
अर्थव्यवस्था और इसके विकास का इतिहास के वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Q1: निम्न को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है।
[क] सेवा क्षेत्र
[ख] कृषि क्षेत्र
[ग] औद्योगिक क्षेत्र
[घ] इनमें से कोई नहीं
✔ सही उत्तर: कृषि क्षेत्र
कारण: प्राथमिक क्षेत्र में वे आर्थिक गतिविधियाँ आती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती हैं, जैसे कृषि, मत्स्य पालन, और खनन।
कारण: प्राथमिक क्षेत्र में वे आर्थिक गतिविधियाँ आती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती हैं, जैसे कृषि, मत्स्य पालन, और खनन।
Q2: इनमें कौन-से देश में मिश्रित अर्थव्यवस्था है?
[क] अमेरिका
[ख] चीन
[ग] भारत
[घ] इनमें से कोई नहीं
✔ सही उत्तर: भारत
कारण: भारत में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र कार्यरत हैं, इसलिए इसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
कारण: भारत में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र कार्यरत हैं, इसलिए इसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
Q3: भारत में योजना आयोग का गठन कब किया गया था?
[क] 15 मार्च 1950
[ख] 15 सितम्बर 1950
[ग] 15 अक्टूबर 1951
[घ] इनमें से कोई नहीं
✔ सही उत्तर: 15 मार्च 1950
कारण: भारत में आर्थिक विकास की योजनाओं को लागू करने के लिए योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को किया गया था।
कारण: भारत में आर्थिक विकास की योजनाओं को लागू करने के लिए योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को किया गया था।
Q4: जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश कहलाता है।
[क] अविकसित
[ख] विकसित
[ग] अर्द्ध-विकसित
[घ] इनमें से कोई नहीं
✔ सही उत्तर: विकसित
कारण: जिन देशों की राष्ट्रीय आय अधिक होती है, वे अधिक विकसित संसाधनों और उच्च जीवन स्तर के कारण विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।
कारण: जिन देशों की राष्ट्रीय आय अधिक होती है, वे अधिक विकसित संसाधनों और उच्च जीवन स्तर के कारण विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।
Q5: इनमें से किसे पिछड़ा राज्य कहा जाता है?
[क] पंजाब
[ख] केरल
[ग] बिहार
[घ] दिल्ली
✔ सही उत्तर: बिहार
कारण: बिहार को आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और औद्योगिकरण में पिछड़ेपन के कारण पिछड़ा राज्य माना जाता है।
कारण: बिहार को आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और औद्योगिकरण में पिछड़ेपन के कारण पिछड़ा राज्य माना जाता है।
BSEB 10th Economics Exercise 1 Solution in Hindi : अर्थव्यवस्था और इसके विकास का इतिहास : Fill in the Blanks
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें। : BSEB 10th Economics Exercise 1 Solution in Hindi
1. भारत अंग्रेजी शासन का एक उपनिवेश था।
2. अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किया।
3. अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की प्रणाली है।
4. द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है।
5. आर्थिक विकास आवश्यक रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है।
6. भारत में आर्थिक विकास का श्रेय नियोजन को दिया जा सकता है।
7. आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है।
8. साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है।
9. बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है।
10. बिहार के विकास में जनसंख्या / बाढ़ / कुशल शासन /… एक बहुत बड़ा बाधक है।
1. भारत अंग्रेजी शासन का एक उपनिवेश था।
2. अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किया।
3. अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की प्रणाली है।
4. द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है।
5. आर्थिक विकास आवश्यक रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है।
6. भारत में आर्थिक विकास का श्रेय नियोजन को दिया जा सकता है।
7. आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है।
8. साधनों के मामले में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति दयनीय है।
9. बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है।
10. बिहार के विकास में जनसंख्या / बाढ़ / कुशल शासन /… एक बहुत बड़ा बाधक है।
BSEB 10th Economics Exercise 1 Solution in Hindi : अर्थव्यवस्था और इसके विकास का इतिहास : Short Question Answer
लघु उत्तरीय प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 1 Solution in Hindi
Q1: अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर : अर्थव्यवस्था एक ऐसा तंत्र या ढाँचा है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ संपादित की जाती है। जैसे :- कृषि, उद्योग, परिवहन, संचार, बैंकिंग
Q2: मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर : मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा निजी व्यक्तियों के पास होता है। भारत की अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
Q3: सतत् विकास क्या है?
उत्तर : ऐसा विकास जिसमें वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढ़ी के विकास का भी ध्यान रखा जाता है, उसे सतत् विकास कहते है।
Q4: आर्थिक नियोजन क्या है?
उत्तर : किसी देश या राष्ट्र के प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना आर्थिक नियोजन कहलाता है।
Q5: मानव विकास रिपोर्ट क्या है?
उत्तर : मानव विकास रिपोर्ट (HDR) में विभिन्न देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, उनका स्वास्थ्य स्थिति एवं प्रतिव्यक्ति आय से की जाती है। यह संयुक्त राष्ट्र विकाश कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी किया जाता है।
Q6: आधारिक संरचना पर प्रकाश डालें।
उत्तर : आधारिक संरचना का मतलब उन सुविधाओं तथा सेवाओं से है जो देश के आर्थिक विकास के लिए सहायक होते हैं। जैसे -बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार हैं, उन्हें देश का आधारिक संरचन (आधारभूत ढाँचा) कहा जाता है। किसी देश के आर्थिक विकास में आधारभूत संरचना का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिस देश का आधारभूत ढाँचा जितना अधिक विकसित होगा, वह देश उतना ही अधिक विकसित होगा।
BSEB 10th Economics Exercise 1 Solution in Hindi : अर्थव्यवस्था और इसके विकास का इतिहास : Long Question Answer
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 1 Solution in Hindi
Q1: अर्थव्यवस्था की संरचना से क्या समझते हैं? इन्हें कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर :
अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में इसके विभाजन से है। अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएं अथवा गतिविधियाँ संपादित की जाती हैं जैसे : कृषि, उद्योग, व्यापार, बैंकिंग, बीमा परिवहन, संचार आदि। इन सभी क्रियाओं को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जाता है-
प्राथमिक क्षेत्र : अर्थव्यवस्था के इस क्षेत्र को कृषि क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते हैं।
द्वितीयक क्षेत्र : द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत खनिज व्यवस्था, निर्माण कार्य, जनोपयोगी सेवाएँ, जैसे – गैस और बिजली आदि के उत्पादन आते हैं।
तृतीयक क्षेत्र : तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं। ये क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र की क्रियाओं को सहायता प्रदान करती हैं। इसलिए इसे सेवा क्षेत्र कहा जाता है।
प्राथमिक क्षेत्र : अर्थव्यवस्था के इस क्षेत्र को कृषि क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते हैं।
द्वितीयक क्षेत्र : द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत खनिज व्यवस्था, निर्माण कार्य, जनोपयोगी सेवाएँ, जैसे – गैस और बिजली आदि के उत्पादन आते हैं।
तृतीयक क्षेत्र : तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं। ये क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र की क्रियाओं को सहायता प्रदान करती हैं। इसलिए इसे सेवा क्षेत्र कहा जाता है।
Q2:
आर्थिक विकास क्या है? आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बतावें।
उत्तर : आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। आर्थिक विकास के द्वारा किसी भी अर्थव्यवस्था में उसके सभी क्षेत्रों जैसे – प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र उत्पादकता का उच्च स्तर प्राप्त किया जाता है।
आर्थिक विकास को लेकर अनेक अर्थशास्त्रियों में मतभेद है। जिसमें से कुछ परिभाषा निम्न है-
प्रोo रोस्टोव के अनुसार – “ आर्थिक विकास एक ओर श्रम-शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का संबंध है। ”
प्रोo मेयर एवं बाल्डविन ने बताया है कि “ आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। ”
आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में कोई अंतर नहीं माना जाता है लेकिन इन दोनों में अर्थशास्त्रियों द्वारा कुछ अंतर स्पष्ट किया गया है जो निम्न है। आर्थिक विकाश शब्द का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में किया जाता है जबकि आर्थिक वृद्धि का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकसित देशों के संबंध में किया जाता है।
अर्थशास्त्री मेडडिसन (Maddison) के अनुसार “ धनी देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर ‘आर्थिक वृद्धि’ का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर ‘आर्थिक विकास’ का सूचक होता है। ”
वास्तव में उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि दोनों ही आर्थिक प्रगति के सूचक हैं और दोनों में स्पष्ट अंतर दिखाई पड़ता है।
आर्थिक विकास को लेकर अनेक अर्थशास्त्रियों में मतभेद है। जिसमें से कुछ परिभाषा निम्न है-
प्रोo रोस्टोव के अनुसार – “ आर्थिक विकास एक ओर श्रम-शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का संबंध है। ”
प्रोo मेयर एवं बाल्डविन ने बताया है कि “ आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। ”
आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में कोई अंतर नहीं माना जाता है लेकिन इन दोनों में अर्थशास्त्रियों द्वारा कुछ अंतर स्पष्ट किया गया है जो निम्न है। आर्थिक विकाश शब्द का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में किया जाता है जबकि आर्थिक वृद्धि का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकसित देशों के संबंध में किया जाता है।
अर्थशास्त्री मेडडिसन (Maddison) के अनुसार “ धनी देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर ‘आर्थिक वृद्धि’ का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर ‘आर्थिक विकास’ का सूचक होता है। ”
वास्तव में उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि दोनों ही आर्थिक प्रगति के सूचक हैं और दोनों में स्पष्ट अंतर दिखाई पड़ता है।
Q3: आर्थिक विकास की माप कुछ सूचकांकों के द्वारा करें।
उत्तर :
किसी भी देश के आर्थिक विकास के माप के लिए अन्तराष्ट्रिय स्तर पर कुछ सूचकांक उपलब्ध है, जिनकी सहायता से किसी भी देश के विकास का अनुमान लगाया जा सकता है। उनमें से कुछ की चर्चा निम्न है-
राष्ट्रीय आय : राष्ट्रीय आय को किसी भी देश के आर्थिक विकास को मापने का एक प्रमुख सूचक माना जाता है। किसी भी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। सामान्य तौर पर जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश विकसित कहलाता है और जिस देश का राष्ट्रीय आय कम होता है वह देश अविकसित कहलाता है।
प्रति व्यक्ति आय : किसी देश के आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है। प्रति व्यक्ति आय किसी देश में रहने वाले व्यक्तियों की औसत आय होती है। जब राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देते है तो जो भागफल प्राप्त होता है, वह प्रति व्यक्ति आय कहलाता है।
प्रतिव्यक्ति आय = (राष्ट्रीय आय) / (कुल जनसंख्या)
मानव विकास सूचकांक : किसी देश के आर्थिक विकास में मानव विकास सूचकांक की भी अहम भूमिका होती है। मानव विकास सूचकांक(Human Development Index) में विभिन्न देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, उनक स्वास्थ्य स्थिति एवं प्रतिव्यक्ति आय पर की जाती है। HDI के आधार पर देशों या किसी राज्यों की मानवीय विकास की गति का अनुमान लगाया जा सकता है।
राष्ट्रीय आय : राष्ट्रीय आय को किसी भी देश के आर्थिक विकास को मापने का एक प्रमुख सूचक माना जाता है। किसी भी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। सामान्य तौर पर जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश विकसित कहलाता है और जिस देश का राष्ट्रीय आय कम होता है वह देश अविकसित कहलाता है।
प्रति व्यक्ति आय : किसी देश के आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है। प्रति व्यक्ति आय किसी देश में रहने वाले व्यक्तियों की औसत आय होती है। जब राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देते है तो जो भागफल प्राप्त होता है, वह प्रति व्यक्ति आय कहलाता है।
प्रतिव्यक्ति आय = (राष्ट्रीय आय) / (कुल जनसंख्या)
मानव विकास सूचकांक : किसी देश के आर्थिक विकास में मानव विकास सूचकांक की भी अहम भूमिका होती है। मानव विकास सूचकांक(Human Development Index) में विभिन्न देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, उनक स्वास्थ्य स्थिति एवं प्रतिव्यक्ति आय पर की जाती है। HDI के आधार पर देशों या किसी राज्यों की मानवीय विकास की गति का अनुमान लगाया जा सकता है।
Q4: बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण हैं? बिहार के पिछड़ेपन दूर करने के लिए कुछ मुख्य उपाय बतावें।
उत्तर :
बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या : बिहार में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते विकास के लिए साधन कम हो जाते हैं। अधिकांश साधन जनसंख्या के कारण-पोषण में खर्च हो जाता है।
2. कृषि पर निर्भरता : बिहार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है। यहाँ की अधिकांश जनता कृषि पर ही निर्भर है। लेकिन बिहार के कृषि की भी हालत ठीक नहीं है। हमारी कृषि काफी पिछड़ी हुई है। इसके चलते उपज कम होती है।
3. औद्योगिक पिछड़ापन : किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए उद्योगों का विकास जरूरी होता है। लेकिन बिहार में औद्योगिक विकास कुछ दिखता ही नहीं है। यहाँ के सभी खानेज क्षेत्र एवं बड़े उद्योग तथा प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी संस्थाएं सभी झारखण्ड में चले गए। इस कारण बिहार में कार्यशील औद्योगिक इकाइयों की संख्या नगण्य ही रह गई है।
4. बाढ़ तथा सूखे से क्षति : बिहार में खास कर उत्तर बिहार में नेपाल से आए जल से बाढ़ आती है। हर साल कम या अधिक बाढ़ का आना बिहार में तय है। इसी तरह सूखे की मार दक्षिणी बिहार को झेलनी पड़ती है। इससे हमारे किसानों को अकाल जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस तरह अपना बिहार बाढ़ तथा सूखा के चपेट में एक साथ रहता है।
5. आधारिक संरचना का अभाव : किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए आधारिक संरचना का होना जरूरी है। लेकिन बिहार इस मामले में पीछे है। राज्य में सड़क, बिजली एवं सिंचाई का अभाव है। साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ भी कम हैं। इस वजह से भी बिहार में पिछड़ेपन की स्थिति कायम है।
6. गरीबी : बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ गरीबी का भार काफी अधिक है। राज्य में प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है। इसके चलते भी बिहार पिछड़ा है।
7. खराब विधि व्यवस्था : किसी भी देश या राज्य विकास के लिए शांति तथा सुव्यवस्था जरूरी होती है। लेकिन बिहार में वर्षों तक कानून व्यवस्था कमजोर स्थिति में थी जिसके चलते नागरिक शांतिपूर्वक उद्योग नहीं चला पा रहे थे। इस तरह खराब विधि व्यवस्था भी बिहार के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है।
8. कुशल प्रशासन का अभाव : बिहार की प्रशासनिक स्थिति ऐसी हो गई है जिसमें पारदर्शिता का अभाव है। इसके कारण आए दिन भ्रष्टाचार के अनेक उदाहरण सामने आते हैं और भ्रष्टाचार किसी भी देश के विकास में बाधक होता है।
बिहार में पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय निम्नलिखित है-
1. जनसंख्या पर नियंत्रण : राज्य में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाया जाए। परिवार नियोजन कार्यक्रमों को लागू किया जाए। इसके लिए राज्य की जनता एवं खास करके महिलाओं में शिक्षा का प्रचार किया जाए।
2. कृषि का तेजी से विकास : बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है। अत: कृषि में नए यंत्रों का प्रयोग किया जाए। उत्तम खाद, उत्तम बीज का प्रयोग किया जाए ताकि उपज में वृद्धि लायी जा सके। इस तरह कृषि का तेजी से विकास कर बिहार का आर्थिक विकास किया जा सकता है।
3. आधारिक संरचना का विकास : बिहार में आधारिक संरचना की काफी कमी है। अतः बिजली का उत्पादन बड़ाया जाए। सड़क-व्यवस्था में सुधार लाया जाए। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाया जाए जिससे विकास की प्रक्रिया आगे बढ़े।
4. उद्योगों का विकास : बिहार से झारखण्ड के अलग होने से यह राज्य लगभग उद्योग विहिन हो गया था। मुख्यतः चीनी मिलें बिहार के हिस्से में रह गई थीं जो अधिकतर बन्द पड़ी थी। लेकिन विगत कुछ वर्षों से देश के विभिन्न भागों में तथा विदेशों से पूँजी निवेश लाने के अनवरत प्रयास किये जा रहे हैं ताकि वर्तमान में जर्जर अवस्था के उद्योगों का पुनर्विकास किया जा सके।
5. बाढ़ एवं सुख पर नियंत्रण : बिहार के विकास में बाढ़ एक बहुत बड़ी बाधा है। फसल का बहुत बड़ा भाग बाढ़ के चलते बर्बाद हो जाता है। जानमाल की भी काफी क्षति होती है। बाढ़ नियंत्रण के लिए नेपाल सरकार से बात कर उचित कदम उठाने की जरूरत है।
बिहार का दक्षिणी हिस्सा सूखे की चपेट में रहता है। इसके लिए सिंचाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाए।
6. स्वच्छ तथा ईमानदार प्रशासन : बिहार के आर्थिक विकास के लिए स्वच्छ, कुशल एवं ईमानदार प्रशासन जरूरी है।
7. केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण : बिहार के विकास के लिए केन्द्र से अधिक मात्रा में संसाधनों के हस्तांतरण की जरूरत है। कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देकर उन्हें अधिक मात्रा में केन्द्रीय सहायता दी जाती है। विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के कारण जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, उत्तर-पूर्व के राज्यों को विशेष सहायता मिलती रही है।
8. गरीबी दूर करना : बिहार में गरीबी का सबसे अधिक प्रभाव है। गरीबी रेखा के नीचे लगभग 42 प्रतिशत से भी अधिक लोग यहाँ जीवन-बसर कर रहे हैं। इनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए। स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए इन्हें प्रशिक्षण दिया जाए।
9. शांति व्यवस्था की स्थापना : बिहार में शांति का माहौल कायम कर व्यापारियों में विश्वास जगाया जा सकता है तथा आर्थिक विकास की गति को तेज किया जा सकता है।
1. तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या : बिहार में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते विकास के लिए साधन कम हो जाते हैं। अधिकांश साधन जनसंख्या के कारण-पोषण में खर्च हो जाता है।
2. कृषि पर निर्भरता : बिहार की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है। यहाँ की अधिकांश जनता कृषि पर ही निर्भर है। लेकिन बिहार के कृषि की भी हालत ठीक नहीं है। हमारी कृषि काफी पिछड़ी हुई है। इसके चलते उपज कम होती है।
3. औद्योगिक पिछड़ापन : किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए उद्योगों का विकास जरूरी होता है। लेकिन बिहार में औद्योगिक विकास कुछ दिखता ही नहीं है। यहाँ के सभी खानेज क्षेत्र एवं बड़े उद्योग तथा प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी संस्थाएं सभी झारखण्ड में चले गए। इस कारण बिहार में कार्यशील औद्योगिक इकाइयों की संख्या नगण्य ही रह गई है।
4. बाढ़ तथा सूखे से क्षति : बिहार में खास कर उत्तर बिहार में नेपाल से आए जल से बाढ़ आती है। हर साल कम या अधिक बाढ़ का आना बिहार में तय है। इसी तरह सूखे की मार दक्षिणी बिहार को झेलनी पड़ती है। इससे हमारे किसानों को अकाल जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस तरह अपना बिहार बाढ़ तथा सूखा के चपेट में एक साथ रहता है।
5. आधारिक संरचना का अभाव : किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए आधारिक संरचना का होना जरूरी है। लेकिन बिहार इस मामले में पीछे है। राज्य में सड़क, बिजली एवं सिंचाई का अभाव है। साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ भी कम हैं। इस वजह से भी बिहार में पिछड़ेपन की स्थिति कायम है।
6. गरीबी : बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ गरीबी का भार काफी अधिक है। राज्य में प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है। इसके चलते भी बिहार पिछड़ा है।
7. खराब विधि व्यवस्था : किसी भी देश या राज्य विकास के लिए शांति तथा सुव्यवस्था जरूरी होती है। लेकिन बिहार में वर्षों तक कानून व्यवस्था कमजोर स्थिति में थी जिसके चलते नागरिक शांतिपूर्वक उद्योग नहीं चला पा रहे थे। इस तरह खराब विधि व्यवस्था भी बिहार के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है।
8. कुशल प्रशासन का अभाव : बिहार की प्रशासनिक स्थिति ऐसी हो गई है जिसमें पारदर्शिता का अभाव है। इसके कारण आए दिन भ्रष्टाचार के अनेक उदाहरण सामने आते हैं और भ्रष्टाचार किसी भी देश के विकास में बाधक होता है।
बिहार में पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय निम्नलिखित है-
1. जनसंख्या पर नियंत्रण : राज्य में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाया जाए। परिवार नियोजन कार्यक्रमों को लागू किया जाए। इसके लिए राज्य की जनता एवं खास करके महिलाओं में शिक्षा का प्रचार किया जाए।
2. कृषि का तेजी से विकास : बिहार में कृषि ही जीवन का आधार है। अत: कृषि में नए यंत्रों का प्रयोग किया जाए। उत्तम खाद, उत्तम बीज का प्रयोग किया जाए ताकि उपज में वृद्धि लायी जा सके। इस तरह कृषि का तेजी से विकास कर बिहार का आर्थिक विकास किया जा सकता है।
3. आधारिक संरचना का विकास : बिहार में आधारिक संरचना की काफी कमी है। अतः बिजली का उत्पादन बड़ाया जाए। सड़क-व्यवस्था में सुधार लाया जाए। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाया जाए जिससे विकास की प्रक्रिया आगे बढ़े।
4. उद्योगों का विकास : बिहार से झारखण्ड के अलग होने से यह राज्य लगभग उद्योग विहिन हो गया था। मुख्यतः चीनी मिलें बिहार के हिस्से में रह गई थीं जो अधिकतर बन्द पड़ी थी। लेकिन विगत कुछ वर्षों से देश के विभिन्न भागों में तथा विदेशों से पूँजी निवेश लाने के अनवरत प्रयास किये जा रहे हैं ताकि वर्तमान में जर्जर अवस्था के उद्योगों का पुनर्विकास किया जा सके।
5. बाढ़ एवं सुख पर नियंत्रण : बिहार के विकास में बाढ़ एक बहुत बड़ी बाधा है। फसल का बहुत बड़ा भाग बाढ़ के चलते बर्बाद हो जाता है। जानमाल की भी काफी क्षति होती है। बाढ़ नियंत्रण के लिए नेपाल सरकार से बात कर उचित कदम उठाने की जरूरत है।
बिहार का दक्षिणी हिस्सा सूखे की चपेट में रहता है। इसके लिए सिंचाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाए।
6. स्वच्छ तथा ईमानदार प्रशासन : बिहार के आर्थिक विकास के लिए स्वच्छ, कुशल एवं ईमानदार प्रशासन जरूरी है।
7. केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण : बिहार के विकास के लिए केन्द्र से अधिक मात्रा में संसाधनों के हस्तांतरण की जरूरत है। कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देकर उन्हें अधिक मात्रा में केन्द्रीय सहायता दी जाती है। विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के कारण जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, उत्तर-पूर्व के राज्यों को विशेष सहायता मिलती रही है।
8. गरीबी दूर करना : बिहार में गरीबी का सबसे अधिक प्रभाव है। गरीबी रेखा के नीचे लगभग 42 प्रतिशत से भी अधिक लोग यहाँ जीवन-बसर कर रहे हैं। इनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए। स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए इन्हें प्रशिक्षण दिया जाए।
9. शांति व्यवस्था की स्थापना : बिहार में शांति का माहौल कायम कर व्यापारियों में विश्वास जगाया जा सकता है तथा आर्थिक विकास की गति को तेज किया जा सकता है।
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