BSEB 10th Hindi Godhuli Kavy Ex-4 Solution व्याख्या और important Objectives
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प्रेमघन जी का संक्षिप्त परिचय
अध्याय 4 | स्वदेशी |
---|---|
पूरा नाम | बदरीनारायण चौधरी (प्रेमघन) |
काल | भारतेन्दु युग |
जन्म | 1855 ई. |
जन्म स्थान | मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) |
मृत्यु | 1922 ई. |
प्रमुख रचनाएँ | भारत सौभाग्य, प्रयाग रामागमन, जीर्ण जनपद, प्रेमघन सर्वस्व |
भाषा | मुख्यतः ब्रजभाषा और अवधी; खड़ी बोली का भी प्रयोग |
विशेषता | निबंधकार, नाटककार, कवि एवं समीक्षक; राष्ट्रीय स्वाधीनता की चेतना; ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण |
उपाधि / सम्मान | ‘रसिक समाज’ के संस्थापक, ‘आनंद कादंबिनी’ एवं ‘नागरी नीरद’ के संपादक; साहित्य सम्मेलन के कलकत्ता अधिवेशन के सभापति |
व्याख्या
स्वदेशी
1.
“सबै बिदेसी वस्तु नर, गति रति रीत लखात ।
भारतीयता कछु न अब, भारत में दरसात ।।”
व्याख्या –
लोग पूरी तरह से विदेशी वस्तुओं, आचार-विचार और जीवन शैली में डूब गए हैं। भारतीयता का नामोनिशान अब दिखाई ही नहीं देता।
कवि कहते हैं- महंगे विदेशी ब्रांड के कपड़े, जूते, मोबाइल और गाड़ियाँ भारतीय युवाओं के लिए “स्टेटस सिंबल” बन गए हैं, जबकि देशी ब्रांड को अक्सर कम आँका जाता है।
2.
“मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान ।
मुसल्मान, हिंदू किधौं, के हैं ये क्रिस्तान ।।”
व्याख्या – अब किसी भारतीय को देखकर यह पहचानना कठिन हो गया है कि वह हिंदू है, मुसलमान है या ईसाई, क्योंकि सबका पहनावा और तौर-तरीके विदेशी बन गए हैं।
कवि व्यक्त करते है कि पश्चिमी फैशन और लाइफ़स्टाइल अपनाने के कारण युवाओं की वेशभूषा देखकर यह पहचानना कठिन हो जाता है कि वह भारतीय संस्कृति से जुड़ा है या नहीं।
3. “पढ़ि विद्या परदेस की, बुद्धि विदेसी पाय ।
चाल-चलन परदेस की, गई इन्हें अति भाय ।।”
व्याख्या –
विदेशी शिक्षा के कारण भारतीयों की सोच भी विदेशी हो गई है। उनका आचरण और व्यवहार पूरी तरह विदेशी संस्कृति से प्रभावित है।
कवि कहते हैं : आज लाखों छात्र विदेश (अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया) पढ़ने जाते हैं और वहीं बस जाना चाहते हैं। भारतीय शिक्षा और संस्कृति को अक्सर “कमतर” समझते हैं।
4.
“ठटे बिदेसी ठाट सब, बन्यो देस बिदेस ।
सपनेहूँ जिनमें न कहुँ, भारतीयता लेस ।।”
व्याख्या –
लोग विदेशी ठाट-बाट और आडंबरों में इतने डूब गए हैं कि उनका अपना देश ही विदेशी जैसा लगने लगा है। भारतीयता का नाम तक नहीं बचा।
कवि कहते है :
शादियों में भी विदेशी स्टाइल का प्रचलन बढ़ गया है। पारंपरिक रीति-रिवाजों को “पुराना” मान लिया जाता है।
5.
“बोलि सकत हिंदी नहीं, अब मिलि हिंदू लोग ।
अंगरेजी भाखन करत, अंगरेजी उपभोग ।।”
व्याख्या –
भारतीय (हिंदू) अब अपनी मातृभाषा हिंदी ठीक से नहीं बोल पाते। वे अंग्रेजी भाषा बोलने में गर्व महसूस करते हैं और अंग्रेजी तौर-तरीके अपनाते हैं।
कई बच्चों को अंग्रेजी तो धाराप्रवाह आती है, पर हिंदी या अपनी मातृभाषा लिखने-बोलने में कठिनाई होती है। अभिभावक भी “English Medium” स्कूल को ही प्रतिष्ठा मानते हैं।
6.
“अंगरेजी बाहन, बसन, वेष रीति औ नीति ।
अंगरेजी रुचि, गृह, सकल, बस्तु देस विपरीत ।।”
व्याख्या –
परिवहन साधन, वस्त्र, रहन-सहन, खान-पान, घर—सब अंग्रेजी प्रभाव में हैं। यह सब भारतीय संस्कृति से बिल्कुल विपरीत है।
कवि आज के संदर्भ में कहते हैं आज के घरों में फर्नीचर, डेकोरेशन, खानपान तक “वेस्टर्न” पैटर्न पर होता है। पिज्जा और वर्गर, पास्ता जैसी चीज़ें “मॉर्डन” मानी जाती हैं, जबकि पारंपरिक भोजन को “देसी” कहकर हंसी उड़ाई जाती है।
7.
“हिन्दुस्तानी नाम सुनि, अब ये सकुचि लजात ।
भारतीय सब वस्तु ही, सों ये हाय घिनात ।।”
व्याख्या –
भारतीय लोग अब अपने ही देशी नाम से शर्माते हैं। भारतीय वस्तुओं और चीज़ों से घृणा करने लगे हैं।
बहुत से लोग “भारतीय समान” सुनकर हिचकिचाते हैं, जबकि वही लोग विदेशी टैग देखकर लाखों खर्च कर देते हैं।
8. “देस नगर बानक बनो, सब अंगरेजी चाल ।
हाटन मैं देखहु भरा, बसे अंगरेजी माल ।।”
व्याख्या –
भारत के शहर अब अंग्रेजी ढंग पर बसने लगे हैं। बाज़ारों और दुकानों में भी केवल विदेशी वस्तुएँ ही दिखाई देती हैं।
आज कल देखा जाता है मॉल्स में ज़्यादातर विदेशी ब्रांड की दुकानें होती हैं। Amazon/Flipkart जैसी साइटों पर भी विदेशी उत्पादों की भरमार है।
9.
“जिनसों सम्हल सकत नहिं तनकी, धोती ढीली-ढाली ।
देस प्रबंध करिहिंगे वे यह, कैसी खाम खयाली ।।”
व्याख्या –
कवि व्यंग्य करते हुए कहते हैं—जो लोग धोती जैसी साधारण वस्त्र को ठीक से संभाल नहीं सकते, वे देश का प्रबंधन कैसे करेंगे? यह तो उनकी मूर्खता है।
कई नेता और अधिकारी दिखावे में तो बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन ज़मीन पर छोटी-सी व्यवस्था भी सही नहीं कर पाते।
10.
“दास-वृत्ति की चाह चहूँ दिसि चारहु बरन बढ़ाली ।
करत खुशामद झूठ प्रशंसा मानहुँ बने डफाली ।।”
व्याख्या –
सभी वर्णों (जातियों) के लोग अब दासता की वृत्ति को अपना रहे हैं। वे अंग्रेजों की खुशामद करते हैं, झूठी प्रशंसा करते हैं, मानो वे ढोल बजाने वाले (डफाली) बन गए हों।
आज भी कई लोग विदेशी देशों और संस्कृति के आगे झुककर ही गर्व महसूस करते हैं। विदेशी कंपनियों की चमक देखकर लोग “Make in India” को उतना महत्व नहीं देते।
बोध और अभ्यास
कविता के साथ
अतः यह शीर्षक कवि की भावनाओं और कविता की मूल विषय-वस्तु को पूर्णतः प्रकट करता है। इसलिए कविता का शीर्षक “स्वदेशी” सार्थक और समीचीन है।
हाट-बाजार हों या समाजिक जीवन, हर जगह पाश्चात्य चीजों का बोलबाला है। भारत की पारंपरिक वेशभूषा, संस्कृति और सभ्यता अब कम दिखाई देती हैं। हिंदू हों या मुसलमान, गाँव के लोग हों या शहरवासी, राजनीति हो या व्यापार—हर जगह अंग्रेजियत का असर है। लोग अपनी भाषा और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। इस वजह से कवि को लगता है कि भारत में अब वह भारतीयता नहीं दिखती जिसे वह पहचानते थे।
(क) मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान ।
(ख) अंग्रेजी रुचि, गृह, सकल बस्तु देस विपरीत ।
(ख) इस पंक्ति में कवि कहते हैं कि भारत के लोगों में स्वदेशी चीज़ों के प्रति रुचि लगभग खत्म हो गई है। घर-गृहस्थी से लेकर जीवनशैली तक, सब कुछ विदेशी चीज़ों और अंग्रेजी रीति-रिवाज के अनुसार हो रहा है। लोगों का ध्यान और लगाव अपने देश की वस्तुओं और रीति-रिवाजों की बजाय पूरी तरह विदेशी चीज़ों की ओर हो गया है।
भाषा की बात
1. निम्नांकित शब्दों से विशेषण बनाएँ
रुचि, देस, नगर, प्रबंध, खयाल, दासता, झूठ, प्रशंसा
उत्तर:
रुचि → रुचिकर (जो पसंद आने वाला हो)
देस → देशी (देश से संबंधित)
नगर → नगरीय (नगर से जुड़ा हुआ)
प्रबंध → प्रबंधकीय (प्रबंधन करने वाला)
खयाल → खयाली (कल्पना से जुड़ा)
दासता → दास्य (गुलामी से संबंधित)
झूठ → झूठा (सत्य के विपरीत)
प्रशंसा → प्रशंसनीय (जिसकी प्रशंसा की जा सके)
2. निम्नांकित शब्दों का लिंग-निर्णय करते हुए वाक्य बनाएँ
चाल-चलन, खामखयाली, खुशामद, माल, वस्तु, वाहन, रीत, हाट, दासवृत्ति, बानक
उत्तर :
चाल-चलन (पुल्लिंग) → अच्छे चाल-चलन से व्यक्ति का चरित्र उजागर होता है।
खामखयाली (स्त्रीलिंग) → वह खामखयाली में ही बातें करता रहता है।
खुशामद (स्त्रीलिंग) → खुशामद करने से किसी का असली सम्मान नहीं मिलता।
माल (पुल्लिंग) → व्यापारी ने बहुत सारा माल विदेश भेजा।
वस्तु (स्त्रीलिंग) → यह पुस्तक मेरे लिए बहुमूल्य वस्तु है।
वाहन (पुल्लिंग) → बस ग्रामीणों का प्रमुख यातायात वाहन है।
रीत (स्त्रीलिंग) → भारत में अतिथि-सत्कार की रीत प्राचीन काल से चली आ रही है।
हाट (पुल्लिंग) → गाँव के हाट में हर रविवार को भीड़ लगती है।
दासवृत्ति (स्त्रीलिंग) → दासवृत्ति से मुक्ति पाना मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।
बानक (पुल्लिंग) → उस युवक का बानक देखकर सब लोग प्रभावित हो गए।
3. कविता से संज्ञा पदों का चुनाव करें और उनके प्रकार भी बताएँ ।
उत्तर:
वस्तु → जातिवाचक संज्ञा
नर → जातिवाचक संज्ञा
भारतीयता → भाववाचक संज्ञा
भारत → व्यक्तिवाचक संज्ञा
मनुज → जातिवाचक संज्ञा
भारती → व्यक्तिवाचक
चाल-चालन → भाववाचक संज्ञा
देश → जातिवाचक संज्ञा
विदेश → जातिवाचक संज्ञा
बरुन → व्यक्तिवाचक संज्ञा
गृह → जातिवाचक संज्ञा
हिंदुस्तानी → जातिवाचक
नगर → जातिवाचक संज्ञा
हाटन → जातिवाचक संज्ञा
धोनी → जातिवाचक
ख़ुशामद → भाववाचक संज्ञा
शब्द निधि
रति : लगाव
रीत : पद्धति
मनुज भारती : भारतीय मनुष्य
क्रिस्तान : क्रिश्चियन, अंग्रेज
बसन : वस्त्र
बानक : बाना, वेशभूषा
खामखयाली : कोरी कल्पना
चारहु बरन : चारों वर्णों में
डफाली : डफ बजानेवाला, बाजा बजानेवाला
क्रमांक | अध्याय |
---|---|
1 | राम बिनु बिरथे जगि जनमा |
2 | प्रेम-अयनि श्री राधिका |
3 | अति सुधो सनेह को मारग है |
5 | भारतमाता |
6 | जनतंत्र का जन्म |
7 | हिरोशिमा |
8 | एक वृक्ष की हत्या |
9 | हमारी नींद |
10 | अक्षर – ज्ञान |
11 | लौटकर आऊँगा फिर |
12 | मेरे बिना तुम प्रभु |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(A) प्रयोगवाद युग के
(B) प्रपद्यवाद युग के
(C) भारतेन्दु युग के
(D) छायावाद युग के
उत्तर: (C) भारतेन्दु युग के
2. ‘जीर्ण जनपद’ किस कवि की रचना है?
(A) बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन की
(B) अनामिका की
(C) घनानंद की
(D) रसखान की
उत्तर: (A) बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन की
3. ‘भारत सौभाग्य’ किनका प्रसिद्ध नाटक है?
(A) कुँवर नारायण का
(B) प्रेमघन का
(C) अनामिका का
(D) जीवनानंद दास का
उत्तर: (A) कुँवर नारायण का
4. कवि प्रेमघन के अनुसार कौन-सी विद्या पढ़कर लोगों की बुद्धि विदेशी हो गयी है?
(A) छल विद्या
(B) कपट विद्या
(C) विदेशी विद्या
(D) तकनीकी विद्या
उत्तर: (C) विदेशी विद्या
5. ‘स्वदेशी’ शीर्षक पाठ के रचनाकार हैं
(A) रामघन
(B) मालघन
(C) श्यामघन
(D) प्रेमघन
उत्तर: (D) प्रेमघन
6. बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन द्वारा रचित कविता कौन-सी है?
(A) भारतमाता
(B) स्वदेशी
(C) जनतंत्र का जन्म
(D) हमारी नींद
उत्तर: (B) स्वदेशी
7. ‘स्वदेशी’ कविता किससे संकलित है?
(A) प्रेमघन सर्वस्व से
(B) जीर्ण जनपद से
(C) भारत प्रयाग से
(D) प्रयाग रामागमन
उत्तर: (B) जीर्ण जनपद से
8. बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन का जन्म कब हुआ था?
(A) 1855 ई०
(B) 1875 ई०
(C) 1860 ई०
(D) 1845 ई०
उत्तर: (A) 1855 ई०
9. परदेश की विद्या पढ़ने का क्या परिणाम हुआ?
(A) सबकी बुद्धि भारतीय हो गई
(B) सबकी बुद्धि विदेशी हो गई
(C) सबकी बुद्धि आध्यात्मिक हो गई
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (B) सबकी बुद्धि विदेशी हो गई
10. ‘प्रेमघन’ अपना आदर्श किसे मानते थे?
(A) महात्मा गाँधी
(B) विवेकानंद
(C) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(D) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
उत्तर: (D) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
11. कवि प्रेमघन के अनुसार भारत के लोग क्या बनकर खुशामद और झूठी प्रशंसा में लगे हैं?
(A) ढोलक
(B) मृदंग
(C) डफाली
(D) बाँसुरी
उत्तर: (C) डफाली
12. “बोली सकत ________ नहीं, अब मिलि हिन्दू लोग। अंग्रेजी भाखन करत, अंग्रेजी उपभोग।” इन पंक्तियों में कवि ने किस भाषा के बढ़ते प्रभाव की ओर संकेत किया है?
(A) अंग्रेजी
(B) संस्कृत
(C) हिन्दी
(D) अवधी
उत्तर: (A) अंग्रेजी
13. स्वदेशी कविता में कवि को भारत में अब क्या दिखाई नहीं पड़ता है?
(A) भारतीयता
(B) सदाचारिता
(C) मानवता
(D) स्वतंत्रता
उत्तर: (A) भारतीयता
14. _________ भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान, मुसल्मान, हिन्दू किधौं कै हैं ये क्रिस्तान।” पंक्तियों में ‘भारती देखि कोउ’ से कौन अभिप्रेत है?
(A) मनुज
(B) मनुष्य
(C) मानुष
(D) तनुज
उत्तर: (A) मनुज
15. प्रेमघन का जन्म कहाँ हुआ था?
(A) वनारस
(B) डुमराँव
(C) लखनऊ
(D) मिर्जापुर
उत्तर: (B) डुमराँव
16. प्रेमघन के किस काव्य में ग्रामीण जीवन का यथार्थवादी चित्रण है?
(A) भारत सौभाग्य
(B) जीर्ण जनपद
(C) प्रयाग रामागमन
(D) प्रेमघन सर्वस्व
उत्तर: (B) जीर्ण जनपद
17. भारतेन्दु युग के महत्त्वपूर्ण कवि थे।
(A) प्रेमघन
(B) घनानंद
(C) रसखान
(D) पंत
उत्तर: (A) प्रेमघन
18. प्रेमघन काव्य और जीवन दोनों क्षेत्रों में किसे अपना आदर्श मानते हैं?
(A) द्विवेदी को
(B) निराला को
(C) भारतेन्दु को
(D) प्रसाद को
उत्तर: (C) भारतेन्दु को
19. पढ़ि विद्या परदेश की, बुद्धि विदेसी पाय। चाल-चलन परदेश की, गई इन्हें अति भाय।। प्रस्तुत पंक्ति किस कविता की है?
(A) भारतमाता
(B) स्वदेशी
(C) जनतंत्र का जन्म
(D) हिरोशिमा
उत्तर: (B) स्वदेशी
20. कवि प्रेमघन द्वारा अधिकांश काव्य रचना किस भाषा में की गयी है?
(A) संस्कृत
(B) ब्रजभाषा और अवधी
(C) हिन्दी
(D) उड़िया
उत्तर: (C) हिन्दी
21. ‘हिन्दुस्तानी नाम सुनि, अब ये सकुचि लजात’ प्रस्तुत पंक्ति किस कविता से उद्धृत है?
(A) भारतमाता
(B) जनतंत्र का जन्म
(C) अक्षर ज्ञान
(D) स्वदेशी
उत्तर: (D) स्वदेशी
22. ‘आनंद कादंबिनी’ मासिक पत्रिका का संपादन किया है-
(A) भारतेन्दु ने
(B) प्रेमघन ने
(C) द्विवेदी ने
(D) आचार्य शुक्ल ने
उत्तर: (B) प्रेमघन ने
23. कवि प्रेमघन के अनुसार अब लोग किस भाषा का प्रयोग अधिक कर रहे हैं?
(A) हिन्दी
(B) मगही
(C) अंग्रेजी
(D) तमिल
उत्तर: (C) अंग्रेजी
24. प्रेमघन साहित्य सम्मेलन के किस अधिवेशन के सभापति रहे थे?
(A) बम्बई अधिवेशन
(B) कलकत्ता अधिवेशन
(C) लखनऊ अधिवेशन
(D) सूरत अधिवेशन
उत्तर: (B) कलकत्ता अधिवेशन
25. प्रेमघन जी कवि के साथ-साथ थे-
(A) निबंधकार
(B) नाटककार
(C) समीक्षक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (D) उपर्युक्त सभी
26. कवि प्रेमघन के अनुसार भारतीय हाट-बाजार किस सामान से भरा पड़ा है?
(A) स्वदेशी
(B) देशी
(C) अंग्रेजी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (C) अंग्रेजी
27. ‘रसिक समाज’ की स्थापना किस कवि ने की थी?
(A) भारतेन्दु
(B) घनानंद
(C) प्रेमघन
(D) रसखान
उत्तर: (C) प्रेमघन
28. कवि के अनुसार क्या देखकर भारत में भारतीयता कुछ नहीं दिखती है?
(A) गति
(B) रति
(C) रीत
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (D) उपर्युक्त सभी
29. “सबै विदेसी वस्तु नर, गति रति रीत लखात। __________ कुछ न अब, भारत म दरसात।”
(A) राष्ट्रीयता
(B) भारतीयता
(C) मनुजता
(D) आत्मीयता
उत्तर: (B) भारतीयता
30. 1874 में ‘प्रेमघन’ ने किस समाज की स्थापना की?
(A) आदर्श समाज
(B) बुद्धिजीवी समाज
(C) रसिक समाज
(D) कोई नहीं
उत्तर: (C) रसिक समाज