BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi : समाजवाद एवं साम्यवाद के समाधान का Download करने वाला pdf

Follow Us On

Q1: रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ?
[क] 1861
[ख] 1862
[ग] 1863
[घ] 1864
Q2: रूस में जार का अर्थ क्या होता था?
[क] पीने का बर्तन
[ख] पानी रखने का मिट्टी का पात्र
[ग] रूस का सोमन्त
[घ] रूस का सम्राट
Q3: कार्ल मार्क्स का जन्म कहाँ हुआ था?
[क] इंग्लैण्ड
[ख] जर्मनी
[ग] इटली
[घ] रूस
Q4: साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ?
[क] रूस
[ख] जापान
[ग] चीन
[घ] क्यूबा
Q5: यूटोपियन समाजवादी कौन नहीं था?
[क] लुई क्लां
[ख] सेट साइमन
[ग] कार्ल मार्क्स
[घ] रॉबर्ट ओवन
Q6: ‘वार एंड पीस’ किसकी रचना है?
[क] कार्ल मार्क्स
[ख] टॉलस्टाय
[ग] दोस्तोवस्की
[घ] एंजल्स
Q7: बोल्शेविक क्रांति कब हुई?
[क] फरवरी 1917
[ख] नवंबर 1917
[ग] अप्रैल 1917
[घ] 1905
Q8: लाल सेना का गठन किसने किया था?
[क] कार्ल मार्क्स
[ख] स्टालिन
[ग] ट्राटस्की
[घ] केरेंसकी
Q9: लेनिन की मृत्यु कब हुई?
[क] 1921
[ख] 1922
[ग] 1924
[घ] 1926
Q10: ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुई थी?
[क] रूस और इटली
[ख] रूस और फ्रांस
[ग] रूस और इंग्लैण्ड
[घ] रूस और जर्मनी

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi : समाजवाद एवं साम्यवाद (रिक्त स्थानों की पूर्ति करें)

(क) रूसी क्रांति के समय शासक निकोलस द्वितीय था।
(ख) बोल्शेविक क्रांति का नुतत्व लेनिन ने किया था।
(ग) नई आर्थिक नीति ई० 1921 में लागू हुआ था।
(घ) राबर्ट ओवन ब्रिटेन का निवासी था।
(ङ) वैज्ञानिक समाजवाद का जनक कार्ल मार्क्स को माना जाता है।

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi : समाजवाद एवं साम्यवाद : Very Short Question Answer

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (20 शब्दों में उत्तर दें)
Q1: पूँजीवाद क्या है ?
उत्तर : ऐसी व्यवस्था जिसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व व्यक्तिगत हाथों में होता है, उसे पूँजीवाद कहते हैं।
Q2: खूनी रविवार क्या है ?
उत्तर : जनवरी 1905 को रूसी जनता का समूह ‘ रोटी दो ‘ के नारे के साथ सड़क पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीटर्सवर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। जार ने उनपर गोलियों बरसाई जिससे हजारों लोगों की मौत हो गयी। इसे घटना को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता हैं ।
Q3: अक्टूबर क्रांति क्या है?
उत्तर : लेनिन के नेतृत्व में रूस के लोग और सेना ने जार के खिलाफ तख्तापलट का निश्चय किया। 7 नवंबर 1917 ई. को पेट्रोगाद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केन्द्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया गया। वहाँ का नेता करेन्सकी रूस छोड़कर भाग गया। इसे ही अक्टूबर क्रांति कहते हैं।
Q4: सर्वहारा वर्ग किसे कहते है ?
उत्तर : समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर एवं गरीब लोग शामिल हों, उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं।
Q5: क्रांति के पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर : क्रांति के पूर्व रूसी किसानों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय थी। उनके पास बहुत ही छोटे-छोटे खेत थे जिनपर वे पुरानी ढंग से खेती करते थे। उनेक पास पूँजी का अभाव था तथा वे कर्ज के बोझ से दबे हुए थे।

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi : समाजवाद एवं साम्यवाद : Short Question Answer

लघु उत्तरीय प्रश्न (60 शब्दों में उत्तर दें)
Q1: रूसी क्रांति के किन्ही दो कारणों का वर्णन करें?
उत्तर : रूसी क्रांति के दो कारणों का वर्णन निम्न है-
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन : 1917 से पूर्व रूस में रोमनोव-राजवंश का शासन था। इस समय रूस के सम्राट को ‘जार’ हा जाता था। रूस में एक कठोर राजनीतिक संरचना स्थापित थी। 19 वीं सदी के मध्य तक यूरोप की राजनीतिक संरचना परिवर्तित हो चुकी थी तथा राजतंत्र की शक्ति सीमित की जा चुकी। परंतु रूसी राजतंत्र अपनो विशेषाधिकार छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। जार निकोलस II, जिसके शासनकाल में क्रांति हुई, राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। उसे आम लोगों सुख-दुख की कतई चिंता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही बनायी थी वह अस्थिर, जड़ और अकुशल थी। नियुक्ति का आधार योग्यता नहीं थी। अतः गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गई और जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई जो क्रांति की कारण बनी।
(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति : रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषक ही थे, परन्तु उसकी स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। 1861 ई० में जार एलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी, परन्तु इससे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। उनके खेत बहुत छोटे-छोटे थे, जिन पर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का भी अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे। ऐसे में किसानों के पास क्रांति के सिवाय कोई चारा नहीं था।
Q2: रुसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी?
उत्तर : सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओं का देश था। यहाँ मुख्यतः स्लाव जाति के लोग रहते थे। इनके अतिरिक्त फिन, पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी थे। ये भिन्न-भिन्न भाषा बोलते थे तथा इनका रस्म-रिवाज भी भिन्न-भिन्न था। परन्तु रूस के अल्पसंख्यक समूह जार-निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई रूसीकरण की नीति से परेशान था। इसके अनुसार जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। इससे अल्पसंख्यकों में हलचल मच गई। 1863 ई० में इस नीति के विरुद्ध पोलो ने विद्रोह किया तो उनका निर्दयतापूर्वक दमन किया गया। इस प्रकार रूसी राजतंत्र के प्रति उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा था। इस क्रांति से रूसी क्रांति को और हवा मिली।
Q3: साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी कैसे?
उत्तर : रूस में बोल्शेविक क्रांति के बाद स्थापित साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था बनकर उभरी। इस व्यवस्था ने आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में पूँजीपतियों तथा कुलीन वर्ग का प्रभुत्व समाप्त कर दिया। पहले भूमि बड़े भूमिपतियों, जमीन्दारों की निजी सम्पत्ति हुआ करती थी। नई व्यवस्था में कृषि-भूमि को राज्य की सम्पत्ति घोषित कर किसानों में बाँट दी गई। किसानों को अतिरिक्त उत्पादन नियत दर पर राज्य को सौंपनी होती थी। उद्योग-धन्धे तथा व्यापार के संचालन हेतु राजकीय तंत्र स्थापित हुए। इस प्रकार, साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था स्थापित हुई।
Q4: नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था कैसे?
उत्तर : 1921 में लेनिन द्वारा प्रस्तुत नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ कुछ हद तक समझौता करती थी। क्योंकि लेनिन यह स्पष्ट देख रहा था कि तत्काल पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था को लागू कारण तथा एक साथ सारी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है।
Q5: प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे?
उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध में रूस मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध लड़ रहा था। रूस का युद्ध में सामील होने का मुख्य उद्देश्य रूसी जनता का आंतरिक मामलों से ध्यान हटकर बाहरी मामलों में उलझाना था। परंतु उनके पास अच्छे हथियार एवं पर्याप्त भोजन की सुविधा न होने के कारण युद्ध में चारों तराप रूसी सेनाओं का हार हो रहा था। बाद में स्वयं जार निकोलस II में सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया। परिणामस्वरूप दरबार खाली हो गया और षड़यंत्र से राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गई।
सुमेलित करें
मिलन करने वाले प्रश्नों में उसका सही उत्तर उस प्रश्न के सामने ही दिया गया है।
समूह ‘अ’ समूह ‘ब’
1. दास कैपिटल (ख) कार्ल मार्क्स
2. चेका (घ) गुप्त पुलिस संगठन
3. नई आर्थिक नीति (ङ) लेनिन
4. कार्ल मार्क्स की मृत्यु (ग) 1883
5. स्टालिन की मृत्यु (क) 1953

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi : समाजवाद एवं साम्यवाद : Long Question Answer

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150 शब्दों में उत्तर दें)
Q1: रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर : रूसी क्रांति के कई कारण थे। उनमें से कुछ कारणों की विवेचना निम्नलिखित है-
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन : 1917 से पूर्व रूस में रोमनोव-राजवंश का शासन था। इस समय रूस के सम्राट को ‘जार’ हा जाता था। रूस में एक कठोर राजनीतिक संरचना स्थापित थी। 19 वीं सदी के मध्य तक यूरोप की राजनीतिक संरचना परिवर्तित हो चुकी थी तथा राजतंत्र की शक्ति सीमित की जा चुकी। परंतु रूसी राजतंत्र अपनो विशेषाधिकार छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। जार निकोलस II, जिसके शासनकाल में क्रांति हुई, राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। उसे आम लोगों सुख-दुख की कतई चिंता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही बनायी थी वह अस्थिर, जड़ और अकुशल थी। नियुक्ति का आधार योग्यता नहीं थी। अतः गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गई और जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई जो क्रांति की कारण बनी।

(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति : रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषक ही थे, परन्तु उसकी स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। 1861 ई० में जार एलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी, परन्तु इससे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। उनके खेत बहुत छोटे-छोटे थे, जिन पर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का भी अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे। ऐसे में किसानों के पास क्रांति के सिवाय कोई चारा नहीं था।

(iii) मजदूरों की दयनीय स्थिति : रूस में मजदूरों की स्थिति भी मजदूरों की तरह अत्यंत दयनीय थी। उन्हें अधिक काम करना पड़ता था परंतु उनकी मजदूरी काफी कम थी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। वे अपनी स्तिथि से संतुष्ट नहीं थे। अतः मजदूरों के पास क्रांति के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं था।

(iv) रुसीकरण की नीति : सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओं का देश था। यहाँ मुख्यतः स्लाव जाति के लोग रहते थे। इनके अतिरिक्त फिन, पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी थे। ये भिन्न-भिन्न भाषा बोलते थे तथा इनका रस्म-रिवाज भी भिन्न-भिन्न था। परन्तु रूस के अल्पसंख्यक समूह जार-निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई रूसीकरण की नीति से परेशान था। इसके अनुसार जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। इससे अल्पसंख्यकों में हलचल मच गई। 1863 ई० में इस नीति के विरुद्ध पोलो ने विद्रोह किया तो उनका निर्दयतापूर्वक दमन किया गया। इस प्रकार रूसी राजतंत्र के प्रति उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा था। इस क्रांति से रूसी क्रांति को और हवा मिली।

(v) विदेशी घटनाओं का प्रभाव : रूस की क्रांति पर विदेश में हो रहे घटनाओं का भी प्रभाव पड़ा। क्रीमीया के रूस की पराजय ने उस देश में सुधारों का युग आरंभ किया। साथ ही 1905 में रूस का जापान से बुरी तरह पराजित होना क्रांति का एक प्रमुख कारण बना। छोटे से देश से हार ने निरंकुश जारशाही के महानता के भ्रम को तोड़ दिया था। इस घटना के बाद लोगों का समूह ‘रोटी दो’ के नारे के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीटर्सवर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। परंतु जार से सेना ने इस निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाई जिससे हजारों लोग मारे गए। इस घटना ने क्रांति को और मजबूती प्रदान की।

इन सभी घटनाओं का ही परिणाम था, जो 1917 के महान क्रांति के रूप में सामने आई।
Q2: नई आर्थिक नीति क्या है?
उत्तर : 1917 के रूसी क्रांति के बाद लेनिन सत्ता में आया और रूस में समाजवादी व्यवस्था लागू करने का पूर्ण प्रयास कर रहा था। लेकिन तत्काल रूप से पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ सारी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं था। इसलिए, सन् 1921 में रूस के आर्थिक विकास तथा पुनर्निर्माण के लिए लेनिन द्वारा मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करते हुए एक नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई। इस नीति का मुख्य उद्देश्य पिछले अनुभवों से सीखकर व्यवहारिक रूप से रूस में समाजवाद के विकास के लिए कदम उठान था। नई आर्थिक नीति के निम्नांकित प्रमुख बातें है-
1. किसानों से अनाज ले लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया। बचा हुआ अजान किसान का था और वह इसका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था।
2. यद्यपि यह सिद्धांत कायम रखा गया कि जमीन राज्य की है फिर भी व्यवहार में जमीन किसान की हो गई।
3. 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया।
4. उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया। निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में विभिन्न इकाइयों को काफी छूट दी गई।
5. विदेशी पूँजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई।
6. व्यक्तिगत संपत्ति और जीवन की बीमा भी राजकीय ऐजेंसी द्वारा शुरू किया गया।
7. विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।
8. ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।
Q3: रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर : रूसी क्रांति के प्रभाव बहुत ही गहरा था इसके प्रभावों की विवेचना निम्नलिखित है-
1. इस क्रांति के पश्चात श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा इसने अन्य क्षेत्रों में भी आन्दोलन को प्रोत्साहन दिया।
2. रूसी क्रांति के बाद विश्व विचारधारा दो खेमा साम्यवादी एवं पूंजीवादी में विभाजित हो गया।
3. द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूँजीवाद विश्व तथा सोवियत रूस के बीच शीतयुद्ध की शुरुआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच शस्त्रों की होड शुरू हो गई।
4. रूसी क्रांति के पश्चात आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मॉडल आया। आगे पूँजीवाद देशों ने भी परिवर्तित रूप में इस मॉडल को अपना लिया। इस प्रकार स्वयं पूँजीवाद के चरित्र में भी परिवर्तन या गया।
5. रूसी क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया और अफ्रीका के देशों में होने वाले राष्ट्रीय आन्दोलन को वैचारिक समर्थन प्रदान किया।
Q4: कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर : कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई. को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे, जिन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। मार्क्स ने बोन विश्वविद्यालय में विधि की शिक्षा ग्रहण की परन्तु 1836 में वे बर्लिन विश्वविद्यालय चले आए जहाँ उनके जीवन को एक नया मोड़ मिला। मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित थे। 1843 में उन्होंने बचपन की मित्र जेनी से विवाह कर लिया। उन्होंने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मांण्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का गहन अध्ययन किया। कार्ल मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई. में फ्रेडरिक एंगेल्स से हुई जिनसे जीवन भर उनकी गहरी मित्रता बनी रही। एंगेल्स के विचारों एवं रचनाओं से प्रभावित होकर मार्क्स ने भी श्रमिक के कष्टों एवं उनकी कार्य की दशाओं पर गहन विचार करना आरंभ कर दिया। मार्क्स ने एंगेल्स के साथ मिलकर 1948 ई. में एक ‘साम्यवादी घोषणा पत्र’ प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। इस घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। मार्क्स विश्व के उन गिने-चुने चिंतकों में एक हैं जिन्होंने इतिहास की धारा को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। मार्क्स ने 1867 ई. में ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” भी कहा जाता है।

कार्ल मार्क्स ने कुछ सिद्धांत दिए जो निम्नलिखित हैं
1. द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
2. वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
3. इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
4. मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
5. राज्यहीनं व वर्गहीन समाज की स्थापना। 
Q5: यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें?
उत्तर : कार्ल मार्क्स के पूर्व के समाजवाद को यूटोपियन समाजवाद कहते हैं और इस समय के विचारकों को यूटोपियन समाजवादि कहा जाता है। कुछ यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन निम्नलिखित है-
सेंट साइमन : ये प्रथम यूटोपियन समाजवादि विचारक थे, जिन्होंने समाजवादी विचारधारा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि राज्य एवं समाज को इस ढंग से संगठित कारण चाहिए कि लोग एक दूसरे का शोषण करने के बदले मिलजुलकर प्रकृति का दोहन करें। इनका यह भी मानना था कि समाज को निर्धन वर्ग के भौतिक एवं नैतिक उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए। उनका एक नारा जो समाजवाद का मूलभूत नारा बना “प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार”।

चार्ल्स फैरियर : ये एक अन्य महत्वपूर्ण यूटोपियन समाजवादि विचारक थे। ये आधुनिक औद्योगिकवाद के विरोधी थे तथा उनका मानना था कि श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना चाहिए।

लुई ब्लां : एक अन्य यूटोपियन समाजवादि विचारक जो राजनीति में भी हिस्सा लिया करते थे। ये अपने विचारों को समाज में व्यवहारिक तरीके से लाते थे। उनका मानना था कि आर्थिक सुधारों को प्रभावशाली बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है।

रॉबर्ट ओवन : फ्रांस से बाहर सबसे महत्वपूर्ण यूटोपियन चिन्तक ब्रिटिश उद्योगपति रार्बट ओवन थे। उन्होंने स्काटलैण्ड के न्यू लूनार्क नामक स्थान पर एक फैक्ट्री की स्थापना की थी। इस फैक्ट्री में उन्होंने श्रमिकों को अच्छी वैतनिक सुविधाएँ प्रदान की और फिर उन्होंने ऐसा महसूस किया कि मुनाफा कम होने के बजाए और बढ़ गया था। अतः वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संतुष्ट श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक है।

BSEB 10th History Exercise 2 Solution in Hindi : PDF कैसे Download करें।

नीचे आप सभी को बिहार बोर्ड कक्षा 10 के इतिहास के अध्याय 2 समाजवाद एवं साम्यवाद के सभी प्रश्नों का PDF link दिया जा रहा है। जिसे आप सभी छात्र बिल्कुल मुफ्त में Download कर सकते हैं।
Download करने के लिए नीचे के link पर click करें।
Google Drive में यह pdf खुल जाएगा, जिसे आप अपने google drive में ही save कर सकते हैं, या अपने फ़ोन में भी Download कर सकते हैं।

इन्हें भी देखें-

FAQ's

Scroll to Top