BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-10 Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-10 Solution

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Bihar Board 10th Hindi Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-10 Solution । अक्षर-ज्ञान व्याख्या और important Objectives

इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी की काव्य पुस्तक “गोधूली” के दसवें अध्याय “अक्षर ज्ञान” के काव्य का व्याख्या, सभी प्रश्नों के समाधान (Solutions), महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions) और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Questions) को विस्तार से देखने वाले हैं।
बिहार बोर्ड के छात्र/छात्राएँ इस पोस्ट को पूरा अंत तक पढ़े। इसके पढ़ने से इस अध्याय के सभी डाउट खत्म हो जाएँगे और आप बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में बहुत मददगार होगा। साथ ही आप सभी इस अध्याय के सभी प्रश्नोत्तरों एवं व्याख्याओं का PDF भी आप निशुल्क डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। PDF लिंक नीचे उपलब्ध है, जिससे आप इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं।

कवित्री अनामिका का संक्षिप्त परिचय

अध्याय -10 अक्षर-ज्ञान
पूरा नाम अनामिका
काल समकालीन हिंदी कविता
जन्म 17 अगस्त 1961 ई.
जन्म स्थान मुजफ्फरपुर, बिहार
पिता का नाम श्यामनंदन किशोर
शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय, एम.ए. अंग्रेजी, Ph.D.
प्रमुख पद सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, अंग्रेजी विभाग प्राध्यापिका
प्रमुख काव्य संकलन ‘गलत पते की चि‌ट्ठी’, ‘बीजाक्षर’, ‘अनुष्टुप’
आलोचना ‘पोस्ट-एलिएट पोएट्री’, ‘स्त्रीत्व का मानचित्र’
संपादन ‘कहती हैं औरतें’ (काव्य संकलन)
सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार (2020, ‘टोकरी में दिगन्त थेरीगाथा’), राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार, ऋतुराज साहित्यकार सम्मान
विशेषता समकालीन हिंदी कविता में अलग पहचान, स्त्री विमर्श में सक्रिय, वस्तुपरक समसामयिक बोध, संघर्षशील वचन, हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लेखन

व्याख्या

अक्षर-ज्ञान

“चौखटे में नहीं अँटता
बेटे का ‘क’
कबूतर ही है न फुदक जाता है जरा-सा !”

व्याख्या – कवयित्री यहाँ बच्चे के पहले अक्षर ‘क’ की अस्थिरता दिखाती हैं। ‘क’ को पकड़ना मुश्किल है, यह चौखटे में अँटने जैसा नहीं है। ‘क’ फुदक जाता है, बिलकुल जैसे बच्चा अपने पहले अनुभव में निश्चिंत नहीं होता।

“पंक्ति से उतर जाता है
उसका ‘ख’
खरगोश की खालिस बेचैनी में !”

व्याख्या – ‘ख’ अक्षर सीखते समय बच्चा बेचैन है। कवयित्री इसे खरगोश की बेचैनी से तुलना करती हैं। पंक्ति से उतरना यह दर्शाता है कि बच्चा नियम और सीमा में स्थिर नहीं रहता, बल्कि उत्सुकता और जिज्ञासा के साथ झूलता है।

“गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
‘ङ’ पर आकर थमक जाता है
उससे नहीं सधता है ‘ङ’।”

व्याख्या – कवयित्री वर्ण ‘ग’ और ‘घ’ के माध्यम से बच्चे की अस्थिरता और गिरने-उठने की प्रक्रिया दिखाती हैं। ‘ङ’ पर रुकना यह बताता है कि कुछ अक्षरों को सीखना चुनौतीपूर्ण है और बच्चे की समझ अभी पूर्ण नहीं।

“‘ङ’ के ‘ड’ को वह समझता है ‘माँ’
और उसके बगल के बिंदु (.) को मानता है
गोदी में बैठा ‘बेटा’
माँ-बेटे सधते नहीं उससे”

व्याख्या – यहाँ कवयित्री बच्चे की कल्पनाशक्ति और भावनाओं को दिखाती हैं। बच्चा ‘ङ’ के ‘ड’ को ‘माँ’ समझता है, यानी वह अपने अनुभव और जुड़ाव से अक्षरों को अर्थ देता है। माँ-बेटे के बीच अस्थिरता और प्रयास कवयित्री की संवेदनशील नजर से व्यक्त हुई है।

“और उन्हें लिख लेने की अनवरत कोशिश में
उसके आ आते हैं आँसू
पहली विफलता पर छलके ये आँसू ही
हैं शायद प्रथमाक्षर
सृष्टि की विकास-कथा के।”

व्याख्या – कवयित्री बताती हैं कि बच्चा लगातार लिखने और सीखने की कोशिश करता है। पहली विफलता पर आँसू निकलते हैं। ये आँसू सिर्फ भावनाओं का प्रतीक नहीं, बल्कि सीखने की शुरुआत और सृजन की प्रक्रिया का प्रतीक हैं। यही प्रथमाक्षर हैं, जो सृष्टि के विकास और मानव की शिक्षा-कथा की शुरुआत हैं।

[Note] : इस कविता का निष्कर्ष यह है कि यह बच्चे की सीखने और सृजन की प्रक्रिया को बहुत ही संवेदनशील और प्रतीकात्मक रूप में दर्शाती है। कविता में वर्णों के माध्यम से बच्चे की शुरुआती अस्थिरता, जिज्ञासा और प्रयास को उजागर किया गया है। ‘क’ से लेकर ‘ङ’ तक अक्षरों की अस्थिरता, फुदकना और गिरना यह दिखाता है कि ज्ञान और लेखन की शुरुआत में बच्चा पूर्ण रूप से स्थिर और निपुण नहीं होता। बच्चे की कोशिशों में विफलता आती है, और पहले प्रयास में ही उसके आँसू छलक पड़ते हैं। कवयित्री इसे न केवल भावनाओं के प्रतीक के रूप में दिखाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि यही कठिनाइयाँ और प्रयास अंततः प्रथमाक्षर और सृजन की नींव बनते हैं।
इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सीखने और विकास की प्रक्रिया में धैर्य और लगातार प्रयास की आवश्यकता होती है। शुरुआती असफलताएँ सामान्य हैं और इन्हें अनुभव और सृजन की प्रक्रिया का हिस्सा मानना चाहिए। जैसे बच्चे अक्षर सीखते-सिखाते हैं और बार-बार कोशिश करते हैं, उसी तरह जीवन में भी कठिनाइयों और असफलताओं का सामना धैर्य और उत्साह के साथ करना चाहिए। कविता यह भी सिखाती है कि सृजन, चाहे वह लेखन हो या कोई अन्य कार्य, संघर्ष और भावनाओं के साथ शुरू होता है। यही प्रारंभिक अस्थिरताएँ और प्रयास अंततः सफलता और विकास की दिशा में मार्गदर्शक बनते हैं।

बोध और अभ्यास

कविता के साथ

Q1: कविता में तीन उपस्थितियाँ हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर : प्रस्तुत कविता में प्रवेश, बोध और विकास ये तीन उपस्थितियाँ हैं।
1. प्रवेश: अक्षर ज्ञान की प्रक्रिया सबसे पहले प्रवेश के वातावरण में शुरू होती है। यहाँ अक्षरों की रेखाएँ जैसे ‘क’, ‘ख’ प्रारंभ से अंत तक सिमटती और सिकुड़ती चित्रित की गई हैं, जिससे प्रारंभिक अनुभव तैयार होता है।
2. बोध: इसके बाद बोध की अवस्था आती है, जिसमें अक्षर ज्ञान का अनुभव अधिक स्पष्ट और सुदृढ़ होता है। इस चरण में कौतूहल और समझ विकसित होती है।
3. विकास: अंत में विकास की अवस्था होती है, जहाँ बच्चा निरंतर प्रयास करके अक्षरों का सही रूप देता है। यह सफलता का चरण है, जिससे आगे का सीखने और विकास का सिलसिला लगातार जारी रहता है।
Q2: कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने छोटे बालक के प्रारंभिक अक्षर-बोध को साकार रूप में चित्रित किया है। ‘क’ को लिखने में अभ्यास पुस्तिका का चौखट छोटा पड़ जाता है, जिससे प्रारंभिक प्रयास में कठिनाई और फिसलन का अनुभव दिखाई देता है। कवयित्री ने ‘क’ को कबूतर के रूप में प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत किया है, जो अक्षर-बोध का सरलतम मार्ग दर्शाता है। साथ ही, बालक की चंचलता और उत्साह कबूतर के फुदकने से व्यक्त होती है। इस प्रकार, ‘क’ की चर्चा में शिक्षण प्रक्रिया की शुरुआत और बालक की सहजता दोनों का चित्रण निहित है।
Q3: खालिस बेचैनी किसकी है? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर : खालिस बेचैनी खरगोश की है। ‘क’ सीखने के बाद ‘ख’ सीखने के क्रम में बालक की जिज्ञासा बढ़ती है और वह आगे बढ़ने के लिए बेचैन हो जाता है। खरगोश के माध्यम से ‘ख’ सिखाना बालक के लिए सरल और रोचक बनता है। खरगोश की तरह चंचल और तेज होकर बालक अपनी सीखने की गति बढ़ाता है और आशा तथा विश्वास में वृद्धि होती है। यहाँ बेचैनी का अर्थ है आगे बढ़ने की लालसा, जिज्ञासा और कर्म में उत्साह। Q4. बेटे के लिए क्या है और क्यों ? उत्तर – बेटे के लिए ‘ङ’ उसको गोद में लेकर बैठने वाली माँ है। माँ स्नेह देती है, वात्सल्य प्रेम देती है। सीखने के क्रम में विफलता का मुँह देखता हुआ, कठिनाइयों का सामना करता हुआ जब बच्चा थके हुए अवस्था में आगे बढ़ता है तब माँ स्नेह की गोद में बिठाकर सांत्वना देती हुई आशा की किरण जगाती है। ‘ङ’ भी ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक सीखने के क्रम के बाद आता है। वहाँ स्थिरता आ जाती है, साधना क्रम रुक जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कर्मरत बालक माँ की गोद में स्थिर हो जाता है।
Q4: बेटे के लिए ‘ङ’ क्या है और क्यों ?
उत्तर : बेटे के लिए ‘ङ’ माँ का प्रतीक है, जो उसे गोद में लेकर बैठती है। माँ स्नेह और वात्सल्य प्रदान करती है। सीखने के क्रम में विफलता और कठिनाइयों का सामना करते हुए जब बालक थक जाता है, तब माँ की गोद उसे सांत्वना और आशा की किरण देती है। ‘ङ’ अक्षर भी ‘क’ से ‘घ’ तक के सीखने के क्रम के बाद आता है, जहाँ स्थिरता और साधना की पूर्णता होती है। ठीक उसी प्रकार कर्मरत बालक माँ की गोद में स्थिर होकर आराम और सुरक्षा पाता है।
Q5: बेटे के आँसू कब आते हैं और क्यों ?
उत्तर : बेटे को आँसू तब आते हैं जब वह सीखने के क्रम में कठिनाइयों का सामना करता है। ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक अनवरत अभ्यास करने के बाद, ‘ङ’ सीखना कठिन हो जाता है। प्रारंभ में वह असफल होता है और भावनाओं के दबाव में आँसू निकल आते हैं। जीवन या कर्म पथ पर संघर्ष करते हुए, गिरते-उठते प्रयास करने के दौरान जब बालक माँ के निकट आता है और स्नेह तथा ममता का आश्रय पाता है, तब वह अपने आँसू बहा कर सांत्वना और सुरक्षा अनुभव करता है।
Q6: कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का प्रयोग यह व्यक्त करने के लिए करती हैं कि अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक प्रक्रिया बच्चों के लिए कठिन और प्रयासपूर्ण होती है, और यह अनुभव सृष्टि के विकास की प्रारंभिक कठिनाइयों की याद दिलाता है। ‘शायद’ कहकर कवयित्री यह संकेत देती हैं कि जैसे बच्चे अक्षर सीखने में मसक्कत करते हैं, उसी प्रकार सृष्टि का आरंभिक कर्म भी कठिनाइयों और प्रयासों से भरा हुआ रहा होगा। यह अव्यय अनिश्चितता और संभाव्यता को दर्शाता है, जिससे पाठक में सोच और कल्पना की संभावना बनी रहती है।
Q7: कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती है? विचार करें।
उत्तर : कविता में एक प्रवाह है जो विकासवाद और जीवन के संघर्षों का बोध कराता है। यह दर्शाती है कि किसी भी प्रक्रिया—चाहे वह अक्षर-ज्ञान हो या जीवन की कठिनाइयाँ—संघर्षपूर्ण होती हैं। कविता में माँ की ममता और स्नेह की छवि शिशु के लिए सांत्वना का स्रोत बनती है। जैसे बच्चे अक्षर सीखने के क्रम में विफलताओं और कठिनाइयों का सामना करते हैं, वैसे ही जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। माँ की कोमलता और स्नेह बच्चे में आशा और साहस जगाते हैं। यही आशा और सहारा बच्चे को निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है और अंततः सफलता की ओर अग्रसर करता है। इस प्रकार कविता में संघर्ष और सफलता के बीच आशा और सांत्वना का संदेश दिया गया है।
Q8: व्याख्या करें –
“गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ'”
उत्तर : इस पंक्ति में कवयित्री अनामिका ने यहाँ बच्चों की अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया में संघर्ष और कोमलता का मार्मिक चित्रण किया है।
‘ग’ को गमले के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो नाजुक है और आसानी से टूट जाता है। यह बच्चे के सीखने में होने वाली प्रारंभिक कठिनाइयों का प्रतीक है।
‘घ’ को घड़े के रूप में चित्रित किया गया है, जो लिखते समय फिसलता या लुढ़कता है। यह अक्षर सीखने के क्रम में बच्चों के प्रयासों और उनके विफल प्रयासों का प्रतीक है।
इस प्रकार कवयित्री ने चित्रमय शैली में अक्षर-ज्ञान के संघर्ष और प्रयास को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है।

भाषा की बात

1. निम्नांकित भिन्नार्थक शब्दों के वाक्य प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट करें-
चौखटा-चोखट, बेटा-बाट, खालिस-खलासी-खलिश, धमना-धमकना धामना, सधना-साधना-साध, गोदी-गद्दी-गाद, कोशिश कशिश, विफलता-विकलता
उत्तर : 1. चौखटा-चोखट
चौखटा: दरवाजे या खिड़की का ढांचा।
उदाहरण: दरवाजे का चौखटा लकड़ी का मजबूत था।
चोखट: चौखटे का ही स्थानीय या आम बोलचाल वाला रूप।
उदाहरण: बच्चे ने चोखट पकड़कर दरवाजा खोला।

2. बेटा-बाट
बेटा: पुत्र।
उदाहरण: राम अपने बेटे की पढ़ाई का ध्यान रखता है।
बाट: रास्ता, पथ।
उदाहरण: किसान खेत की बाट पर चला।

3. खालिस-खलासी-खलिश
खालिस: शुद्ध, मिलावट रहित।
उदाहरण: यह तेल खालिस सरसों का है।
खलासी: नाव या जहाज में कार्य करने वाला कर्मी।
उदाहरण: नाव पर खलासी डूबते हुए सामान को बचा रहे थे।
खलिश: बेचैनी, असुविधा या कष्ट।
उदाहरण: उसके शब्दों में खलिश का भाव था।

4. धमना-धमकना-धामना
धमना: जोर से ठोकर मारना।
उदाहरण: वह गेंद को दीवार से धमता है।
धमकना: डरा देना, डराना।
उदाहरण: शिक्षक ने शरारती बच्चों को धमकाया।
धामना: तेज़ गति से भागना।
उदाहरण: खेत में बिल्ली धामती हुई चली गई।

5. सधना-साधना-साध
सधना: काम बनना या सुधारना।
उदाहरण: पुराने घर की मरम्मत के बाद घर सध गया।
साधना: किसी लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत या अभ्यास करना।
उदाहरण: योग साधना से मन और शरीर स्वस्थ रहते हैं।
साध: साधारण, साधन या साधु का रूप।
उदाहरण: साध जीवन जीने वाला व्यक्ति सरल होता है।

6. गोदी-गद्दी-गाद
गोदी: बच्चों को गोद में बैठाने की जगह।
उदाहरण: माँ ने बच्चा अपनी गोदी में लिया।
गद्दी: बिस्तर या कुर्सी पर मोटी चादर।
उदाहरण: राजा अपनी गद्दी पर बैठा।
गाद: गीली मिट्टी या कीचड़।
उदाहरण: बारिश के बाद खेत में गाद जमा हो गई।

7. कोशिश-कशिश
कोशिश: प्रयास करना।
उदाहरण: कठिन परीक्षा में पास होने के लिए उसने पूरी कोशिश की।
कशिश: आकर्षण या खिंचाव।
उदाहरण: उसकी मुस्कान में अजीब सी कशिश थी।

8. विफलता-विकलता
विफलता: काम न बनना, असफलता।
उदाहरण: योजना की विफलता से किसान परेशान हो गया।
विकलता: बेचैनी, असमर्थता या दुख।
उदाहरण: कठिनाई में वह विकल हो गया।

2. कविता में प्रयुक्त क्रियापदों का चयन करते हुए उनसे स्वतंत्र वाक्य बनाएँ।
उत्तर : 1. अँटना – दरवाजे का लॉक सही से अँट नहीं रहा है।
2. फुदकना – बत्तख तालाब में फुदकती हुई पानी में खेल रही थी।
3. उतरना – बच्चे सुरक्षित उतर कर बस से बाहर आए।
4. थमकना – बारिश अचानक थमक गई और सूरज चमकने लगा।
5. समझना – शिक्षक ने कठिन प्रश्न को सरल शब्दों में समझाया।
6. मानना – हमें अपने बड़ों की सलाह माननी चाहिए।
7. सधना – पुराने घर की मरम्मत के बाद यह सध गया।
8. आना – मेहमान शाम के समय हमारे घर आए।
9. छलकना – गिलास से पानी छलक गया।

3. निम्नांकित के विपरीतार्थक शब्द दें-
बेटा, कबूतर, माँ, उतरना, टूटना, बेचैनी, अनवरत, आँसू, विफलता, प्रथमाक्षर, विकास-कथा, सृष्टि
उत्तर : 1. बेटा – बेटी
2. कबूतर – कबूतरी
3. माँ – पिता / बाप
4. उतरना – चढ़ना
5. टूटना – जुड़ना / सधना
6. बेचैनी – शांति / संतोष
7. अनवरत – विराम / अस्थायी
8. आँसू – हँसी / मुस्कान
9. विफलता – सफलता
10. प्रथमाक्षर – अंतिमाक्षर
11. विकास-कथा – पतन-कथा / विनाश-कथा
12. सृष्टि – विनाश / प्रलय

Class10 हिंदी के अन्य अध्यायों के समाधान

क्रमांक अध्याय
1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2 प्रेम-अयनि श्री राधिका
3 अति सुधो सनेह को मारग है
4 स्वदेशी
5 भारतमाता
6 जनतंत्र का जन्म
7 हिरोशिमा
8 एक वृक्ष की हत्या
9 हमारी नींद
11 लौटकर आऊँगा फिर
12 मेरे बिना तुम प्रभु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

नीचे बिहार बोर्ड के हिंदी पुस्तक गोधूली के इस अध्याय से संबंधित कुल 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं। ये प्रश्न अध्याय के गहन अध्ययन के आधार पर तैयार किए गए हैं तथा इनमें से कई प्रश्न पिछले वर्षों की मैट्रिक परीक्षा से भी लिए गए हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करने से आपको परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलेगी और यह समझने में आसानी होगी कि परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
1. कवयित्री अनामिका के अनुसार चौखटे में क्या नहीं अँटता ?
(A) खरगोश
(B) ‘क’
(C) घड़ा
(D) गमला
उत्तर: (B) ‘क’

2. ‘अक्षर ज्ञान’ कविता में किस मनोविज्ञान का आधार लिया गया है?
(A) किशोर मनोविज्ञान
(B) स्त्री मनोविज्ञान
(C) बाल मनोविज्ञान
(D) शिशु मनोविज्ञान
उत्तर: (D) शिशु मनोविज्ञान

3. अक्षर-ज्ञान कविता के कवि हैं-
(A) जीवनानंद दास
(B) रेनर मारिया रिल्के
(C) अनामिका
(D) अज्ञेय
उत्तर: (C) अनामिका

4. कवयित्री अनामिका का जन्म कब और कहाँ हुआ है?
(A) 5 अगस्त, 1947- गढ़वाल, उत्तराखंड
(B) 19 सितम्बर, 1927 – लखनऊ, उत्तरप्रदेश
(C) 17 अगस्त, 1961-मुजफ्फरपुर, बिहार
(D) 18 फरवरी, 1916-बदरघाट, पटना
उत्तर: (C) 17 अगस्त, 1961-मुजफ्फरपुर, बिहार

5. सृष्टि की विकास-कथा का प्रथमाक्षर क्या है?
(A) सफलता की पहली मुस्कान
(B) विफलता के परिणामस्वरूप उत्पन्न क्रोध
(C) विफलता पर छलके आँसू
(D) सफलता पर उमड़ा उत्साह
उत्तर: (C) विफलता पर छलके आँसू

6. कवयित्री अनामिका को कौन-सा पुरस्कार मिला?
(A) राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार
(B) भारत भूषण अग्रवाल
(C) गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार
उत्तर: (A) राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार

7. “माँ-बेटे सधते नहीं उससे और उन्हें सिख लेने की अनवरत कोशिश में उसके आ जाते हैं आँसू”। प्रस्तुत पंक्तियाँ किस कविता की है?
(A) मेरे बिना तुम प्रभु
(B) लौटकर आऊँगा फिर
(C) अक्षर-ज्ञान
(D) हमारी नींद
उत्तर: (C) अक्षर-ज्ञान

8. कवयित्री अनामिका बिहार के किस जिला की है?
(A) दरभंगा
(B) मुजफ्फरपुर
(C) भागलपुर
(D) मोतिहारी
उत्तर: (B) मुजफ्फरपुर

9. ‘अक्षर-ज्ञान’ कविता चुनी गई कविताओं की चर्चित श्रृंखला से ली गई है।
(A) स्त्रीत्व का मानचित्र
(B) गलत पते की चिट्ठी
(C) कवि ने कहा
(D) बीजाक्षर
उत्तर: (D) बीजाक्षर

10. “गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’ घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ'” प्रस्तुत पद्यांश के कवि हैं-
(A) जीवनानंद दास
(B) अज्ञेय
(C) कुँवर नारायण
(D) अनामिका
उत्तर: (D) अनामिका

11. कवयित्री के अनुसार क्या घड़े-सा लुढ़क जाता है?
(A) तोता
(B) खरगोश
(C) ग
(D) घ
उत्तर: (D) घ

12. कवयित्री अनामिका ने सृष्टि की विकास-कथा के प्रथमाक्षर किसे माना है?
(A) विफलता पर छलके आँसू को
(B) जहाँ चाह वहाँ राह को
(C) सफलता की सीढ़ी को
(D) आगे बढ़ने की चाहत को
उत्तर: (A) विफलता पर छलके आँसू को

13. अनामिका हिन्दी कविता में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली कवयित्री है।
(A) समकालीन
(B) छायावादी
(C) प्रगतिवादी
(D) प्रयोगवादी
उत्तर: (D) प्रयोगवादी

14. “अक्षर-ज्ञान” कविता बच्चों के किस स्तर की शिक्षण प्रक्रिया से संबंधित है?
(A) प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया
(B) मध्य शिक्षण प्रक्रिया
(C) माध्यमिक शिक्षण प्रक्रिया
(D) उच्च माध्यमिक शिक्षण प्रक्रिया
उत्तर: (A) प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया

15. खालिस बेचैनी किसकी है?
(A) खरगोश
(B) बंदर
(C) गिलहरी
(D) कबूतर
उत्तर: (D) कबूतर

16. कविता “अक्षर-ज्ञान” में किस माध्यम से बच्चे अक्षरों को सीखते हैं?
(A) खेल-खेल में
(B) कहानी सुनकर
(C) केवल पाठ्यपुस्तक से
(D) चित्र देखकर
उत्तर: (A) खेल-खेल में

17. कवयित्री अनामिका की कविता में ‘अ’ से लेकर ‘ङ’ तक का क्रम किस रूपक से दिखाया गया है?
(A) नदी की धारा
(B) बच्चे के अनुभव
(C) पर्वत यात्रा
(D) फूलों का बगीचा
उत्तर: (B) बच्चे के अनुभव

18. “अक्षर-ज्ञान” कविता में कौन-सा भाव प्रमुख है?
(A) प्रेम
(B) बाल मनोविज्ञान और सीखने की जिज्ञासा
(C) दुःख
(D) सामाजिक चेतना
उत्तर: (B) बाल मनोविज्ञान और सीखने की जिज्ञासा

19. कविता में ‘माँ-बेटा सधते नहीं’ पंक्ति का क्या अर्थ है?
(A) बच्चा माँ से अलग होना चाहता है
(B) सीखने में होने वाली बाधाएँ और प्रयास
(C) माता-पिता के बीच झगड़ा
(D) खेल में हार-जीत
उत्तर: (B) सीखने में होने वाली बाधाएँ और प्रयास

20. कवयित्री अनामिका की रचनाएँ किस शैली में आती हैं?
(A) आधुनिक प्रयोगवादी
(B) पारंपरिक छायावादी
(C) भक्ति काव्य
(D) समाज सुधारक
उत्तर: (A) आधुनिक प्रयोगवादी

निष्कर्ष :

ऊपर आपने बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिन्दी पुस्तक “गोधूली भाग 2” के काव्यखंड के दसवें अध्याय “अक्षर-ज्ञान” की व्याख्या, बोध-अभ्यास, महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ा। यह अध्याय न केवल आपकी परीक्षा की दृष्टि से सहायक है बल्कि जीवन के लिए भी प्रेरणादायी सीख देता है। हमें उम्मीद है कि यह सामग्री आपके अध्ययन को और सरल व प्रभावी बनाएगी। यदि किसी प्रश्न या समाधान को लेकर आपके मन में कोई शंका हो, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं या सीधे हमसे संपर्क करें। हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। संपर्क करें
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