निष्कर्ष :

ऊपर आपने बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिन्दी पुस्तक “गोधूली भाग 2” के काव्यखंड के 5वाँ अध्याय “भारतमाता” की व्याख्या, बोध-अभ्यास, महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ा। यह अध्याय न केवल आपकी परीक्षा की दृष्टि से सहायक है बल्कि जीवन के लिए भी प्रेरणादायी सीख देता है। हमें उम्मीद है कि यह सामग्री आपके अध्ययन को और सरल व प्रभावी बनाएगी। यदि किसी प्रश्न या समाधान को लेकर आपके मन में कोई शंका हो, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं या सीधे हमसे संपर्क करें। हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। संपर्क करें
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