
Bihar Board Class10 Economics All Chapters Exercise Solutions : BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi : वैश्वीकरण
वैश्वीकरण अध्याय 6 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi
सही विकल्प चुनें।
Q1: नई आर्थिक नीति में किसे सम्मिलित किया गया?
[क] उदारीकरण
[ख] निजीकरण
[ग] वैश्वीकरण
[घ] उपयुक्त सभी
✔ सही उत्तर: उपयुक्त सभी
कारण: 1991 की नई आर्थिक नीति में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण को सम्मिलित किया गया था।
कारण: 1991 की नई आर्थिक नीति में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण को सम्मिलित किया गया था।
Q2: वैश्वीकरण के मुख्य अंग कितने हैं?
[क] एक
[ख] दो
[ग] पाँच
[घ] चार
✔ सही उत्तर: पाँच
कारण: वैश्वीकरण के 5 मुख्य अंग होते हैं।
कारण: वैश्वीकरण के 5 मुख्य अंग होते हैं।
Q3: इनमें से कौन बहुराष्ट्रीय कम्पनी है?
[क] फोर्ड मोटर्स
[ख] सैमसंग
[ग] कोका-कोला
[घ] इनमें से सभी
✔ सही उत्तर: इनमें से सभी
कारण: फोर्ड मोटर्स, सैमसंग और कोका-कोला सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हैं, जो कई देशों में अपना व्यवसाय करती हैं।
कारण: फोर्ड मोटर्स, सैमसंग और कोका-कोला सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हैं, जो कई देशों में अपना व्यवसाय करती हैं।
Q4: वैश्वीकरण का अर्थ है –
[क] विदेशी पूँजी एवं विनियोग पर रोक
[ख] व्यापार, पूँजी, तकनीक हस्तांतरण, सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
[ग] सरकारीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाना
[घ] इनमें कोई नहीं
✔ सही उत्तर: व्यापार, पूँजी, तकनीक हस्तांतरण, सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
कारण: वैश्वीकरण का अर्थ एक देश की अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना होता है।
कारण: वैश्वीकरण का अर्थ एक देश की अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना होता है।
Q5: पारले समूह के ‘थम्स अप’ को किस बहुराष्ट्रीय कम्पनी ने खरीद लिया?
[क] कोका-कोला
[ख] एलo जीo
[ग] रिबॉक
[घ] नोकिया
✔ सही उत्तर: कोका-कोला
कारण: 1993 में कोका-कोला ने पारले समूह से थम्स अप ब्रांड को खरीद लिया।
कारण: 1993 में कोका-कोला ने पारले समूह से थम्स अप ब्रांड को खरीद लिया।
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BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi : वैश्वीकरण : Fill in the Blanks
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें। : BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi
1. वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय।
2. व्यापार, पूँजी, तकनीक, हस्तांतरण, सूचना प्रवाह के माध्यम से वैश्वीकरण को बढ़ावा मिलता है।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही है।
4. विदेशी व्यापार विश्व के देशों के बाजारों को जोड़ने का कार्य करते हैं।
5. W.T.O. (World Trade Organisation) की स्थापना सन् 1995 में की गई।
1. वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय।
2. व्यापार, पूँजी, तकनीक, हस्तांतरण, सूचना प्रवाह के माध्यम से वैश्वीकरण को बढ़ावा मिलता है।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही है।
4. विदेशी व्यापार विश्व के देशों के बाजारों को जोड़ने का कार्य करते हैं।
5. W.T.O. (World Trade Organisation) की स्थापना सन् 1995 में की गई।
BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi : वैश्वीकरण : Short Question Answer
लघु उत्तरीय प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi
Q1:
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय या एकीकरण किया जाता है। ताकि वस्तुओं एवं सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी और श्रम का निर्बाध प्रवाह हो सके।
Q2:
बहुराष्ट्रीय कम्पनी किसको कहते हैं?
उत्तर :
वह कंपनी, जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व स्वामित्व रखती हो, बहुराष्ट्रीय कंपनी कहलाती है। जैसे :- कोका-कोला, फोर्ड, एलo जीo आदि
Q3:
विश्व व्यापार संगठन क्या है? यह कब और क्यों स्थापित किया गया?
उत्तर :
विश्व व्यापार संगठन एक अन्तराष्ट्रिय संगठन है, जिसका उद्देश्य अन्तराष्ट्रिय व्यापार को उदार बनाना है। यह जनवरी 1995 में अन्तराष्ट्रिय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित, देख रेख और नियमों को लागू एवं पालन कराने के लिए स्थापित किया गया था।
Q4:
भारत में सन् 1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
भारत ने सन् 1991 में अन्तराष्ट्रिय व्यापार के नियमों को लेकर कुछ आर्थिक सुधार किए जिसे LPG के नाम से जाना जाता है। ये आर्थिक सुधार उदारीकरण (Liberalisation), निजीकरण (Privatisation) तथा वैश्वीयकरण (Globalisation) की नीतियों पर आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के अर्थव्यवस्था में कुशलता, उत्पादकता, लाभदायकता एवं प्रतियोगिता की शक्ति के स्तरों में वृद्धि करना था।
Q5:
उदारीकरण को परिभाषित करें।
उत्तर :
उदारीकरण अर्थ राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रिय कंपनियों से अनेक क्षेत्रों में सरकारी नियंत्रणों को कम करना है। 1991 के आर्थिक सुधार में भारत सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनायी और अनेक अनावश्यक नियंत्रणों एवं प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय लिया। जैसे :- लाइसेंस, कोटा आदि
Q6:
निजीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
निजीकरण का अभिप्राय, निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना है।
BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi : वैश्वीकरण : Long Question Answer
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : BSEB 10th Economics Exercise 6 Solution in Hindi
Q1:
एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय पर किन बातों का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी का किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय कई बातों पर निर्भर करता है। कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी अपना उत्पादन इकाई किसी भी देश में उत्पादन लागत को कम करने तथा अधिक से अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से लगती हैं। जैसे
– जहाँ उत्पादन इकाई बनाने के लिए सस्ता भूमि उपलब्ध हो।
– जहाँ आधारभूत संरचना का पूर्ण विकास हो।
– जहाँ सस्ता श्रम एवं सस्ता कच्चा माल मिल सके।
– जहाँ की सरकार उस बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए उदार नीति अपनाती हो। जैसे- टैक्स में छूट
– जहाँ से उत्पादित वस्तुओं के उपभोग के लिए नजदीक बाजार उपलब्ध हो।
उदाहरण के रूप में, भारत के लिए भारत के उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन की बड़ी कंपनी “डाबर” अपनी वस्तु का उत्पादन सस्ती भूमि एवं श्रम की उपलब्धता के कारण नेपाल में भी करती है। इसके अतिरिक्त अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विभिन्न देशों में विभिन्न प्रकार का उत्पादन करती हैं।
– जहाँ उत्पादन इकाई बनाने के लिए सस्ता भूमि उपलब्ध हो।
– जहाँ आधारभूत संरचना का पूर्ण विकास हो।
– जहाँ सस्ता श्रम एवं सस्ता कच्चा माल मिल सके।
– जहाँ की सरकार उस बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए उदार नीति अपनाती हो। जैसे- टैक्स में छूट
– जहाँ से उत्पादित वस्तुओं के उपभोग के लिए नजदीक बाजार उपलब्ध हो।
उदाहरण के रूप में, भारत के लिए भारत के उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन की बड़ी कंपनी “डाबर” अपनी वस्तु का उत्पादन सस्ती भूमि एवं श्रम की उपलब्धता के कारण नेपाल में भी करती है। इसके अतिरिक्त अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विभिन्न देशों में विभिन्न प्रकार का उत्पादन करती हैं।
Q2:
वैश्वीकरण का बिहार पर पड़े प्रभावों को बताएँ।
उत्तर :
वैश्वीकरण के कारण वास्तव में बिहार का आर्थिक परिवेश बदला है। इसके कारण बिहार पूरे विश्व से जुड़ा है। वैश्वीकरण से बिहार पर सकरात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है।
सकारात्मक प्रभाव :
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि : बिहार की कृषि मानसून पर आश्रित रहती है। लेकिन वैश्वीकरण के कारण तकनीक एवं उच्च गुणवता के बीज के कारण बिहार की कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
2. निर्यातों में वृद्धि : वैश्वीकरण के कारण बिहार में लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं, खाद्य एवं व्यावसायिक फसलों आदि के निर्यात में वृद्धि हुई है।
3. विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग की प्राप्ति : वैश्वीकरण के कारण बिहार में भी विदेशी विनियोग प्रत्यक्ष रूप से बढ़ा है। लेकिन आधारिक संरचना के अभाव के कारण अभी कम निवेश प्राप्त है। भविष्य में बढ़ने की संभावना है।
4. विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता : वैश्वीकरण के कारण बिहार में विश्वस्तरीय वस्तुएं भी उपलब्ध हो गई है। जिसे कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है। जैसे : विदेशी कंपनियों के मोबाइल, जूते, कारें, खाद्य-पदार्थ आदि।
5. रोजगार के अवसरों में वृद्धि : वैश्वीकरण के कारण बिहार में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। बिहार में उच्च शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के लिए विदेशों तथा देश के अन्य भागों में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हुए हैं।
नकारात्मक प्रभाव :
1. कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा : बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ बड़े पैमाने पर उद्योग-धंधे काफी कम है। राज्य में कृषि पर किया गया निवेश संतोषजनक नहीं है। यहाँ कृषि आधारित उद्योगों के विकास की संभावना काफी है। लेकिन, इन उद्योगों में वैश्वीकरण के पश्चात जितना निवेश होना चाहिए, उतना नहीं हुआ।
2. कुटीर एवं लघु उद्योगों पर विपरीत प्रभाव : बिहार में बड़े पैमाने के उद्योग-धंधे कम हैं। यहाँ कुटीर एवं उद्योग ज्यादा हैं। वैश्वीयकरण के कारण छोटे पैमाने के उद्योगों, जियसे कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग, के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है क्योंकि उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं को बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं का सामना करना पड़ता है जो क्वालिटी में इनसे अच्छी एवं सस्ती होती हैं।
3. रोजगार पर विपरीत प्रभाव : चूँकि बिहार में छोटे पैमाने के उद्योगों-धंधे ज्यादा हैं जिसे कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग आदि। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के आने से इन उद्योगों की बहुत सारी इकाईयां बंद हो गई। जिसके कारण बहुत सारे श्रमिक बेरोजगार हो गए। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश कंपनियां श्रम-लागत में कटौती करती है।
4. आधारभूत संरचना के कम विकास के कारण कम निवेश : किसी भी देश या राज्य के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आधारभूत संरचना निभाती हैं। यहाँ अच्छी सड़के, 24 घंटे बिजली की उपलब्धता, विश्वस्तरीय होटल एवं हवाई अड्डा, उच्च प्रशिक्षण केंद्र आदि की कमी है। इसके कमी के कारण विदेशी निवेश में भी कमी है। बिहार सरकार पिछले कुछ वर्षों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं।
सकारात्मक प्रभाव :
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि : बिहार की कृषि मानसून पर आश्रित रहती है। लेकिन वैश्वीकरण के कारण तकनीक एवं उच्च गुणवता के बीज के कारण बिहार की कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
2. निर्यातों में वृद्धि : वैश्वीकरण के कारण बिहार में लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं, खाद्य एवं व्यावसायिक फसलों आदि के निर्यात में वृद्धि हुई है।
3. विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग की प्राप्ति : वैश्वीकरण के कारण बिहार में भी विदेशी विनियोग प्रत्यक्ष रूप से बढ़ा है। लेकिन आधारिक संरचना के अभाव के कारण अभी कम निवेश प्राप्त है। भविष्य में बढ़ने की संभावना है।
4. विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता : वैश्वीकरण के कारण बिहार में विश्वस्तरीय वस्तुएं भी उपलब्ध हो गई है। जिसे कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है। जैसे : विदेशी कंपनियों के मोबाइल, जूते, कारें, खाद्य-पदार्थ आदि।
5. रोजगार के अवसरों में वृद्धि : वैश्वीकरण के कारण बिहार में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। बिहार में उच्च शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के लिए विदेशों तथा देश के अन्य भागों में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हुए हैं।
नकारात्मक प्रभाव :
1. कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा : बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ बड़े पैमाने पर उद्योग-धंधे काफी कम है। राज्य में कृषि पर किया गया निवेश संतोषजनक नहीं है। यहाँ कृषि आधारित उद्योगों के विकास की संभावना काफी है। लेकिन, इन उद्योगों में वैश्वीकरण के पश्चात जितना निवेश होना चाहिए, उतना नहीं हुआ।
2. कुटीर एवं लघु उद्योगों पर विपरीत प्रभाव : बिहार में बड़े पैमाने के उद्योग-धंधे कम हैं। यहाँ कुटीर एवं उद्योग ज्यादा हैं। वैश्वीयकरण के कारण छोटे पैमाने के उद्योगों, जियसे कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग, के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है क्योंकि उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं को बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं का सामना करना पड़ता है जो क्वालिटी में इनसे अच्छी एवं सस्ती होती हैं।
3. रोजगार पर विपरीत प्रभाव : चूँकि बिहार में छोटे पैमाने के उद्योगों-धंधे ज्यादा हैं जिसे कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग आदि। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के आने से इन उद्योगों की बहुत सारी इकाईयां बंद हो गई। जिसके कारण बहुत सारे श्रमिक बेरोजगार हो गए। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश कंपनियां श्रम-लागत में कटौती करती है।
4. आधारभूत संरचना के कम विकास के कारण कम निवेश : किसी भी देश या राज्य के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आधारभूत संरचना निभाती हैं। यहाँ अच्छी सड़के, 24 घंटे बिजली की उपलब्धता, विश्वस्तरीय होटल एवं हवाई अड्डा, उच्च प्रशिक्षण केंद्र आदि की कमी है। इसके कमी के कारण विदेशी निवेश में भी कमी है। बिहार सरकार पिछले कुछ वर्षों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं।
Q3:
भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर :
भारत एक विकासशील देश है तथा इसकी जनसंख्या अधिक होने के कारण यह एक बहुत बड़ा बाजार भी है। भारत सहित विश्व की कई देशों में वैश्वीकरण को लेकर वाद-विवाद छिड़ा हुआ है। वैश्वीकरण ने भारत के लिए एक ओर बहुत ही अच्छे अवसर प्रदान किए तो दूसरी ओर कुछ बुरे प्रभाव भी छोड़ कर गया है। यहाँ हम वैश्वीकरण के भारत के पक्ष में तर्क की बात करेंगे।
1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन : वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा। जिससे भारत जैसा विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेंगे।
2. प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि : वैश्वीकरण की नीति के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देशों की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था का त्वरित विकास हो सकेगा ।
3. नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक : वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा तैयार की गई नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करता है।
4. अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति : वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी-अच्छी गुणवत्ता की उपभोग वस्तुओं को सापेक्षतः कम कीमत पर प्राप्त करने के योग्य बनाता है ।
5. नये बाजार तक पहुँच : वैश्वीकरण के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देश के लिए दुनिया के बाजारों तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।
6. उत्पादन के स्तर को उन्नत करना : वैश्वीकरण के द्वारा उन्नत मशीन तथा तकनीक के प्रयोग से उत्पादन के स्तर को उठाया जा सकता है।
7. बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सुधार : वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के अन्य देशों के संपर्क में आने से बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र की कुशलता में सुधार होगा।
8. मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास : शिक्षा तथा कौशल प्रशिक्षण वैश्वीकरण के प्रमुख घटक हैं। इससे मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है।
1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन : वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा। जिससे भारत जैसा विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेंगे।
2. प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि : वैश्वीकरण की नीति के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देशों की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था का त्वरित विकास हो सकेगा ।
3. नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक : वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा तैयार की गई नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करता है।
4. अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति : वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी-अच्छी गुणवत्ता की उपभोग वस्तुओं को सापेक्षतः कम कीमत पर प्राप्त करने के योग्य बनाता है ।
5. नये बाजार तक पहुँच : वैश्वीकरण के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देश के लिए दुनिया के बाजारों तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।
6. उत्पादन के स्तर को उन्नत करना : वैश्वीकरण के द्वारा उन्नत मशीन तथा तकनीक के प्रयोग से उत्पादन के स्तर को उठाया जा सकता है।
7. बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सुधार : वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के अन्य देशों के संपर्क में आने से बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र की कुशलता में सुधार होगा।
8. मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास : शिक्षा तथा कौशल प्रशिक्षण वैश्वीकरण के प्रमुख घटक हैं। इससे मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है।
Q4:
वैश्वीकरण का आम आदमी पर पड़े प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर :
वैश्वीकरण का आम आदमी पर सकरात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। एक ओर वैश्वीकरण से पूरा विश्व एक दूसरे से जुड़ा है अपनी तकनिक साझा कर रहा है, तो दूसरी ओर देश में बड़ी पूँजी वाली कंपनियों के आ जाने से छोटे उत्पादकों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर सकरात्मक प्रभाव –
1. उपयोग के आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता : वैश्वीकरण के कारण दुनिया के सभी देशों के उच्चतम(अच्छे) उत्पादन लोगों को उपयोग के लिए उपलब्ध हो गया है। उदाहरण के लिए पहले जहाँ आम आदमी रेडियो से मनोरंजन प्राप्त करता था। अब उनके लिए विभिन्न कंपनियों की रंगीन टेलीविजन जैसी चीजों की उपलब्धता हो गई है।
2. रोजगार की बढ़ी हुई संभावना : वैश्वीकरण के कारण औद्योगिक प्रसार होने के कारण रोजगार के नए-नए क्षेत्र खुल गए हैं। जिससे कुशल श्रमिकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो गए हैं।
3. आधुनिकतम तकनीक की उपलब्धता : वैश्वीकरण के कारण विश्व के विकसित देशों के आधुनिकतम तकनीक अन्य विकासशील देशों में आसानी से उपलब्ध होने लगा है। जिससे आम लोगों के लिए आधुनिकतम तकनीक के उपयोग का दरवाजा खुल गया है।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर नकारात्मक प्रभाव-
1. सामान्यतः कम कुशल लोगों में बेरोजगारी बढ़ने की आशंका : वैश्वीकरण के कारण आधुनिक संयंत्रों से मशीनी उत्पादन को बढ़ावा मिला है, जिसके कारण समाज के अधिकतम श्रम-शक्ति जो अर्ध-कुशल या अकुशल हैं, ऐसे लोगों में बेरोजगारी के बढ़ने की संभावना हो गई है।
2. उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतियोगिता : वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से देश के अंदर के उत्पादकों को विदेशी वस्तुओं से प्रतियोगिता करनी पड़ रही है जो उन्नत तकनीक के कारण उच्च स्तर के होते हैं तथा अत्याधुनिक पैकिंग के कारण आकर्षक दिखते हैं।
3. श्रम-संगठनों पर बुरा प्रभाव : श्रमिक संगठनों के द्वारा आम मजदूरों की न्यूनतम माँगों को संगठित रूप से माँग की जाती है जिससे श्रमिकों को सामान्य वेतन एवं सुविधाएँ उपलब्ध होने लगती है। अब वैश्वीकरण के कारण श्रम कानूनों में लचीलापन आया है जिससे श्रमिक संगठन भी कमजोर हो गया है इससे आम श्रमिकों की उचित सेवा-सुविधाओं को मिलने में अधिक कठिनाई आने लगी है।
4. मध्यम एवं छोटे उत्पादकों की कठिनाई : वैश्वीकरण के कारण मध्यम एवं छोटे उत्पादकों के लिए अपने उत्पादन को सक्षम बनाए रखने में अनेक कठिनाइयाँ होने लगी हैं प्रकृति का यह एक सामान्य नियम है कि पानी में बड़ी मछलियाँ, छोटी मछलियों को खा जाती है। उसी तरह वैश्वीकरण के कारण जो बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ देश में आने लगी है उससे मध्यम और छोटे उद्योग और व्यवसाय के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
5. कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र का संकट : वैश्वीकरण के कारण अब देश और विदेश के बड़े-बड़े पूँजीपति फार्म हाऊस बनाने लगे हैं जिसमें कृषि के क्षेत्र में भी अधिक पूँजी निवेश के द्वारा कम श्रम-शक्ति से ही अधिक उत्पादन प्राप्त करने लगे हैं। इस स्थिति में गाँव के मध्यम एवं छोटे श्रेणी के किसानों के लिए अनेक प्रकार का संकट उत्पन्न हो गया हैं। सच कहा जाए तो, भारत जैसे विकासशील देश में आम लोगों पर वैश्वीकरण का कुछ अनुकूल एवं अधिक विपरीत प्रभाव ही पड़ा है।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर सकरात्मक प्रभाव –
1. उपयोग के आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता : वैश्वीकरण के कारण दुनिया के सभी देशों के उच्चतम(अच्छे) उत्पादन लोगों को उपयोग के लिए उपलब्ध हो गया है। उदाहरण के लिए पहले जहाँ आम आदमी रेडियो से मनोरंजन प्राप्त करता था। अब उनके लिए विभिन्न कंपनियों की रंगीन टेलीविजन जैसी चीजों की उपलब्धता हो गई है।
2. रोजगार की बढ़ी हुई संभावना : वैश्वीकरण के कारण औद्योगिक प्रसार होने के कारण रोजगार के नए-नए क्षेत्र खुल गए हैं। जिससे कुशल श्रमिकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो गए हैं।
3. आधुनिकतम तकनीक की उपलब्धता : वैश्वीकरण के कारण विश्व के विकसित देशों के आधुनिकतम तकनीक अन्य विकासशील देशों में आसानी से उपलब्ध होने लगा है। जिससे आम लोगों के लिए आधुनिकतम तकनीक के उपयोग का दरवाजा खुल गया है।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर नकारात्मक प्रभाव-
1. सामान्यतः कम कुशल लोगों में बेरोजगारी बढ़ने की आशंका : वैश्वीकरण के कारण आधुनिक संयंत्रों से मशीनी उत्पादन को बढ़ावा मिला है, जिसके कारण समाज के अधिकतम श्रम-शक्ति जो अर्ध-कुशल या अकुशल हैं, ऐसे लोगों में बेरोजगारी के बढ़ने की संभावना हो गई है।
2. उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतियोगिता : वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से देश के अंदर के उत्पादकों को विदेशी वस्तुओं से प्रतियोगिता करनी पड़ रही है जो उन्नत तकनीक के कारण उच्च स्तर के होते हैं तथा अत्याधुनिक पैकिंग के कारण आकर्षक दिखते हैं।
3. श्रम-संगठनों पर बुरा प्रभाव : श्रमिक संगठनों के द्वारा आम मजदूरों की न्यूनतम माँगों को संगठित रूप से माँग की जाती है जिससे श्रमिकों को सामान्य वेतन एवं सुविधाएँ उपलब्ध होने लगती है। अब वैश्वीकरण के कारण श्रम कानूनों में लचीलापन आया है जिससे श्रमिक संगठन भी कमजोर हो गया है इससे आम श्रमिकों की उचित सेवा-सुविधाओं को मिलने में अधिक कठिनाई आने लगी है।
4. मध्यम एवं छोटे उत्पादकों की कठिनाई : वैश्वीकरण के कारण मध्यम एवं छोटे उत्पादकों के लिए अपने उत्पादन को सक्षम बनाए रखने में अनेक कठिनाइयाँ होने लगी हैं प्रकृति का यह एक सामान्य नियम है कि पानी में बड़ी मछलियाँ, छोटी मछलियों को खा जाती है। उसी तरह वैश्वीकरण के कारण जो बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ देश में आने लगी है उससे मध्यम और छोटे उद्योग और व्यवसाय के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
5. कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र का संकट : वैश्वीकरण के कारण अब देश और विदेश के बड़े-बड़े पूँजीपति फार्म हाऊस बनाने लगे हैं जिसमें कृषि के क्षेत्र में भी अधिक पूँजी निवेश के द्वारा कम श्रम-शक्ति से ही अधिक उत्पादन प्राप्त करने लगे हैं। इस स्थिति में गाँव के मध्यम एवं छोटे श्रेणी के किसानों के लिए अनेक प्रकार का संकट उत्पन्न हो गया हैं। सच कहा जाए तो, भारत जैसे विकासशील देश में आम लोगों पर वैश्वीकरण का कुछ अनुकूल एवं अधिक विपरीत प्रभाव ही पड़ा है।
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