BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-12 Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-12 Solution

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Bihar Board 10th Hindi Solution

BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-12 Solution व्याख्या और important Objectives : मेरे बिना तुम प्रभु

इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी की काव्य पुस्तक “गोधूली” के बारहवाँ अध्याय “मेरे बिना तुम प्रभु” के काव्य का व्याख्या, सभी प्रश्नों के समाधान (Solutions), महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions) और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Questions) को विस्तार से देखने वाले हैं।
बिहार बोर्ड के छात्र/छात्राएँ इस पोस्ट को पूरा अंत तक पढ़े। इसके पढ़ने से इस अध्याय के सभी डाउट खत्म हो जाएँगे और आप बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में बहुत मददगार होगा। साथ ही आप सभी इस अध्याय के सभी प्रश्नोत्तरों एवं व्याख्याओं का PDF भी आप निशुल्क डाउनलोड (Download) कर सकते हैं। PDF लिंक नीचे उपलब्ध है, जिससे आप इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते हैं।

रेनर मारिया रिल्के का संक्षिप्त परिचय

अध्याय 12 रेनर मारिया रिल्के
पूरा नाम रेनर मारिया रिल्के
जन्म 4 दिसंबर 1875 ई.
जन्म स्थान प्राग, ऑस्ट्रिया (अब जर्मनी)
माता का नाम सोफिया रिल्के
पिता का नाम जोसेफ रिल्के
मृत्यु 29 दिसंबर 1926 ई.
शिक्षा प्राग और म्यूनिख विश्वविद्यालयों से शिक्षा
प्रमुख पद कवि, उपन्यासकार, निबंधकार, गद्यकार
प्रमुख काव्य कृतियाँ लाइफ एण्ड सोंग्स, लॉरेस सेक्रिफाइस, एडवेन्ट
गद्य कृतियाँ द नोटबुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिग, टेल्स ऑफ आलमाइटी
विशेषता गीतात्मक शैली, गहरे भावबोध, रहस्योन्मुखता, आधुनिक यूरोपीय साहित्य पर गहरा प्रभाव, मर्मी ईसाई कवि जैसे आस्थावान

व्याख्या

मेरे बिना तुम प्रभु

जब मेरा अस्तित्व न रहेगा, प्रभु, तब तुम क्या करोगे?
जब मैं तुम्हारा जलपात्र, टूटकर बिखर जाऊँगा?

व्याख्या – “जब मेरा अस्तित्व न रहेगा, प्रभु, तब तुम क्या करोगे?” यहाँ कवि ने भक्त और भगवान के संबंध को उल्टा कर दिखाया है। सामान्यतः हम मानते हैं कि भक्त भगवान पर निर्भर करता है, लेकिन कवि यह कह रहे हैं कि भगवान भी भक्त पर निर्भर हैं। यदि भक्त ही न रहे तो भगवान की महिमा, उनका अस्तित्व और उनका प्रभाव अधूरा पड़ जाएगा।

जब मैं तुम्हारी मदिरा सूख जाऊँगा
या स्वादहीन हो जाऊँगा?

व्याख्या – कवि स्वयं को प्रभु का जलपात्र (बर्तन) और मदिरा (रस) मानते हैं। जब पात्र टूट जाएगा या रस सूख जाएगा, तो भगवान किस प्रकार अपनी तृप्ति करेंगे? यहाँ कवि यह दर्शाते हैं कि भक्त ही वह माध्यम है जिसके द्वारा भगवान अपनी शक्ति, प्रेम और कृपा का अनुभव कराते हैं। यदि भक्त ही समाप्त हो जाए तो भगवान की उपस्थिति व्यर्थ हो जाएगी।

मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ
मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे?

व्याख्या – कवि आगे कहते हैं— “मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ।” इसका अर्थ है कि भक्त ही भगवान को स्वरूप और दिशा देता है। जब भक्त उन्हें पूजता है, गाता है, उनके गुणों का वर्णन करता है तभी भगवान का अर्थ और पहचान बनती है। यदि भक्त ही न रहे तो भगवान अपनी पहचान खो देंगे। यह एक गहरा दार्शनिक भाव है कि ईश्वर और जीवात्मा परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं।

मेरे बिना तुम गृहहीन निर्वासित होगे,
स्वागत विहीन।
मैं तुम्हारी पादुका हूँ, मेरे बिना तुम्हारे चरणों में छाले पड़ जाएँगे,
वे भटकेंगे लहूलुहान!

व्याख्या – कवि भगवान की तुलना एक यात्री से करते हैं और स्वयं को उनकी पादुका (जूते/सैंडल) कहते हैं। बिना पादुका के चरणों में छाले पड़ जाएँगे, वे लहूलुहान हो जाएँगे। यहाँ भाव है कि भक्त भगवान के मार्ग की रक्षा करता है। भक्त ही वह साधन है जिसके द्वारा भगवान संसार में अपना कार्य पूर्ण कर सकते हैं। भक्त के बिना भगवान का मार्ग भी कठिन और पीड़ादायक हो जाएगा।

तुम्हारा शानदार लबादा गिर जाएगा।
तुम्हारी कृपादृष्टि
जो कभी मेरे कपोलों की नर्म शय्या पर विश्राम करती थी
निराश होकर वह सुख खोजेगी जो मैं उसे देता था—

व्याख्या – कवि कहते हैं कि भगवान की कृपादृष्टि भक्त के कपोलों (गालों) की शय्या पर विश्राम करती है। भक्त के बिना भगवान को वह सुख नहीं मिलेगा। तब वे दूर चट्टानों की ठंडी गोद और सूर्यास्त की रंगीन छटा में वही शांति खोजेंगे, जो उन्हें भक्त के हृदय में मिलती थी। यहाँ कवि ने अत्यंत सुंदर चित्रण के माध्यम से यह जताया है कि भक्त के बिना भगवान को भी निराशा और अकेलापन अनुभव होगा।

दूर की चट्टानों की ठंढी गोद में
सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख।
प्रभु, प्रभु मुझे आशंका होती है
मेरे बिना तुम क्या करोगे?

व्याख्या – अंत में कवि एक गंभीर आशंका प्रकट करते हैं— “प्रभु, मेरे बिना तुम क्या करोगे?” यह प्रश्न केवल ईश्वर से नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन और आस्था के रिश्ते को समझने का प्रयास है। कवि बताना चाहते हैं कि ईश्वर और मनुष्य का संबंध एकतरफ़ा नहीं है। जैसे मनुष्य ईश्वर के बिना अधूरा है, वैसे ही ईश्वर भी अपने भक्त के बिना अधूरे और निरर्थक हैं। प्रेम और भक्ति का यह पारस्परिक संबंध ही जीवन का आधार है।

[Note] : प्रस्तुत कविता में कवि ने भक्त और भगवान के रिश्ते को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। सामान्यतः यह माना जाता है कि भक्त भगवान पर निर्भर होता है, लेकिन यहाँ कवि यह कहते हैं कि भगवान भी अपने अस्तित्व और महिमा के लिए भक्त पर निर्भर हैं। यदि भक्त न हो तो भगवान की उपासना, उनकी कृपा और उनका महत्व अधूरा रह जाएगा। भक्त ही भगवान का आधार और पहचान है। इस प्रकार कवि ने गहन भाव से यह संदेश दिया है कि ईश्वर और मनुष्य दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि भक्ति और प्रेम का संबंध एकतरफ़ा नहीं होता, बल्कि यह परस्पर सह-अस्तित्व पर आधारित होता है। भक्त के बिना भगवान अधूरे हैं और भगवान के बिना भक्त। यही परस्परता जीवन और आस्था की वास्तविक शक्ति है।

बोध और अभ्यास

कविता के साथ

Q1: कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है ?
उत्तर : कवि अपने को भगवान का भक्त मानते हैं और भक्त की महत्ता को प्रकट करने के लिए स्वयं को जलपात्र और मदिरा कहते हैं। जिस प्रकार जलपात्र जल को सुरक्षित रखता है और उसके माध्यम से जल का उपयोग संभव होता है, उसी प्रकार भक्त भगवान की शक्ति और कृपा को धारण करके समाज तक पहुँचाता है। भगवान का अनुभव भक्त की आस्था और भक्ति के द्वारा ही होता है। इसी तरह मदिरा का सेवन करने पर मन प्रसन्न और आनंदित हो जाता है। उसी प्रकार भगवान भी भक्त के प्रेम और भक्ति रस से संतुष्ट एवं आनंदित होते हैं। इस प्रकार कवि का आशय है कि जैसे जलपात्र और मदिरा अपने बिना अधूरे हो जाते हैं, वैसे ही भगवान भी भक्त के बिना अधूरे हैं। भक्त ही भगवान की पहचान और उनकी महिमा का आधार है।
Q2: आशय स्पष्ट कीजिए
“मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ
मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे ?”
उत्तर : प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भक्त को भगवान की अस्मिता बताया है। भगवान का वास्तविक स्वरूप भक्त की भक्ति और आस्था में ही झलकता है। भगवान का रूप, वेश, कार्य और पहचान भक्त के माध्यम से ही प्रकट होते हैं। कवि का कहना है कि, हे प्रभु! मेरा अस्तित्व ही तुम्हारा अर्थ और पहचान है। यदि मैं न रहूँ तो तुम्हारी सत्ता भी अधूरी हो जाएगी। इस प्रकार यह पंक्ति भक्त और भगवान के गहरे संबंध को प्रकट करती है, जहाँ भक्त के बिना भगवान की कल्पना भी संभव नहीं है।
Q3: शानदार लबादा किसका गिर जाएगा और क्यों ?
उत्तर : कवि के अनुसार भगवान का “शानदार लबादा” उनके भक्त की आस्था और श्रद्धा से ही बना है। भक्त भगवान की महिमा का आधार होता है। जब भक्त ही न रहेगा तो भगवान की पहचान और उनकी महिमा भी ढह जाएगी। तब उनका “लबादा” अर्थात् उनकी गौरवशाली आभा गिर जाएगी। भक्त के बिना भगवान का स्वरूप अधूरा हो जाता है, क्योंकि भक्त ही वह दर्पण है जिसमें भगवान की सत्ता और उनकी कृपा दृष्टि दिखाई देती है।
Q4: कवि किसको कैसा सुख देता था ?
उत्तर : कवि भगवान को यह सुख देता था कि उनकी कृपादृष्टि उसके नरम कपोलों की शय्या पर विश्राम कर सके। जब भगवान की कृपा भक्त पर ठहरती है तो स्वयं भगवान को भी शांति और आनंद मिलता है। भक्त ही वह माध्यम है जिससे भगवान अपने प्रेम और कृपा का अनुभव कराते हैं। कवि कहता है कि उसकी भक्ति और प्रेम की छाया में भगवान को वही सुख प्राप्त होता है, जो उन्हें कहीं और नहीं मिल सकता।
Q5: कवि को किस बात की आशंका है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : कवि को यह आशंका है कि यदि भक्त ही न रहेगा तो भगवान का स्वरूप और उनकी पहचान अधूरी हो जाएगी। भक्त ही वह माध्यम है जिसके द्वारा ईश्वर का अनुभव किया जा सकता है। यदि भक्ति का आधार समाप्त हो जाए तो भगवान का अस्तित्व किस रूप में समझा जाएगा? कवि कहता है कि प्रकृति की छवि, मानव हृदय का प्रेम, दया और भक्ति ही ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को प्रकट करते हैं। इन सबके बिना भगवान का आश्रय कहाँ होगा और मानव किस प्रकार उन्हें जान पाएगा—इसी प्रश्न को लेकर कवि चिंतित और आशंकित है।
Q6: कविता किसके द्वारा किसे संबोधित है? आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर : यह कविता कवि द्वारा भक्त के रूप में भगवान को संबोधित है। कवि स्वयं को भगवान का आश्रय, गृह और पहचान मानता है। वह भगवान से कहता है कि जैसे मैं तुम्हारे लिए आवश्यक हूँ, वैसे ही तुम मेरे लिए हो। मेरा अस्तित्व न रहेगा तो तुम्हारी पहचान भी अधूरी हो जाएगी। कवि स्पष्ट करता है कि भक्त और भगवान का संबंध परस्पर पूरक है।
हमारे विचार से कवि का यह दृष्टिकोण सत्य है। वास्तव में ईश्वर की सत्ता अदृश्य और अमूर्त है, जिसका अनुभव भक्त के माध्यम से ही संभव होता है। भक्त ही ईश्वर का वास्तविक स्वरूप है, क्योंकि वही ईश्वर को जग में प्रकट करता है। अतः मानव जीवन को तुच्छ न समझकर इसे ईश्वरीय अंश मानना चाहिए। यह जीवन अनमोल है और इसका उपयोग परमात्मा की सत्ता को स्थापित करने और मानवीय मूल्यों को जीवित रखने के लिए करना चाहिए।
Q7: मनुष्य के नश्वर जीवन की महिमा और गौरव का यह कविता कैसे बखान करती है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : इस कविता में मानव जीवन की नश्वरता के बावजूद उसकी महिमा और गौरव का बखान किया गया है। कवि कहता है कि ईश्वर का अस्तित्व मानव के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है। मनुष्य के माध्यम से ही ईश्वर के दर्शन संभव हैं। यही कारण है कि कवि ने मानव को ईश्वर का जलपात्र, मदिरा, वेश, वृत्ति और शानदार लबादा कहा है। इन प्रतीकों के माध्यम से कवि मानव जीवन की महत्ता को ईश्वरतुल्य सिद्ध करता है।
यद्यपि मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर और सीमित है, फिर भी यह गौरवपूर्ण है क्योंकि मनुष्य ही ईश्वरीय सत्ता का वाहक और अभिव्यक्तिकारक है। यदि मानव-जीवन न हो तो ईश्वर की अनुभूति और उनकी महिमा भी अधूरी रह जाएगी। इस प्रकार कविता मानव जीवन की गरिमा को स्थापित करती है।
Q8: कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर : प्रस्तुत कविता में भक्त और भगवान के संबंध को अन्योन्याश्रय (एक-दूसरे पर आश्रित) बताया गया है। कवि कहता है कि बिना भक्त के भगवान भी अधूरे हैं। भगवान की भगवत्ता और उनकी महिमा, भक्त की उपस्थिति पर ही निर्भर करती है। भगवान जल हैं तो भक्त जलपात्र है, भगवान रस हैं तो भक्त मदिरा है।
भक्त भगवान को रूप, अर्थ और पहचान प्रदान करता है। भक्त की भक्ति से ही परमात्मा आनंदित होते हैं और जब भक्त परमात्मा को प्राप्त करता है, तब वह परमानंद में डूब जाता है। इस प्रकार कविता यह स्पष्ट करती है कि भक्त और भगवान का संबंध एक-दूसरे के बिना अधूरा है।

भाषा की बात

1. कविता से तत्सम शब्दों का चयन करें एवं उनका स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर : अस्तित्व – मनुष्य का अस्तित्व कर्म और विचारों से पहचाना जाता है।
प्रभु – प्रभु पर आस्था रखने से जीवन में शांति मिलती है।
जलपात्र – साधु ने अपने जलपात्र से सबको पानी पिलाया।
मदिरा – मदिरा पान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
वेश – संत ने साधु का वेश धारण किया।
वृत्ति – सेवा वृत्ति सबसे श्रेष्ठ गुण माना जाता है।
गृहहीन – गृहहीन व्यक्ति को समाज की सहायता चाहिए।
निर्वासित – राजा ने अपराधी को देश से निर्वासित कर दिया।
पादुका – राम की पादुका भरत ने सिंहासन पर रखी।
कृपादृष्टि – गुरु की कृपादृष्टि से शिष्य का जीवन सफल होता है।
कपोल – बच्चे के कपोल बहुत लाल और सुंदर हैं।
शय्या – बीमार को आरामदायक शय्या पर सुलाया गया।
चट्टान – पहाड़ की चट्टान बहुत मजबूत होती है।
गोद – माँ की गोद में बच्चा सुरक्षित महसूस करता है।
सूर्यास्त – समुद्र तट पर सूर्यास्त का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।

2. कविता में प्रयुक्त क्रियाओं का स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर : रहेगा – यह सुख सदा हमारे साथ रहेगा।
करोगे – तुम परीक्षा में क्या करोगे?
जाऊँगा – मैं कल बाजार जाऊँगा।
हो – तुम बहुत अच्छे मित्र हो।
गिर जाएगा – पेड़ का पत्ता पतझड़ में गिर जाएगा।
पड़ जाएँगे – बिना जूते के चलने से पैरों में छाले पड़ जाएँगे।
भटकेंगे – अज्ञान में लोग भटकेंगे।
देता था – वह रोज मुझे किताब देता था।
घुलने का – चीनी पानी में आसानी से घुलने का गुण रखती है।
होती है – सच्ची मित्रता जीवन में सहारा होती है।

3. कविता से अव्यय पद चुनें।
उत्तर : कविता में प्रयुक्त अव्यय पद निम्न है-
जब

या
ही
भी
मेरे बिना

4. कविता के विशेष्य पदों को चिह्नित करें।
उत्तर : अस्तित्व (विशेषण: न रहेगा)
• प्रभु (विशेषण: सम्बोधित रूप)
• जलपात्र (विशेषण: तुम्हारा)
• मदिरा (विशेषण: तुम्हारी, सूख, स्वादहीन)
• वेश (विशेषण: तुम्हारा)
• वृत्ति (विशेषण: तुम्हारी)
• अर्थ (विशेषण: अपना)
• गृह (विशेषण: हीन)
• निर्वासित (विशेषण: गृहहीन)
• पादुका (विशेषण: तुम्हारी)
• चरण (विशेषण: तुम्हारे)
• लबादा (विशेषण: शानदार, तुम्हारा)
• कृपादृष्टि (विशेषण: तुम्हारी)
• कपोल (विशेषण: मेरे, नर्म)
• शय्या (विशेषण: नरम)
• चट्टानों (विशेषण: दूर की, ठंढी)
• गोद (विशेषण: ठंढी)
• सुख (विशेषण: घुलने का, पाने का)
• सूर्यास्त (विशेषण: के रंगों में)

शब्द निधि

जलपात्र : पानी रखने का बर्तन
वृत्ति : प्रवृत्ति, कर्म-स्वभाव
निर्वासित : बेघर
पादुका : चप्पल
लबादा : चोगा
कपोल : गाल
शय्या : बिस्तर

Class10 हिंदी के अन्य अध्यायों के समाधान

क्रमांक अध्याय
1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2 प्रेम-अयनि श्री राधिका
3 अति सुधो सनेह को मारग है
4 स्वदेशी
5 भारतमाता
6 जनतंत्र का जन्म
7 हिरोशिमा
8 एक वृक्ष की हत्या
9 हमारी नींद
10 अक्षर – ज्ञान
11 लौटकर आऊँगा फिर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

नीचे इस अध्याय से संबंधित कुल 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं। ये प्रश्न अध्याय के गहन अध्ययन के आधार पर तैयार किए गए हैं तथा इनमें से कई प्रश्न पिछले वर्षों की मैट्रिक परीक्षा से भी लिए गए हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करने से आपको परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलेगी और यह समझने में आसानी होगी कि परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
1. रेनर मारिया रिल्के द्वारा रचित कविता है-
(A) अक्षर-ज्ञान
(B) लौटकर आऊँगा फिर
(C) मेरे बिना तुम प्रभु
(D) मातृभूमि बंगाल
उत्तर: (C) मेरे बिना तुम प्रभु

2. ‘रेनर मारिया रिल्के’ किस भाषा के कवि है?
(A) जर्मन
(B) ब्रिटिश
(C) फ्रांसीसी
(D) चीनी
उत्तर: (A) जर्मन

3. ‘दूर चट्टानों की ठंडी गोद में’ किस कवि की पंक्ति है?
(A) जीवनानंद दास
(B) अनामिका
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) रेनर मारिया रिल्के
उत्तर: (D) रेनर मारिया रिल्के

4. कवि के अनुसार मनुष्य के बिना किसका अस्तित्त्व नहीं रहेगा?
(A) ईश्वर का
(B) भक्त का
(C) प्रकृति का
(D) माया का
उत्तर: (A) ईश्वर का

5. ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ के रचनाकार हैं।
(A) जीवनानंद दास
(B) रेनर मारिया रिल्के
(C) कुँवर नारायण
(D) वीरेन डंगवाल
उत्तर: (B) रेनर मारिया रिल्के

6. कवि रेनर मारिया रिल्के का जन्म कब हुआ है?
(A) 4 दिसम्बर, 1865 ई०
(B) 4 दिसम्बर, 1875 ई०
(C) 4 दिसम्बर, 1885 ई०
(D) 4 दिसम्बर, 1895 ई०
उत्तर: (B) 4 दिसम्बर, 1875 ई०

7. रेनर मारिया रिल्के के पिता का नाम था –
(A) पास्लो नेरुदा
(B) वास्को पोपा
(C) जोसफ रिल्के
(D) धर्मवीर भारती
उत्तर: (C) जोसफ रिल्के

8. रेनर मारिया रिल्के का निधन हुआ था-
(A) 1925 ई० में
(B) 1926 ई० में
(C) 1927 ई० में
(D) 1928 ई० में
उत्तर: (B) 1926 ई० में

9. ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ किस भाषा से अनुवादित है?
(A) अंग्रेजी
(B) जर्मन
(C) रूसी
(D) फ्रांसीसी
उत्तर: (B) जर्मन

10. कवि किसका बात करता है? शानदार लबादा गिर जाने की
(A) भक्त का
(B) भगवान प्रभु का
(C) मानव का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (B) भगवान प्रभु का

11. ‘लाइफ एण्ड सोंग्स’ के रचनाकार है-
(A) अनामिका
(B) रेनर मारिया रिल्के
(C) जीवनानंद दास
(D) मैक्समूलर
उत्तर: (D) मैक्समूलर

12. कवि के अनुसार भक्त किस रूप में है?
(A) जलपात्र
(B) मदिरा
(C) वेश और वृत्ति
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (D) उपर्युक्त सभी

13. कौन-सी कविता विश्व कविता के भाषांतरित संकलन ‘देशांतर’ से ली गयी है?
(A) लौटकर आऊँगा फिर
(B) मेरे बिना तुम प्रभु
(C) अक्षर-ज्ञान
(D) हमारी नींद
उत्तर: (B) मेरे बिना तुम प्रभु

14. ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ कविता का प्रमुख आशय क्या है?
(A) भक्त और भगवान का अन्योन्याश्रय संबंध
(B) प्रकृति की सुंदरता
(C) मानव जीवन की क्षणभंगुरता
(D) देशप्रेम की भावना
उत्तर: (A) भक्त और भगवान का अन्योन्याश्रय संबंध

15. कवि के अनुसार भगवान के चरणों में छाले कब पड़ जाएँगे?
(A) जब भक्त उनका नाम न ले
(B) जब भक्त उनकी पादुका न बने
(C) जब भगवान भक्त को छोड़ दें
(D) जब भक्त प्रकृति से विमुख हो जाए
उत्तर: (B) जब भक्त उनकी पादुका न बने

निष्कर्ष :

ऊपर आपने बिहार बोर्ड कक्षा 10 की हिन्दी पुस्तक “गोधूली भाग 2” के काव्यखंड के बारहवाँ अध्याय “मेरे बिना तुम प्रभु” की व्याख्या, बोध-अभ्यास, महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ा। यह अध्याय न केवल आपकी परीक्षा की दृष्टि से सहायक है बल्कि जीवन के लिए भी प्रेरणादायी सीख देता है। हमें उम्मीद है कि यह सामग्री आपके अध्ययन को और सरल व प्रभावी बनाएगी। यदि किसी प्रश्न या समाधान को लेकर आपके मन में कोई शंका हो, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं या सीधे हमसे संपर्क करें। हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। संपर्क करें
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