Bharati Bhavan Bio Ex-8 Solution

Bharati Bhavan Bio Ex-8 Solution : हमारा पर्यावरण

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हमारा पर्यावरण : इस अध्याय में हमने क्या पढ़ा है।

इस अध्याय में हमने पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया। पर्यावरण वह जैविक (पौधे, जंतु, मानव) और अजैविक (मृदा, जल, वायु, सूर्य प्रकाश) कारकों का समूह है जो किसी जीव को प्रभावित करता है। पारिस्थितिक तंत्र एक स्वपोषी इकाई है, जिसमें जैविक (उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटक) और अजैविक घटक ऊर्जा और पदार्थ के आदान-प्रदान से जुड़े रहते हैं। आहार श्रृंखला ऊर्जा के एकदिशीय प्रवाह को दर्शाती है, जो उत्पादकों से शुरू होकर प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक उपभोक्ताओं तक जाती है, जबकि कई आहार श्रृंखलाएँ मिलकर आहार जाल बनाती हैं।
ऊर्जा का प्रवाह सूर्य से शुरू होता है, जिसमें प्रत्येक पोषी स्तर पर केवल 10% ऊर्जा अगले स्तर तक स्थानांतरित होती है। जैव-आवर्धन के माध्यम से जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ (जैसे DDT) की सांद्रता उच्च पोषी स्तरों पर बढ़ती है, जो जीवों के लिए हानिकारक है। अपशिष्ट प्रबंधन में जैव निम्नीकरणीय (जैसे कागज) और जैव अनिम्नीकरणीय (जैसे प्लास्टिक) कचरे का वैज्ञानिक निपटान और पुनर्चक्रण शामिल है। ओजोन परत हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है, लेकिन CFC जैसे रसायनों से इसका अवक्षय होता है, जिससे त्वचा कैंसर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। यह अध्याय पर्यावरण संरक्षण और इसके संतुलन के महत्व को रेखांकित करता है।

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Objectives Questions (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

हमारा पर्यावरण : (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

1. किसी पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा को ग्रहण करने वाले होते हैं?
A. उत्पादक
B. उपभोक्ता
C. अपघटनकर्ता
D. सूक्षजीव
उत्तर: A

2. निम्नलिखित कौन उत्पादक है?
A. सर्प
B. मेढ़क
C. ग्रासहॉपर
D. घास
उत्तर: D

3. मैदानी पारिस्थितिक तंत्र में तृतीयक उपभोक्ता है
A. हरा पौधा
B. मेढ़क
C. ग्रासहॉपर
D. सर्प
उत्तर: D

4. वन-पारिस्थितिक तंत्र में हिरण होते हैं
A. उत्पादक
B. प्राथमिक उपभोक्ता
C. द्वितीयक उपभोक्ता
D. तृतीयक उपभोक्ता
उत्तर: B

5. निम्नलिखित में कौन एक आहार श्रृंखला बनाते हैं?
A. घास, मछली तथा मेढ़क
B. शैवाल, घास तथा ग्रासहॉपर
C. घास, बकरी तथा मनुष्य
D. गेंहू, आम तथा मनुष्य
उत्तर: C

6. किसी पारिस्थितिक तंत्र के जैव घटक होते हैं
A. प्रकाश एवं जल
B. पौधे एवं मृदा
C. हरे पौधे एवं जल
D. पौधे, जानवर, मनुष्य एवं सूक्ष्मजीव
उत्तर: D

7. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है
A. एकदिशीय
B. द्विदिशीय
C. बहुदिशीय
D. किसी भी दिशा में
उत्तर: A

8. एक आहार श्रृंखला में शाकाहारी से निर्माण होता है-
A. प्रथम पोषी स्तर का
B. द्वितीय पोषी स्तर का
C. तृतीय पोषी स्तर का
D. चतुर्थ पोषी स्तर का
उत्तर: B

9. निम्नलिखित में कौन-सा समूह जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का है?
A. घास, गोबर, पॉलिथीन
B. सब्जी, केक, प्लैस्टिक
C. फलों के छिलके, गोबर, पेपर
D. लकड़ी, दवा की खाली स्ट्रिप्स, चमड़ा
उत्तर: C

10. ओजोन परत के अवयव के लिए मुख्य रूप से कौन जिम्मेदार है?
A. CO2
B. SO2
C. CFC
D. NO2
उत्तर: C

हमारा पर्यावरण : (रिक्त स्थान)

1. जैव घटकों एवं अजैव घटकों से पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण होता है।

2. उत्पादकों को स्वपोषी भी कहा जाता है।

3. प्राथमिक उपभोक्ता सामान्यतः शाकाहारी होते हैं।

4. मृत उत्पादक एवं उपभोक्ताओं का अपघटन अपघटनकर्ता द्वारा होता है।

5. आहार श्रृंखला के विभिन्न स्तरों को पोषी स्तर कहते हैं।

6. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह सदा एक दिशा में होता है।

7. DDT एक जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ है।

8. ओजोन परत के अवयव से मनुष्य में त्वचीय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

हमारा पर्यावरण : (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

1. पर्यावरण किसे कहते है?
उत्तर: पर्यावरण उन सभी जैविक और अजैविक घटकों का कुल योग है जो किसी जीव को घेरे रहते हैं और उसके जीवन तथा विकास को प्रभावित करते हैं।

2. पारिस्थितिक तंत्र क्या है?
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र किसी क्षेत्र विशेष के सभी जीवित जीव (जैविक घटक) और निर्जीव भौतिक वातावरण (अजैविक घटक) के बीच की अंतःक्रिया से बनी कार्यात्मक इकाई है।

3. पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं दो जैव घटकों के नाम लिखे।
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र के दो जैव घटक हैं: उत्पादक और उपभोक्ता।

4. पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं तीन अजैव घटकों के नाम लिखे।
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र के तीन अजैव घटक हैं: प्रकाश, जल, और मृदा।

5. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र के कोई दो उदाहरण दे।
उत्तर: कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र के दो उदाहरण हैं: खेत और एक्वेरियम।

6. मैदानी पारिस्थितिक तंत्र की आहार श्रृंखला को नामों से दर्शाएँ।
उत्तर: मैदानी पारिस्थितिक तंत्र की आहार श्रृंखला: घास → हिरण → शेर।

7. उत्पादक किसे कहते है?
उत्तर: उत्पादक वे जीव होते हैं जो सूर्य के प्रकाश या रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करके अपने भोजन का संश्लेषण स्वयं करते हैं, जैसे हरे पौधे।

8. एक आहार श्रृंखला का प्रथम पोषी स्तर क्या है?
उत्तर: एक आहार श्रृंखला का प्रथम पोषी स्तर उत्पादक (हरे पौधे) हैं।

9. कोई दो जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों के नाम लिखे।
उत्तर: दो जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं: पॉलिथीन और डी.डी.टी।

10. निम्नलिखित में कौन-कौन जैव निम्नीकरणीय हैं? कागज, डी.डी.टी, गोबर, प्लास्टिक की थैली, सब्जी के छिलके
उत्तर: कागज़, गोबर, सब्जी के छिलके जैव निम्नीकरणीय हैं।

11. किस कारण से कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं तथा कुछ जैव अनिम्नीकरणीय?
उत्तर: पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं क्योंकि सूक्ष्मजीव उन्हें सरल पदार्थों में तोड़ सकते हैं। इसके विपरीत, जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ वे होते हैं जिन्हें सूक्ष्मजीव तोड़ नहीं सकते, आमतौर पर उनकी जटिल रासायनिक संरचना के कारण।

12. ओजोन स्तर का क्या महत्त्व है?
उत्तर: ओजोन स्तर पृथ्वी के वायुमंडल में एक सुरक्षात्मक परत है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करती है, जिससे पृथ्वी पर जीवन की रक्षा होती है।

13. CFC का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर: CFC का पूरा नाम क्लोरोफ्लोरोकार्बन है।

14. एक रासायनिक यौगिक का नाम लिखिए जिससे ओजोन स्तर का अवक्षय होता है।
उत्तर: ओजोन स्तर का अवक्षय करने वाले रासायनिक यौगिकों में से एक है क्लोरोफ्लोरोकार्बन।

15. पराबैंगनी विकिरणों से मनुष्य में कौन-सी बीमारी होती है?
उत्तर: पराबैंगनी विकिरणों से मनुष्य में त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।

16. जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई क्या होती है?
उत्तर: जीवमंडल की एक स्वपोषित संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई पारिस्थितिक तंत्र होती है।

17. समुद्र किस प्रकार का पारिस्थितिक तंत्र है?
उत्तर: समुद्र एक प्राकृतिक जलीय पारिस्थितिक तंत्र है।

18. अपने पोषण के लिए उत्पादकों पर पूर्णरूपेण निर्भर रहने वाले जीवों को क्या कहते हैं?
उत्तर: अपने पोषण के लिए उत्पादकों पर पूर्णरूपेण निर्भर रहने वाले जीवों को प्राथमिक उपभोक्ता या शाकाहारी कहते हैं।

19. वैसे जीव, जो पौधे और जंतु दोनों खाते हैं, को क्या कहते हैं?
उत्तर: वैसे जीव, जो पौधे और जंतु दोनों खाते हैं, को सर्वाहारी कहते हैं।

20. जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीवों को क्या कह सकते हैं?
उत्तर: जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीवों को अपघटनकर्ता कहते हैं।

21. एक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का कार्य कौन करता है?
उत्तर: एक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का कार्य शैवाल और अन्य जलीय पौधे करते हैं।

22. पृथ्वी तक पहुंचने वाली सौर ऊर्जा का कितना भाग उत्पादक ग्रहण कर रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है?
उत्तर: पृथ्वी तक पहुँचने वाली सौर ऊर्जा का लगभग 1 प्रतिशत भाग उत्पादक ग्रहण कर रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।

23. आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा का कितना हिस्सा अगले पोषी स्तर में स्थानांतरित होता है?
उत्तर: आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषी स्तर पर कुल ऊर्जा का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा ही अगले पोषी स्तर में स्थानांतरित होता है।

24. जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा का पहले पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में क्रमशः होने वाली वृद्धि को क्या कहते?
उत्तर: जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा का पहले पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में क्रमशः होने वाली वृद्धि को जैव आवर्धन कहते हैं।

25. रेडियोधर्मी पदार्थ किस प्रकार के अपशिष्ट हैं?
उत्तर: रेडियोधर्मी पदार्थ जैव अनिम्नीकरणीय और खतरनाक अपशिष्ट हैं।

26. अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाए तो किस प्रकार की आकृति बनती है?
उत्तर: अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाए तो एक पिरामिड जैसी आकृति बनती है।

27. कागज और कपास से निर्मित कपड़े किस प्रकार के अपशिष्ट हैं?
उत्तर: कागज और कपास से निर्मित कपड़े जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं।

28. धरती पर स्थित सभी जन्तुओं को किस श्रेणी में रखा जाता है?
उत्तर: धरती पर स्थित सभी जन्तुओं को उपभोक्ता की श्रेणी में रखा जाता है।

29. तिलचट्टा और मनुष्य किस प्रकार के जीव हैं?
उत्तर: तिलचट्टा और मनुष्य सर्वाहारी प्रकार के जीव हैं।

30. आहार श्रृंखलाओं के जाल को क्या कहते हैं?
उत्तर: आहार श्रृंखलाओं के जाल को आहार जाल कहते हैं।

31. अधिकतम ऊर्जा किस स्तर पर संचित रहती है?
उत्तर: अधिकतम ऊर्जा उत्पादक स्तर पर संचित रहती है।

32. आहार श्रृंखला में मनुष्य का क्या स्थान है?
उत्तर: आहार श्रृंखला में मनुष्य का स्थान प्राथमिक उपभोक्ता और द्वितीयक/तृतीयक उपभोक्ता दोनों हो सकता है।

33. हमारे खाद्य-पदार्थों में हानिकारक रसायनों का जमाव किस क्रिया द्वारा होता है?
उत्तर: हमारे खाद्य-पदार्थों में हानिकारक रसायनों का जमाव जैव आवर्धन की क्रिया द्वारा होता है।

34. किस क्षेत्र के ऊपर ओजोन स्तर में आई कमी को सामान्यतः ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है?
उत्तर: अंटार्कटिका क्षेत्र के ऊपर ओजोन स्तर में आई कमी को सामान्यतः ओजोन छिद्र की संज्ञा दी जाती है।

35. एरोसोल के उपयोग से वायुमंडल एवं जीवमंडल सम्मिलित रूप से किसका निर्माण करते हैं?
उत्तर: एरोसोल के उपयोग से वायुमंडल एवं जीवमंडल सम्मिलित रूप से पर्यावरण प्रदूषण का निर्माण करते हैं।

36. जलमंडल, स्थलमंडल, वायुमंडल एवं जीवमंडल सम्मिलित रूप से किसका निर्माण करते हैं?
उत्तर: जलमंडल, स्थलमंडल, वायुमंडल एवं जीवमंडल सम्मिलित रूप से जैवमंडल का निर्माण करते हैं।

37. उपभोक्ता को कितने श्रेणियों में बांटा जा सकता है?
उत्तर: उपभोक्ता को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है: प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ता, और तृतीयक उपभोक्ता।

38. वन-पारिस्थितिक तंत्र में घास का पोषी स्तर क्या होता है?
उत्तर: वन-पारिस्थितिक तंत्र में घास का पोषी स्तर उत्पादक होता है।

39. एक वन-पारिस्थितिक तंत्र में चिड़ियों का क्या स्थान है?
उत्तर: एक वन-पारिस्थितिक तंत्र में चिड़ियों का स्थान उनकी आहार आदतों के आधार पर प्राथमिक उपभोक्ता या द्वितीयक उपभोक्ता हो सकता है।

40. एक मैदानी पारिस्थितिक तंत्र की आहार श्रृंखला में गिद्ध कहाँ आते हैं?
उत्तर: एक मैदानी पारिस्थितिक तंत्र की आहार श्रृंखला में गिद्ध अपघटनकर्ता या मार्शलिंग मांसाहारी के रूप में आते हैं।

41. क्या ऊर्जा का स्थानांतरण उपभोक्ता से उत्पादक की ओर हो सकता है?
उत्तर: नहीं, ऊर्जा का स्थानांतरण हमेशा एकदिशीय होता है, उपभोक्ता से उत्पादक की ओर नहीं।

42. CFC के टूटने से किस गैस की उत्पत्ति होती है जो ओजोन से प्रतिक्रिया करता है?
उत्तर: CFC के टूटने से क्लोरीन गैस की उत्पत्ति होती है जो ओजोन से प्रतिक्रिया करके उसे नष्ट करती है।

भारती भवन जीवविज्ञान के अन्य अध्यायों का समाधान

क्र. सं. अध्याय का नाम
1 जैव प्रक्रम : पोषण
2 श्वसन
3 परिवहन
4 उत्सर्जन
5 नियंत्रण एवं समन्वय
6 जनन
7 आनुवंशिकता

हमारा पर्यावरण : (लघु उत्तरीय प्रश्न)

1. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का क्या कार्य है?
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक (जैसे हरे पौधे और कुछ सूक्ष्मजीव) का मुख्य कार्य सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा (या रासायनिक ऊर्जा) का उपयोग करके अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक भोजन का संश्लेषण करना है। वे आहार श्रृंखला के आधार का निर्माण करते हैं और अन्य सभी जीवों के लिए ऊर्जा का स्रोत होते हैं।

2. आहार श्रृंखला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: आहार श्रृंखला (Food Chain) एक अनुक्रम है जो यह दर्शाता है कि एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा एक जीव से दूसरे जीव में कैसे स्थानांतरित होती है, जब एक जीव दूसरे जीव को खाता है। यह उत्पादकों से शुरू होकर विभिन्न पोषी स्तरों से होते हुए उपभोक्ताओं और अंततः अपघटनकर्ताओं तक जाती है।

3. पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण देकर विभिन्न पोषी स्तर को बताएं।
उत्तर: पोषी स्तर (Trophic Level): आहार श्रृंखला में प्रत्येक चरण या कड़ी, जहाँ ऊर्जा का स्थानांतरण होता है, एक पोषी स्तर कहलाता है। यह उस जीव के पोषण की विधि या ऊर्जा स्रोत को दर्शाता है।
उदाहरण आहार श्रृंखला: घास → हिरण → शेर
प्रथम पोषी स्तर (उत्पादक): घास। ये स्वपोषी होते हैं और सूर्य के प्रकाश से सीधे ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
द्वितीय पोषी स्तर (प्राथमिक उपभोक्ता): हिरण। ये शाकाहारी होते हैं जो उत्पादकों (घास) को खाते हैं।
तृतीय पोषी स्तर (द्वितीयक उपभोक्ता): शेर। ये मांसाहारी होते हैं जो प्राथमिक उपभोक्ताओं (हिरण) को खाते हैं।

4. आहार जाल का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर: आहार जाल (Food Web) का निर्माण तब होता है जब कई आहार श्रृंखलाएँ आपस में जुड़ती हैं और एक जटिल नेटवर्क बनाती हैं। चूंकि एक पारिस्थितिक तंत्र में कोई भी जीव केवल एक ही प्रकार का भोजन नहीं खाता या केवल एक ही प्रकार के जीव द्वारा नहीं खाया जाता, इसलिए विभिन्न आहार श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से संबंधित होती हैं, जिससे एक जाल जैसी संरचना बनती है जो ऊर्जा प्रवाह की अधिक यथार्थवादी तस्वीर प्रस्तुत करती है।

5. पारिस्थितिक तंत्र में अपघटनकर्ता की क्या भूमिका होती है?
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र में अपघटनकर्ता (Decomposers) (जैसे बैक्टीरिया और कवक) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे मृत पौधों और जानवरों के कार्बनिक पदार्थों को विघटित कर सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदलते हैं। यह प्रक्रिया पोषक तत्वों को मिट्टी या पानी में वापस छोड़ती है, जिससे वे उत्पादकों द्वारा पुनः उपयोग किए जा सकें।

6. उत्पादक तथा उपभोक्ता में क्या अंतर है?
उत्तर: उत्पादक (Producers): वे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, आमतौर पर प्रकाश संश्लेषण या रसायन संश्लेषण के माध्यम से (जैसे हरे पौधे)। वे आहार श्रृंखला में पहले पोषी स्तर पर होते हैं।
उपभोक्ता (Consumers): वे जीव जो अपने पोषण के लिए सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर करते हैं (जैसे जानवर)। वे उत्पादकों द्वारा बनाए गए भोजन का उपभोग करते हैं और आहार श्रृंखला में दूसरे या उच्च पोषी स्तर पर होते हैं।

7. पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएं।
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को दर्शाने वाले चित्र में मुख्य रूप से दो घटक होते हैं:
जैविक घटक (Biotic Components): उत्पादक (हरे पौधे), उपभोक्ता (शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी), अपघटनकर्ता (बैक्टीरिया, कवक)।
अजैविक घटक (Abiotic Components): सूर्य का प्रकाश, जल, वायु (CO₂, O₂), मृदा, तापमान, खनिज आदि।
(एक चित्र यहाँ नहीं दिखाया जा सकता, पर ये घटक आपस में ऊर्जा और पोषक तत्वों के लिए जुड़े होते हैं।)

8. जैव आवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर: जैव आवर्धन (Biomagnification) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कुछ हानिकारक रसायन (जैसे DDT या पारा), जो पर्यावरण में विघटित नहीं होते, एक आहार श्रृंखला में निचले पोषी स्तरों से उच्च पोषी स्तरों तक बढ़ते जाते हैं। जैसे-जैसे ऊर्जा स्थानांतरित होती है, इन रसायनों की सांद्रता प्रत्येक उच्च पोषी स्तर पर बढ़ती जाती है।

9. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुँचती है?
उत्तर: जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट (जैसे प्लास्टिक, DDT) पर्यावरण को गंभीर हानि पहुँचाते हैं क्योंकि वे प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होते। ये मिट्टी और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं, वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा करते हैं (जैसे प्लास्टिक खाने से जानवरों की मौत), और जैव आवर्धन के माध्यम से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं।

10. कचरा प्रबंधन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: कचरा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें कचरे को इकट्ठा करना, परिवहन करना, संसाधित करना, पुनर्चक्रित करना या निपटाना शामिल है। इसके मुख्य तरीके हैं:
कम करना (Reduce): कचरे के उत्पादन को कम करना।
पुनः उपयोग (Reuse): वस्तुओं का बार-बार उपयोग करना।
पुनर्चक्रण (Recycle): कचरे से नए उत्पाद बनाना।
कम्पोस्टिंग: जैविक कचरे से खाद बनाना।
सुरक्षित निपटान: शेष कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान।

11. ओजोन क्या है? इसके स्तर में अवक्षय होने से हमें क्या नुकसान हो सकता है?
उत्तर: ओजोन (O3) ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना एक अणु है। यह वायुमंडल में एक परत के रूप में पाया जाता है, जिसे ओजोन परत कहते हैं।
अवक्षय से नुकसान: ओजोन परत का क्षीण होना पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी (UV) किरणों को बढ़ा देता है, जिससे त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। साथ ही यह पौधों और समुद्री जीवन को भी प्रभावित करता है।

12. यदि किसी पोषी स्तर के सभी जीवों को नष्ट कर दिया जाए, तो पारिस्थितिक तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: यदि किसी पोषी स्तर के सभी जीवों को नष्ट कर दिया जाए, तो पारिस्थितिक तंत्र असंतुलित हो जाएगा। उदाहरण: यदि उत्पादकों को नष्ट किया जाए तो उपभोक्ता जीव भूखे मर जाएंगे, और यदि अपघटनकर्ता नष्ट हों तो मृत जीवों का विघटन नहीं होगा, जिससे पोषक तत्वों का चक्र बाधित होगा।

13. एयरोसोल रसायनों के हानिकारक प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: एयरोसोल रसायन (जैसे CFCs) ओजोन परत को नुकसान पहुँचाते हैं। ये वायुमंडल में पहुँचकर ओजोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं, जिससे UV किरणें पृथ्वी तक पहुँचती हैं। इससे त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है तथा वनस्पति और जलीय जीवन भी प्रभावित होता है।

14. जैव निम्नीकरणीय और जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टों में क्या अंतर है? उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट: ये वे पदार्थ हैं जिन्हें सूक्ष्मजीव प्राकृतिक रूप से विघटित कर सकते हैं।
उदाहरण: कागज, फल-सब्जी के छिलके, गोबर।
जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट: ये पदार्थ लंबे समय तक विघटित नहीं होते और पर्यावरण में बने रहते हैं।
उदाहरण: प्लास्टिक, DDT, कांच।

15. निचले पोषी स्तर पर सामान्यतः ऊपरी पोषी स्तर की तुलना में जीवों की संख्या अधिक क्यों रहती है?
उत्तर: निचले पोषी स्तरों पर जीवों की संख्या अधिक होती है क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तर पर केवल 10% ऊर्जा अगले स्तर तक स्थानांतरित होती है। शेष ऊर्जा मेटाबोलिक प्रक्रियाओं या ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है, जिससे उच्च स्तरों पर कम जीव जीवित रह पाते हैं।

हमारा पर्यावरण : (दीर्घुत्तरीय प्रश्न)

1. पारिस्थितिक तंत्र की संरचना का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र वह तंत्र है जिसमें सभी सजीव (जैविक) तथा निर्जीव (अजैविक) अवयव आपस में परस्पर क्रिया करके एक संतुलित इकाई का निर्माण करते हैं। पारिस्थितिक तंत्र की संरचना मुख्यतः दो प्रमुख अवयवों पर आधारित होती है – अजैव अवयव और जैव अवयव।
अजैव अवयव में वे सभी निर्जीव तत्व आते हैं जिनमें जीवन नहीं होता, जैसे – मृदा, जल, वायु, प्रकाश, तापमान, आर्द्रता और विभिन्न पोषण तत्व। ये सभी कारक पारिस्थितिक तंत्र में जीवों की संख्या, उनके प्रकार, उनके वितरण और व्यवहार को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। अजैव अवयव को तीन वर्गों में बाँटा जाता है – (i) भौतिक वातावरण, जिसमें मृदा, जल और वायु आते हैं; (ii) पोषण, जिसमें अकार्बनिक और कार्बनिक तत्व सम्मिलित होते हैं; तथा (iii) जलवायु कारक, जैसे प्रकाश, तापमान, वर्षा और दाब आदि।

जैव अवयव में वे सभी सजीव जीव आते हैं जो इस तंत्र का अभिन्न अंग हैं। इन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है – उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटनकर्ता। उत्पादक (हरे पौधे एवं शैवाल) प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं और समस्त जीव-जगत को ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये स्वपोषी कहलाते हैं। उपभोक्ता (जानवर एवं मनुष्य) स्वयं भोजन नहीं बना सकते और प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं। इन्हें प्राथमिक (शाकाहारी), द्वितीयक (मांसाहारी) और तृतीयक (शीर्ष उपभोक्ता) श्रेणियों में बाँटा गया है। इसके अतिरिक्त अपघटनकर्ता (जैसे जीवाणु और कवक) मृत पौधों और जानवरों का अपघटन कर उन्हें पुनः अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। इससे पोषण तत्त्व पुनः मिट्टी और जल में मिलकर चक्र को पूर्ण करते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र की संरचना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके सभी घटक एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। यदि किसी एक स्तर पर असंतुलन होता है तो इसका प्रभाव पूरे तंत्र पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि शाकाहारी जंतुओं की संख्या घट जाए तो पौधों की अधिकता हो जाएगी और मांसाहारी जीव भोजन के अभाव में नष्ट हो जाएँगे। इसलिए पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

2. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह किस प्रकार होता है?
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एक मूलभूत एवं आवश्यक प्रक्रिया है। जीवमंडल में ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूर्य से आने वाली कुल ऊर्जा का केवल लगभग 1% भाग ही हरे पौधों द्वारा प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया से रासायनिक ऊर्जा (कार्बोहाइड्रेट) में परिवर्तित होता है। यही संचित ऊर्जा आगे पूरे पारिस्थितिक तंत्र को चलाने का आधार बनती है। हरे पौधे स्वयं भी इस ऊर्जा का कुछ भाग अपनी चयापचय क्रियाओं में उपयोग कर लेते हैं तथा कुछ ऊर्जा ऊष्मा के रूप में वातावरण में मुक्त हो जाती है। शेष ऊर्जा उनके ऊतकों में संचित रहती है, जो आगे उपभोक्ताओं और अपघटनकर्ताओं को प्राप्त होती है।

जब शाकाहारी जंतु (प्राथमिक उपभोक्ता) हरे पौधों को खाते हैं तो पौधों में संचित ऊर्जा उनमें स्थानांतरित हो जाती है। इसी प्रकार जब मांसाहारी जंतु शाकाहारी को खाते हैं, तब ऊर्जा का एक भाग उनमें पहुँचता है। किंतु प्रत्येक पोषी स्तर पर ऊर्जा का केवल लगभग 10% भाग ही अगले स्तर तक पहुँचता है, जबकि शेष लगभग 90% ऊर्जा चयापचय क्रियाओं में प्रयुक्त होकर ऊष्मा के रूप में वातावरण में नष्ट हो जाती है। यही कारण है कि जैसे-जैसे हम उच्च पोषी स्तरों की ओर बढ़ते हैं, उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा घटती जाती है।

उदाहरण के लिए, यदि घास (उत्पादक) में 10,000 किलोकैलोरी ऊर्जा संचित है तो केवल 1000 किलोकैलोरी ऊर्जा ही ग्रासहॉपर (प्राथमिक उपभोक्ता) को प्राप्त होगी। इसी प्रकार मेढ़क (द्वितीयक उपभोक्ता) को मात्र 100 किलोकैलोरी और सर्प (तृतीयक उपभोक्ता) को मात्र 10 किलोकैलोरी ऊर्जा ही मिलती है। इससे स्पष्ट है कि ऊर्जा का प्रवाह हमेशा एकदिशीय होता है और यह कभी पीछे नहीं लौटता। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह सौर ऊर्जा → उत्पादक → उपभोक्ता → अपघटनकर्ता की दिशा में होता है। उच्च पोषी स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा कम होती है, इसलिए जीवों की संख्या भी घटती जाती है और यही कारण है कि ऊर्जा प्रवाह का रूप प्रायः पिरामिड की तरह दिखाई देता है।

3. पीड़कनाशी अगर अपघटित न हो तो आहार श्रृंखला में उसका क्या प्रभाव होगा?
उत्तर: यदि पीड़कनाशी (कीटनाशी या रासायनिक दवाएँ) अपघटित न होकर लंबे समय तक वातावरण में बनी रहती हैं तो वे आहार श्रृंखला पर गहरा प्रभाव डालती हैं। ये रसायन पौधों और जल में प्रवेश कर जाते हैं और फिर क्रमशः आहार श्रृंखला के विभिन्न स्तरों में संचित होते जाते हैं। इस प्रक्रिया को जैव संचयन कहा जाता है।

पीड़कनाशी का आहार श्रृंखला पर प्रभाव निम्नलिखित है –

  • पौधों में संचय — पीड़कनाशी मिट्टी व जल में पहुँचकर पौधों द्वारा अवशोषित हो जाते हैं।
  • प्राथमिक उपभोक्ताओं में संचय — पौधों को खाने वाले जीव (जैसे गाय, बकरी, कीट) इन रसायनों को शरीर में जमा कर लेते हैं।
  • द्वितीयक उपभोक्ताओं में वृद्धि — मांसाहारी जीव जब शाकाहारियों को खाते हैं तो रसायनों की मात्रा और बढ़ जाती है।
  • तृतीयक उपभोक्ताओं तक जैव आवर्धन — खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर रसायन कई गुना बढ़कर पहुँचते हैं।
  • पौधों व जीवों के जीवनचक्र पर प्रभाव — वृद्धि, विकास और व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है।

हानियाँ

  • प्रजनन संकट — कई प्रजातियों में प्रजनन क्षमता घट जाती है।
  • अंडों का पतला होना — पक्षियों के अंडों की चड्डी पतली होकर ऊँची मृत्यु दर का कारण बनती है।
  • स्वास्थ्य समस्या — कैंसर, तंत्रिका तंत्र विकार, यकृत व गुर्दे की बीमारियाँ अधिक होने का खतरा।
  • खाद्य सुरक्षा पर असर — कृषि उपज में अवशेष रह जाने से मानव पर प्रतिकूल प्रभाव।
  • पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलन — खाद्य जाल और जैव विविधता प्रभावित होकर समग्र तंत्र असंतुलित हो जाता है।

4. किसी पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता के बारे में समझाएँ।
उत्तर: किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में जीव-समुदाय के विभिन्न घटक एक-दूसरे पर आश्रित रहते हैं। इनमें उत्पादक पौधे होते हैं, जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। परन्तु उपभोक्ता ऐसे जीव होते हैं, जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते और सीधे या परोक्ष रूप से पौधों पर निर्भर रहते हैं। उपभोक्ताओं को उनके भोजन के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में बाँटा गया है।

प्रथमक उपभोक्ता : ये वे जीव होते हैं जो सीधे पौधों या शैवालों पर निर्भर रहते हैं। इन्हें शाकाहारी भी कहा जाता है। ये पत्तियाँ, फल, घास और अन्य वनस्पति भागों को खाकर अपनी ऊर्जा प्राप्त करते हैं। उदाहरण – गाय, बकरी, खरगोश, हिरण, कीट-पतंगे आदि।

द्वितीयक उपभोक्ता : ये जीव शाकाहारी जीवों को खाते हैं। इनका आहार मांस होता है, इसलिए इन्हें मांसाहारी भी कहते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता सामान्यत: आकार में छोटे होते हैं और प्रथमक उपभोक्ताओं को खाकर ऊर्जा प्राप्त करते हैं। उदाहरण – मेंढक, छिपकली, साँप, छोटी मछलियाँ आदि।

तृतीयक उपभोक्ता : ये जीव आकार में अपेक्षाकृत बड़े तथा अधिक शक्तिशाली होते हैं। ये द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाकर जीवन-निर्वाह करते हैं। इनका कोई निश्चित शिकारी नहीं होता और ये खाद्य शृंखला के ऊपरी स्तर पर पाए जाते हैं। उदाहरण – शेर, बाघ, गरुड़, बड़ी मछलियाँ तथा मनुष्य।

5. ओज़ोन छिद्र से आप क्या समझते हैं? यह कैसे उत्पन्न होता है? इससे होनेवाली हानियों के बारे में लिखें।
उत्तर: ओज़ोन परत वायुमंडल में पृथ्वी की सतह से लगभग 15 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह परत मुख्य रूप से ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं (O₃) से बनी होती है और यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV rays) को अवशोषित कर लेती है। इस प्रकार यह परत पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवधारियों के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है। जब इस ओज़ोन परत में अत्यधिक कमी आ जाती है, तब उसे ओज़ोन छिद्र कहा जाता है।

ओज़ोन छिद्र का निर्माण मुख्यतः क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), फ्लोरोकार्बन (FC) तथा अन्य हानिकारक रसायनों के कारण होता है। ये रसायन विभिन्न एयरकंडीशनरों, रेफ्रिजरेटरों, जेट इंजनों, अग्निशामक यंत्रों, डिओडोरेंट्स, स्प्रे और कीटनाशकों में प्रयुक्त होते हैं। जब ये पदार्थ वायुमंडल में पहुँचते हैं तो सूर्य के पराबैंगनी विकिरण की उपस्थिति में CFC का विघटन होकर क्लोरीन परमाणु मुक्त करता है। यह क्लोरीन परमाणु ओज़ोन (O₃) से अभिक्रिया कर उसे ऑक्सीजन (O₂) और O में तोड़ देता है। इस प्रकार ओज़ोन अणु लगातार नष्ट होते जाते हैं और परत पतली होती चली जाती है। अंटार्कटिका के ऊपर इसका प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देता है, जहाँ ओज़ोन परत में एक बड़ा छिद्र बन गया है।

ओज़ोन छिद्र से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित है-

  • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव – पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुँचकर त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और विभिन्न प्रकार के उत्परिवर्तन का कारण बनती हैं।
  • पौधों पर प्रभाव – पौधों की प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे कृषि उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
  • समुद्री जीवन पर प्रभाव – प्लवक पराबैंगनी किरणों से प्रभावित होते हैं, जिससे समुद्री खाद्य शृंखला बाधित होती है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव – ओज़ोन परत की कमी से संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है।
ओज़ोन छिद्र मानव द्वारा निर्मित रसायनों के अत्यधिक उपयोग का परिणाम है। इसे रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें 1987 का मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल प्रमुख है। इसके अंतर्गत CFC के उत्पादन और उपयोग को सीमित करने का निर्णय लिया गया। यदि इन उपायों का पालन सही ढंग से किया जाए, तो ओज़ोन परत को बचाकर आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सकता है।

Bharati Bhavan Bio Ex-8 "हमारा पर्यावरण" के 40 अतिरिक्त महत्वपूर्ण वसुनिष्ठ प्रश्न

1. पर्यावरण किसे कहते हैं?
A. केवल जीवित प्राणियों का समूह
B. जैविक और अजैविक कारकों का समूह
C. केवल अजैविक कारकों का समूह
D. केवल वायुमंडल
उत्तर: B

2. पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा क्या है?
A. केवल जीवों का समूह
B. जैविक और अजैविक घटकों की स्वपोषी इकाई
C. केवल सूर्य प्रकाश और जल का समूह
D. केवल मृदा और वायु का समूह
उत्तर: B

3. पारिस्थितिक तंत्र का कौन-सा घटक ऊर्जा के लिए सूर्य पर निर्भर करता है?
A. उपभोक्ता
B. अपघटक
C. उत्पादक
D. अजैविक घटक
उत्तर: C

4. निम्नलिखित में से कौन-सा पारिस्थितिक तंत्र का अजैविक घटक है?
A. पौधे
B. जंतु
C. सूर्य प्रकाश
D. सूक्ष्मजीव
उत्तर: C

5. प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का उदाहरण है:
A. जलजीवशाला
B. कृषि भूमि
C. वन
D. पार्क
उत्तर: C

6. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र का उदाहरण है:
A. समुद्र
B. तालाब
C. एक्वेरियम
D. झील
उत्तर: C

7. उत्पादक किसे कहते हैं?
A. जो भोजन स्वयं बनाते हैं
B. जो अन्य जीवों को खाते हैं
C. जो मृत पदार्थों का अपघटन करते हैं
D. जो ऊर्जा का स्थानांतरण करते हैं
उत्तर: A

8. प्राथमिक उपभोक्ता कौन होते हैं?
A. मांसाहारी जंतु
B. शाकाहारी जंतु
C. सूक्ष्मजीव
D. हरे पौधे
उत्तर: B

9. द्वितीयक उपभोक्ता का उदाहरण है:
A. गाय
B. शेर
C. घास
D. शैवाल
उत्तर: B

10. तृतीयक उपभोक्ता का उदाहरण है:
A. ग्रासहॉपर
B. मेढ़क
C. गिद्ध
D. हिरण
उत्तर: C

11. अपघटक क्या करते हैं?
A. भोजन बनाते हैं
B. मृत जीवों का अपघटन करते हैं
C. ऊर्जा का स्थानांतरण करते हैं
D. सूर्य प्रकाश को अवशोषित करते हैं
उत्तर: B

12. आहार श्रृंखला में ऊर्जा का प्रवाह होता है:
A. एकदिशीय
B. द्विदिशीय
C. बहुदिशीय
D. कोई प्रवाह नहीं
उत्तर: A

13. निम्नलिखित में से कौन-सी आहार श्रृंखला सही है?
A. घास → मछली → मेढ़क
B. शैवाल → छोटे जंतु → छोटी मछली
C. पौधे → बाघ → हिरण
D. घास → सर्प → गिद्ध
उत्तर: B

14. आहार जाल क्या है?
A. एकल आहार श्रृंखला
B. कई आहार श्रृंखलाओं का परस्पर जुड़ा जाल
C. केवल उत्पादकों का समूह
D. केवल उपभोक्ताओं का समूह
उत्तर: B

15. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है:
A. मृदा
B. सूर्य
C. जल
D. वायु
उत्तर: B

16. प्रत्येक पोषी स्तर पर कितनी ऊर्जा अगले स्तर तक स्थानांतरित होती है?
A. 50%
B. 20%
C. 10%
D. 90%
उत्तर: C

17. जैव-आवर्धन से क्या तात्पर्य है?
A. ऊर्जा का बढ़ना
B. जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों की सांद्रता में वृद्धि
C. जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन
D. ऊर्जा का ह्रास
उत्तर: B

18. निम्नलिखित में से कौन जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट है?
A. प्लास्टिक
B. DDT
C. सब्जी के छिलके
D. एल्यूमिनियम
उत्तर: C

19. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट का उदाहरण है:
A. कागज
B. गोबर
C. DDT
D. लकड़ी
उत्तर: C

20. कचरा प्रबंधन का क्या अर्थ है?
A. कचरे को जलाना
B. कचरे का वैज्ञानिक निपटान और पुनर्चक्रण
C. कचरे को नदियों में बहाना
D. कचरे को इकट्ठा करना मात्र
उत्तर: B

21. ओजोन परत का मुख्य कार्य है:
A. ऑक्सीजन प्रदान करना
B. पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करना
C. कार्बन डाइऑक्साइड को कम करना
D. तापमान नियंत्रण
उत्तर: B

22. ओजोन परत के अवक्षय का मुख्य कारण है:
A. CO₂
B. CFC
C. SO₂
D. NO₂
उत्तर: B

23. ओजोन परत के अवक्षय से कौन-सी बीमारी हो सकती है?
A. मधुमेह
B. त्वचा कैंसर
C. हृदय रोग
D. सर्दी-जुकाम
उत्तर: B

24. संख्या का पिरामिड क्या दर्शाता है?
A. ऊर्जा का प्रवाह
B. विभिन्न पोषी स्तरों पर जीवों की संख्या
C. जैव-आवर्धन
D. अपशिष्ट प्रबंधन
उत्तर: B

25. स्वपोषी जीव कौन होते हैं?
A. उपभोक्ता
B. अपघटक
C. उत्पादक
D. सूक्ष्मजीव
उत्तर: C

26. परपोषी जीव कौन होते हैं?
A. हरे पौधे
B. उपभोक्ता
C. अपघटक
D. शैवाल
उत्तर: B

27. एक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक का उदाहरण है:
A. मछली
B. शैवाल
C. मेढ़क
D. सर्प
उत्तर: B

28. वन-पारिस्थितिक तंत्र में हिरण का पोषी स्तर है:
A. उत्पादक
B. प्राथमिक उपभोक्ता
C. द्वितीयक उपभोक्ता
D. तृतीयक उपभोक्ता
उत्तर: B

29. आहार श्रृंखला में मनुष्य का स्थान है:
A. उत्पादक
B. प्राथमिक उपभोक्ता
C. सर्वभक्षी
D. अपघटक
उत्तर: C

30. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट का अपघटन कौन करता है?
A. उत्पादक
B. उपभोक्ता
C. अपघटक
D. सूर्य प्रकाश
उत्तर: C

31. CFC का पूरा नाम है:
A. कार्बन फ्लोरो क्लोराइड
B. क्लोरो फ्लोरो कार्बन
C. कार्बन क्लोरो फ्लोराइड
D. क्लोरीन फ्लोरो कार्बन
उत्तर: B

32. पारिस्थितिक तंत्र में जलवायु कारकों में शामिल है:
A. मृदा
B. सूर्य प्रकाश
C. जंतु
D. सूक्ष्मजीव
उत्तर: B

33. पृथ्वी पर आने वाली सौर ऊर्जा का कितना भाग उत्पादक रासायनिक ऊर्जा में बदलते हैं?
A. 10%
B. 1%
C. 50%
D. 25%
उत्तर: B

34. एक मैदानी पारिस्थितिक तंत्र में गिद्ध का पोषी स्तर है:
A. प्राथमिक उपभोक्ता
B. द्वितीयक उपभोक्ता
C. तृतीयक उपभोक्ता
D. उत्पादक
उत्तर: C

35. जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थों का पुनर्चक्रण क्यों महत्वपूर्ण है?
A. ऊर्जा बढ़ाने के लिए
B. पर्यावरण में जमाव को कम करने के लिए
C. भोजन बनाने के लिए
D. सूर्य प्रकाश को अवशोषित करने के लिए
उत्तर: B

36. ओजोन छिद्र का संबंध किस क्षेत्र से है?
A. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र
B. अंटार्कटिका क्षेत्र
C. मरुस्थल क्षेत्र
D. समुद्री क्षेत्र
उत्तर: B

37. आहार श्रृंखला में पोषी स्तरों की संख्या सीमित क्यों रहती है?
A. ऊर्जा के ह्रास के कारण
B. जैव-आवर्धन के कारण
C. अपघटकों की कमी के कारण
D. सूर्य प्रकाश की कमी के कारण
उत्तर: A

38. निम्नलिखित में से कौन सा समूह जैव निम्नीकरणीय है?
A. प्लास्टिक, DDT, एल्यूमिनियम
B. कागज, गोबर, सब्जी के छिलके
C. रेडियोactive पदार्थ, शीशा
D. कीटनाशक, प्लास्टिक
उत्तर: B

39. पारिस्थितिक तंत्र में अपघटकों की भूमिका है:
A. भोजन बनाना
B. मृत पदार्थों को पोषक तत्वों में बदलना
C. ऊर्जा का स्थानांतरण करना
D. सूर्य प्रकाश को अवशोषित करना
उत्तर: B

40. ओजोन परत कितनी ऊँचाई पर पाई जाती है?
A. 5-10 km
B. 15-50 km
C. 50-100 km
D. 100-150 km
उत्तर: B

Bharati Bhavan Bio Ex-8 Solution का निष्कर्ष

निष्कर्ष : इस पोस्ट में आपने Bharati Bhavan Bio Ex-8 Solution को देखा। हमने इस अध्याय के वस्तुनिष्ठ प्रश्न, रिक्त स्थान, अतिलघु उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के समाधान को सरल एवं स्पष्ट शब्दों में देखा। आशा है कि इन सभी प्रश्नों का समाधान आप सभी को पसंद आया होगा। यदि आपका किसी प्रकार का Doubt या प्रश्न है, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। Contact Us
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