BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-6 Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-6 Solution

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Bihar Board 10th Hindi Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-6 Solution व्याख्या और important Objectives

इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी की काव्य पुस्तक “गोधूली” के छठें अध्याय “जनतंत्र का जन्म” के काव्य का व्याख्या, सभी प्रश्नों के समाधान (Solutions), महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions) और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Questions) को विस्तार से देखने वाले हैं।
बिहार बोर्ड के छात्र/छात्राएँ इस पोस्ट को पूरा अंत तक पढ़े। इसके पढ़ने से इस अध्याय के सभी डाउट खत्म हो जाएँगे और आप बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में बहुत मददगार होगा। साथ ही आप सभी इस अध्याय के सभी प्रश्नोत्तरों एवं व्याख्याओं का PDF भी आप निशुल्क डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। PDF लिंक नीचे उपलब्ध है, जिससे आप इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं।

रामधारी सिंह दिनकर जी का संक्षिप्त परिचय

अध्याय 6 जनतंत्र का जन्म
पूरा नाम रामधारी सिंह दिनकर
उप नाम राष्ट्र कवि
काल उत्तर छायावाद युग
जन्म 23 सितंबर 1908 ई.
जन्म स्थान सिमरिया, बेगूसराय (बिहार)
माता का नाम मनरूप देवी
पिता का नाम रवि सिंह
मृत्यु 24 अप्रैल 1974 ई.
प्रारंभिक शिक्षा गाँव और आस-पास, 1928 में मोकामा घाट हाई स्कूल से मैट्रिक, 1932 में पटना कॉलेज से इतिहास में बी.ए. ऑनर्स
प्रमुख पद प्रधानाध्यापक (बरबीघा), सब-रजिस्ट्रार, सब-डायरेक्टर (जनसंपर्क विभाग), प्रोफेसर (बिहार विश्वविद्यालय), उपकुलपति (भागलपुर विश्वविद्यालय), राज्यसभा सांसद
प्रमुख काव्य कृतियाँ प्रणभंग, रेणुका, हुंकार, रसवंती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, नीलकुसुम, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, हारे को हरिनाम
गद्य कृतियाँ मिट्टी की ओर, अर्धनारीश्वर, संस्कृति के चार अध्याय, काव्य की भूमिका, वट पीपल, शुद्ध कविता की खोज, दिनकर की डायरी
सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार (1959, संस्कृति के चार अध्याय), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1972, उर्वशी), पद्म विभूषण (1959)
विशेषता उत्तर छायावाद के प्रमुख कवि, राष्ट्रकवि, प्रबंधकाव्य के उत्कृष्ट रचनाकार, गद्य और पद्य दोनों में समान रूप से समर्थ, भारतीय इतिहास और संस्कृति के गहरे अध्येता

व्याख्या

जनतंत्र का जन्म

“सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।”

व्याख्या – कवि कहते हैं कि सदियों से दबाई गई जनता की शक्ति अब राख के नीचे छिपी आग की तरह प्रज्वलित हो रही है। साधारण मिट्टी (जनता) अब सोने का ताज पहनकर गर्व से खड़ी है। समय का रथ गरज रहा है और वह शासकों से कह रहा है कि अपने सिंहासन छोड़ दो, क्योंकि अब जनता का राज आने वाला है।

“जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहने वाली ।”

व्याख्या – कवि जनता की सहनशीलता को बताते हैं। जनता मिट्टी की मूर्ति की तरह भोली होती है। चाहे कितनी ही कठिनाई हो, चाहे ठंडी-गर्मी या पीड़ा क्यों न हो, वह बिना शिकायत किए सब सह लेती है। वह चुपचाप कष्ट सहन करती रहती है।

“लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते हैं,
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।”

व्याख्या – कवि चेतावनी देते हैं कि जनता हमेशा सहनशील नहीं रहती। जब वह क्रोधित होती है, तो भूकंप और तूफान की तरह सब कुछ हिला देती है। तब महलों और ताजों की नींव हिल जाती है। समय का रथ बताता है कि अब जनता का राज आने वाला है।

“हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती,
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है;
जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है ।”

व्याख्या – कवि कहते हैं कि जनता की हुंकार इतनी शक्तिशाली होती है कि उससे महलों की नींव हिल जाती है। उसकी साँसों की ताकत से ताज तक उड़ जाते हैं। जनता जिस ओर बढ़ना चाहती है, समय और इतिहास उसी दिशा में मुड़ जाते हैं।

“सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा,
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तैयार करो;
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो ।”

व्याख्या – अब सबसे बड़ा जनतंत्र (लोकतंत्र) स्थापित हो चुका है। कवि कहते हैं कि अब किसी एक राजा का राज्याभिषेक नहीं होगा, बल्कि पूरे देश की जनता का होगा। तैंतीस करोड़ जनता ही असली राजा है और उसी के सिर पर ताज सजाया जाना चाहिए।

“आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख,
मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में ।”

व्याख्या – कवि कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति मंदिरों और महलों में देवता को ढूँढ़ता है, लेकिन असली देवता वहाँ नहीं हैं। असली देवता वे मजदूर और किसान हैं, जो सड़कों पर काम कर रहे हैं और खेतों में अन्न उगा रहे हैं। वही देश के सच्चे रक्षक और पूजनीय हैं।

“फावड़े और हल राजदंड बनने को हैं,
धूसरता सोने से श्रृंगार सजाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।”

व्याख्या – कवि अंत में कहते हैं कि अब हल और फावड़े ही असली राजदंड (शक्ति के प्रतीक) बनने वाले हैं। साधारण धूल और पसीना ही असली सोने का श्रृंगार है। समय का रथ फिर गरजकर कहता है – “सिंहासन खाली करो, जनता आ रही है।”

[Note] : इस कविता का निष्कर्ष यह है कि असली शक्ति जनता के पास होती है। जनता लंबे समय तक कष्ट सहन कर सकती है, लेकिन जब वह जागती है तो बड़े से बड़ा साम्राज्य भी हिल जाता है। कवि ने बताया है कि लोकतंत्र में राजा कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी जनता है। असली देवता मंदिरों या महलों में नहीं, बल्कि खेतों और सड़कों पर काम करने वाले किसान और मजदूर हैं। हल और फावड़ा ही असली राजदंड हैं। इसलिए शासकों को जनता की शक्ति को पहचानना चाहिए और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। यही कविता का मूल संदेश है।

बोध और अभ्यास

कविता के साथ

Q1: कवि की दृष्टि में समय के रथ का घर्घर-नाद क्या है ? स्पष्ट करें ।
उत्तर : कवि स्वाधीन भारत की पराकाष्ठा को सुदृढ़ बनाना चाहता है। बदलते समय में भारत का स्वरूप भी परिवर्तित हो रहा है। आज राजा नहीं, बल्कि प्रजा सिंहासन पर आरूढ़ हो रही है। असीम वेदना सहने वाली जनता आज जयघोष कर रही है। देश की बागडोर राजा के हाथ में नहीं, अपितु जनता के हाथ में आ रही है। आज उसका हुंकार सर्वत्र सुनाई पड़ता है। अब राजनेताओं के सिर पर राजमुकुट नहीं, बल्कि जनता का अधिकार सर्वोपरि है।
Q2: कविता के आरंभ में कवि भारतीय जनता का वर्णन किस रूप में करता है ?
उत्तर : कवि कविता के आरंभ में भारतीय जनता का चित्रण सहनशील, मौन और पीड़ित रूप में करता है। पराधीनता की बेड़ियों में बँधी जनता जाड़े-पाले की कसक सहती रही, परंतु कभी अपने मुँह से दर्द व्यक्त नहीं किया। वह पैरों तले रौंदी जाने वाली, अबोध मूर्ति की तरह मौन रही। किन्तु स्वाधीनता प्राप्त होने पर वही जनता आज हुँकार भरते हुए सिंहासन खाली करने का आदेश देती है और अपनी वेदना को मुखर करती है।
Q3: कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुँही बच्ची की तरह है और क्यों ? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है ?
उत्तर : कवि के अनुसार सिंहासन पर आरूढ़ राजनेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची के समान है। जैसे बच्ची को खिलौनों से बहलाया जाता है, वैसे ही वे जनता को प्रलोभन देकर शांत करना चाहते हैं। परंतु कवि इसका प्रतिवाद करते हुए कहता है कि जब जनता क्रोध और वेदना से आकुल होती है, तब उसकी हुँकार से धरती काँप उठती है। वह सिंहासन खाली कराकर नया प्रतिनिधि चुन लेती है, क्योंकि देश की बागडोर वास्तव में जनता के हाथों में है।
Q4: कवि जनता के स्वप्न का किस तरह चित्र खींचता है ?
उत्तर : कवि के अनुसार स्वाधीन भारत की नींव जनता है। भारत का गणतंत्र पूरी तरह जनतंत्र पर आधारित है। जनता का स्वप्न अजेय और अमर है। सदियों तक अंधकार में जीने के बाद आज वह प्रकाश युग में प्रवेश कर चुकी है। वर्षों से अपने स्वप्न को संजोकर रखने वाली जनता निर्भय होकर नए युग का आरंभ कर रही है। अब अंधकार युग का अंत हो चुका है और विश्व का सबसे विशाल जनतंत्र प्रकट हुआ है। यहाँ अभिषेक किसी राजा का नहीं, बल्कि प्रजा का होने वाला है।
Q5: विराट जनतंत्र का स्वरूप क्या है ? कवि किनके सिर पर मुकुट धरने की बात करता है और क्यों ?
उत्तर : कवि के अनुसार भारत विश्व का सबसे विराट गणतंत्रात्मक देश है। यहाँ सत्ता का बागडोर किसी राजा या राजनेता के हाथों में न होकर जनता के हाथों में है। जनता ही सर्वोपरि है और वही अपने मनपसंद प्रतिनिधि को सिंहासन पर बैठाती है। कवि जनता के सिर पर मुकुट धारण कराने की बात करता है। उसका मानना है कि गणतंत्र भारत का स्वरूप जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए। यदि राजनेता मनमानी करें तो जनता उन्हें सिंहासन से उतारकर नए प्रतिनिधियों को चुन लेती है।
Q6: कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे ?
उत्तर : कवि की दृष्टि में आज के देवता वे कठोर परिश्रम करने वाले मजदूर और कृषक हैं। ये देवता खेतों और खलिहानों में काम करते हुए मिलेंगे। चाहे गर्मी की दुपहरी हो, सर्दी की कड़क ठंड, या भारी वर्षा, ये बिना थके अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। कवि यह बताना चाहता है कि भारत की असली शक्ति और आत्मा गाँवों में बसती है और किसान ही देश के मेरुदंड हैं।
Q7: कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर : कविता का मूल भाव यह है कि असली शक्ति जनता के पास होती है। जनता लंबे समय तक कष्ट सहन कर सकती है, लेकिन जब वह जागती है तो बड़े से बड़ा साम्राज्य भी हिल जाता है। कवि ने बताया है कि लोकतंत्र में राजा कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी जनता है। असली देवता मंदिरों या महलों में नहीं, बल्कि खेतों और सड़कों पर काम करने वाले किसान और मजदूर हैं। हल और फावड़ा ही असली राजदंड हैं। इसलिए शासकों को जनता की शक्ति को पहचानना चाहिए और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। यही कविता का मूल संदेश है।
Q8: व्याख्या करें:
(क) सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
(ख) हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती, साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है; जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।
उत्तर : (क) ये पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से ली गई हैं। इसमें कवि स्वाधीन भारत की सजीव रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। सदियों की पराधीनता के बाद, बुझी हुई राख धीरे-धीरे सुलगने लगी है। जनता जाग उठी है और स्वतंत्र भारत अब गौरवपूर्ण रूप से इठलाता है। सोने का ताज पहनकर भारत गर्व से खड़ा है और वर्षों की पीड़ा सहने वाली जनता अब अपनी शक्ति और हुंकार दिखा रही है।

(ख) ये पंक्तियाँ भी ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता से हैं। कवि बताते हैं कि स्वाधीनता मिलने पर जनता की शक्ति इतनी प्रबल हो गई है कि महलों की नींव तक हिल उठती है। जनता की हुंकार से हवा में ताप फैलता है। जनता की राह रोकना असंभव है और समय भी उसके अनुरूप बदल जाता है। वस्तुतः कवि कहना चाहते हैं कि देश और सत्ता का असली आधार जनता है। जनता जिसे चाहती है, वही सिंहासन पर बैठती है।

भाषा की बात

1. निम्नांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखें –
सदी, राख, ताज, सिंहासन, कसक, दर्द, कसम, जनमत, फूल, भूडोल, भृकुटी, काल, तिमिर, नाद, राजप्रासाद, मंदिर
उत्तर : सदी – युग, काल, समय, दशक
राख – धूल, राखा, अंगार
ताज – मुकुट, शिरोभूषण, सिंहासन का आभूषण
सिंहासन – सिंहासन, राजपाट, राजमंच
कसक – पीड़ा, व्यथा, वेदना
दर्द – वेदना, पीड़ा, शोक
कसम – प्रतिज्ञा, शपथ, वचन
जनमत – लोकमत, जनता की राय, राय
फूल – कुसुम, पुष्प, कलिका
भूडोल – धरती, पृथ्वी, भूमंडल
भृकुटी – भौंह, भुवाँ, भौंहों का झुका हुआ भाग
काल – समय, युग, समयचक्र
तिमिर – अंधकार, अंधेरा, अन्धकारमयता
नाद – स्वर, ध्वनि, शब्द
राजप्रासाद – महल, राजमहल, शाही भवन
मंदिर – देवालय, पूजा स्थल, शिवालय

2. निम्नांकित के लिंग-निर्णय करें-
ताव, दर्द, वेदना, कसम, हुँकार, बवंडर, गवाक्ष, जगत, अभिषेक, शृंगार, प्रजा
उत्तर : ताव – पुल्लिंग
दर्द – पुल्लिंग
वेदना – स्त्रीलिंग
कसम – स्त्रीलिंग
हुँकार – पुल्लिंग
बवंडर – पुल्लिंग
गवाक्ष – पुल्लिंग
जगत – स्त्रीलिंग
अभिषेक – पुल्लिंग
शृंगार – पुल्लिंग
प्रजा – स्त्रीलिंग

3. कविता से सामासिक पद चुनें एवं उनके समास निर्दिष्ट करें ।
उत्तर: राजप्रासाद – तत्पुरुष → राजा का महल
समय-रथ – तत्पुरुष → समय का रथ
जनतंत्र – तत्पुरुष → जनता का शासन
खेत-खलिहान – द्वंद्व → खेत और खलिहान दोनों
तैंतीस कोटि – अण्वय समास → तैंतीस करोड़ (संग्रहित अर्थ)
फावड़े और हल – द्वंद्व → दोनों मिलकर उपयोग
जन्तर-मन्तर – बहुव्रीहि → जिसे लोगों को बहलाने के उपाय दिखाए गए हैं

शब्द निधि

नाद : स्वर, ध्वनि
गूढ़ : रहस्यपूर्ण
भूडोल : धरती का हिलना-डोलना, भूकंप
कोपाकुल : क्रोध से बेचैन
ताज : मुकुट
अब्द : वर्ष, साल
गवाक्ष : बड़ी खिड़की, दरीचा
तिमिर : अंधकार
राजदंड : राज्याधिकार, शासन करने का अधिकार
धूसरता : मटमैलापन

Class10 हिंदी के अन्य अध्यायों के समाधान

क्रमांक अध्याय
1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2 प्रेम-अयनि श्री राधिका
3 अति सुधो सनेह को मारग है
4 स्वदेशी
5 भारतमाता
7 हिरोशिमा
8 एक वृक्ष की हत्या
9 हमारी नींद
10 अक्षर – ज्ञान
11 लौटकर आऊँगा फिर
12 मेरे बिना तुम प्रभु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

नीचे इस अध्याय से संबंधित कुल 30 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं। ये प्रश्न अध्याय के गहन अध्ययन के आधार पर तैयार किए गए हैं तथा इनमें से कई प्रश्न पिछले वर्षों की मैट्रिक परीक्षा से भी लिए गए हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करने से आपको परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलेगी और यह समझने में आसानी होगी कि परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
1. दिनकर जी कवि के साथ-साथ-
(A) आलोचक भी थे
(B) गद्यकार भी थे
(C) उपन्यासकार भी थे
(D) संगीतकार भी थे
उत्तर: (B) गद्यकार भी थे

2. ‘सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है’- किस कविता के पंक्ति है?
(A) भारतमाता
(B) स्वदेशी
(C) हिरोशिमा
(D) जनतंत्र का जन्म
उत्तर: (D) जनतंत्र का जन्म

3. रामधारी सिंह दिनकर कहाँ के रहने वाले थे?
(A) उत्तर प्रदेश के
(B) मध्य प्रदेश के
(C) राजस्थान के
(D) बिहार के
उत्तर: (D) बिहार के

4. ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) रामधारी सिंह दिनकर
(B) अज्ञेय
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन
उत्तर: (A) रामधारी सिंह दिनकर

5. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब हुआ है?
(A) 18 फरवरी, 1916
(B) 23 सितम्बर, 1908
(C) 18 अक्टूबर, 1916
(D) 18 जुलाई, 1916
उत्तर: (C) 18 अक्टूबर, 1916

6. रामधारी सिंह दिनकर का जन्म जिले में
(A) जमुई
(B) मुजफ्फरपुर
(C) बेगूसराय
(D) सीतामढ़ी
उत्तर: (A) जमुई

7. राष्ट्रकवि दिनकर के पिता थे-
(A) राजा सिंह
(B) रवि सिंह
(C) रामा सिंह
(D) रामाकांत सिंह
उत्तर: (C) रामा सिंह

8. दिनकर को किस कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था?
(A) संस्कृति के चार अध्याय
(B) रेणुका
(C) उर्वशी
(D) कोई नहीं
उत्तर: (A) संस्कृति के चार अध्याय

9. राज्यसभा के सांसद रहे कवि हैं-
(A) सुमित्रानंदन पंत
(B) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(C) हजारी प्रसाद ‘द्विवेदी’
(D) अज्ञेय
उत्तर: (B) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

10. किस रचना के लिए दिनकर को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था?
(A) रश्मिरथी
(B) संस्कृति के चार अध्याय
(C) दुकार
(D) अर्धनारीश्वर
उत्तर: (A) रश्मिरथी

11. कवि दिनकर की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं?
(A) भारतमाता
(B) ईश्वर
(C) अल्लाह
(D) मजदूर, किसान
उत्तर: (D) मजदूर, किसान

12. राष्ट्रकवि दिनकर की कौन-सी कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है?
(A) जनतंत्र का जन्म
(B) स्वदेशी
(C) भारतमाता
(D) लौटकर फिर आऊँगा
उत्तर: (A) जनतंत्र का जन्म

13. राष्ट्रकवि दिनकर को सम्मानित किया गया था-
(A) पद्मविभूषण से
(B) ज्ञानपीठ पुरस्कार से
(C) साहित्य अकादमी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (D) उपर्युक्त सभी

14. दिनकरजी किस विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर रहे थे?
(A) नालन्दा विश्वविद्यालय
(B) भागलपुर विश्वविद्यालय
(C) मिथिला विश्वविद्यालय
(D) वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय
उत्तर: (B) भागलपुर विश्वविद्यालय

15. रामधारी सिंह दिनकर हाई स्कूल की शिक्षा किस स्कूल से प्राप्त की थी?
(A) पटना हाई स्कूल
(B) पटना कॉलेजिएट
(C) टी०के० घोष हाई स्कूल
(D) मोकामाघाट रेलवे हाई स्कूल
उत्तर: (C) टी०के० घोष हाई स्कूल

16. ‘संस्कृति के चार अध्याय’ किनकी रचना है?
(A) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(B) प्रेमघन
(C) अज्ञेय
उत्तर: (A) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

17. जनतंत्र का जन्म कविता में कवि भारत की जनता की तुलना किससे करते हैं?
(A) अंग्रेजों से
(B) काँटों से
(C) फूलों से
(D) मुकुट से
उत्तर: (C) फूलों से

18. कवि के अनुसार आज के देवता कहाँ मिलेंगे?
(A) मंदिरों में
(B) राजप्रसादों में
(C) तहखानों में
(D) खेतों में, खलिहानों में
उत्तर: (D) खेतों में, खलिहानों में

19. राष्ट्रकवि दिनकर जयंती मनाई जाती है?
(A) 23 सितम्बर
(B) 23 अक्टूबर
(C) 23 नवम्बर
(D) 23 दिसम्बर
उत्तर: (B) 23 अक्टूबर

20. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर प्रमुख कवि हैं-
(A) उत्तर छायावाद के
(B) प्रगतिवाद के
(C) प्रगति
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (B) प्रगतिवाद के

21. मिट्टी की अबोध मूरतें कौन हैं?
(A) नेता
(B) जनता
(C) अधिकारी
(D) मंत्री
उत्तर: (B) जनता

22. कवि दिनकर किनके सिर पर मुकुट धरने की बात करते हैं?
(A) जनता के
(B) भारतमाता के
(C) राजा के
(D) सैनिकों के
उत्तर: (B) भारतमाता के

23. कवि के अनुसार किससे महलों की नींव उखड़ जाती है?
(A) हवा से
(B) समय से
(C) हुंकारो से
(D) बबंडर से
उत्तर: (C) हुंकारो से

24. इनमें से कौन-सी रचना दिनकर जी की नहीं है?
(A) उर्वशी
(B) संस्कृति के चार अध्याय
(C) रश्मिरथी
(D) ग्राम्या
उत्तर: (D) ग्राम्या

25. ‘फावड़े और हल’ राजदंड बनने को हैं- यह पंक्ति किस कविता की है?
(A) जनतंत्र का जन्म
(B) स्वदेशी
(C) हिरोशिमा
(D) भारतमाता
उत्तर: (B) स्वदेशी

26. दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार किस रचना पर मिला?
(A) हुंकार
(B) रश्मिरथी
(C) द्वन्द्वगीत
(D) उर्वशी
उत्तर: (B) रश्मिरथी

27. आधुनिक भारत में जनतंत्र के उद्यघोष है-
(A) जनतंत्र का जन्म
(B) भारतमाता
(C) स्वदेशी
(D) लौटकर फिर आऊँगा
उत्तर: (A) जनतंत्र का जन्म

28. रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कहाँ हुआ था?
(A) राजनगर
(B) नागर
(C) बेगूसराय
(D) जमुई
उत्तर: (A) राजनगर

29. रामधारी सिंह दिनकर ने किस विश्वविद्यालय से शिक्षण कार्य शुरू किया था?
(A) पटना विश्वविद्यालय
(B) दिल्ली विश्वविद्यालय
(C) भागलपुर विश्वविद्यालय
(D) लखनऊ विश्वविद्यालय
उत्तर: (C) भागलपुर विश्वविद्यालय

30. रामधारी सिंह दिनकर की शिक्षा में किस विषय पर विशेष ध्यान था?
(A) गणित
(B) साहित्य और इतिहास
(C) विज्ञान
(D) राजनीति
उत्तर: (B) साहित्य और इतिहास

निष्कर्ष :

ऊपर आपने बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिन्दी पुस्तक “गोधूली भाग 2” के काव्यखंड के छठा अध्याय “राजतंत्र का जन्म” की व्याख्या, बोध-अभ्यास, महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ा। यह अध्याय न केवल आपकी परीक्षा की दृष्टि से सहायक है बल्कि जीवन के लिए भी प्रेरणादायी सीख देता है। हमें उम्मीद है कि यह सामग्री आपके अध्ययन को और सरल व प्रभावी बनाएगी। यदि किसी प्रश्न या समाधान को लेकर आपके मन में कोई शंका हो, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं या सीधे हमसे संपर्क करें। हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। संपर्क करें
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