
Q1: हिन्द चीन क्षेत्र में कौन से देश आते हैं?
[क] चीन, वियतनाम, लाओस
[ख] हिन्द, चीन, वियतनाम, लाओस
[ग] कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस
[घ] कम्बोडिया, वियतनाम, चीन, थाइलैण्ड
कारण: हिन्द-चीन क्षेत्र मुख्यतः दक्षिण-पूर्व एशिया का हिस्सा है जिसमें कम्बोडिया, वियतनाम और लाओस शामिल हैं।
Q2: अंकोरवाट का मंदिर कहाँ स्थित है?
[क] वियतनाम
[ख] थाइलैण्ड
[ग] लाओस
[घ] कम्बोडिया
कारण: अंकोरवाट दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, जो कम्बोडिया में स्थित है और इसे राजा सूर्यवर्मा द्वितीय द्वारा बनाया गया था।
Q3: हिन्दी-चीन पहुँचने वाले प्रथम व्यापारी कौन थे?
[क] इंग्लैंड
[ख] फ्रांसीसी
[ग] पुर्तगाली
[घ] डच
कारण: पुर्तगाली व्यापारी 15वीं शताब्दी में हिन्द-चीन क्षेत्र में पहुँचे और धीरे-धीरे वहाँ उपनिवेशवाद स्थापित किया।
Q4: हिन्द-चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कहे जाते थे?
[क] फ्रांसीसी
[ख] शासक वर्ग
[ग] कोलोन
[घ] जेनरल
कारण: “कोलोन” शब्द उन फ्रांसीसियों के लिए प्रयोग किया जाता था जो हिन्द-चीन क्षेत्र में बस गए थे और उपनिवेशी व्यवस्था का हिस्सा बने।
Q5: नरोत्तर सिंहानुक कहाँ के शासक थे?
[क] वियतनाम
[ख] लाओस
[ग] थाइलैण्ड
[घ] कम्बोडिया
कारण: नरोत्तर सिंहानुक कम्बोडिया के शासक थे और उन्होंने अपने देश को फ्रांसीसी उपनिवेशवाद से स्वतंत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Q6: “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” किसने लिखा?
[क] हो-ची-मिन्ह
[ख] फान-वोई-चाऊ
[ग] कुआंग
[घ] त्रियु
कारण: फान-वोई-चाऊ ने वियतनाम के स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित करने के लिए “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखी।
Q7: मार्च 1946 में फ्रांस एवं वियतनाम के बीच होने वाला समझौता किस नाम से जाना जाता है?
[क] जेनेवा समझौता
[ख] हनोई समझौता
[ग] पेरिस समझौता
[घ] धर्म निरपेक्ष समझौता
कारण: हनोई समझौता फ्रांस और वियतनाम के बीच हुआ था, जिसमें फ्रांस ने वियतनाम को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी।
Q8: किस प्रसिद्ध दार्शनिक ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया?
[क] रसेल
[ख] हो-ची-मिन्ह
[ग] नरोत्तम सिंहानुक
[घ] रूसो
कारण: प्रसिद्ध दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल ने वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका को दोषी ठहराने के लिए ‘रसेल ट्रिब्यूनल’ का गठन किया था।
Q9: हिन्द-चीनी क्षेत्र में अंतिम युद्ध समाप्ति के समय में अमेरिकी राष्ट्रपति कौन थे?
[क] वाशिंगटन
[ख] निक्सन
[ग] जार्ज बुस
[घ] रुजवेल्ट
कारण: अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल के दौरान 1973 में वियतनाम युद्ध समाप्त हुआ।
Q10: होआ-होआ आन्दोलन किस प्रकृति का था?
[क] क्रांतिकारी
[ख] धार्मिक
[ग] साम्राज्यवादी समर्थक
[घ] क्रांतिकारी धार्मिक
कारण: होआ-होआ आंदोलन वियतनाम में एक धार्मिक सुधार आंदोलन था, जो बौद्ध धर्म पर आधारित था।
BSEB 10th History Exercise 3 Solution in Hindi : हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन (रिक्त स्थानों को भरें।)
(i) 12वीं शताब्दी में राजा सूर्य वर्मा द्वितीय ने अंकोरवाट मंदिर का निर्माण करवाया था।
(ii) जेनेवा समझौता ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया।
(iii) हो-ची-मिन्ह का दूसरा नाम न्यूगन आई क्योक था।
(iv) दिएन-विएन फु के युद्ध में फ्रांससी बुरी तरह हार गए।
(v) अनामी दल का संस्थापक जोन्गुएन आइ था।
(ii) जेनेवा समझौता ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया।
(iii) हो-ची-मिन्ह का दूसरा नाम न्यूगन आई क्योक था।
(iv) दिएन-विएन फु के युद्ध में फ्रांससी बुरी तरह हार गए।
(v) अनामी दल का संस्थापक जोन्गुएन आइ था।
BSEB 10th History Exercise 3 Solution in Hindi : हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन : Very Short Question Answer
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (20 शब्दों में उत्तर दें)
Q1:
एक तरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी?
उत्तर : एक तरफा अनुबंध व्यवस्था एक तरह की बंदुआ मजदरी थी वहाँ मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त था।
Q2: बाओदायी कौन था ?
उत्तर : बाओदाई अन्नाम का सम्राट था। 1945 ई० में वियतनाम गणराज्य बन जाने के कारण 25 अगस्त, 1945 ई० को अपना पद छोड़ दिया।
Q3: हिन्द-चीन का अर्थ क्या है ?
उत्तर : हिन्द-चीन का अर्थ दक्षिण पूर्व एशिया में 2.8 लाख वर्ग कि०मी० में फैले उस प्रायद्वीपीय क्षेत्र से है जिसमें आज के वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते है।
Q4: जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ?
उत्तर : जेनेवा समझौता मई, 1954 ई० में फ्रांस और वियतनाम के बीच हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य वियतनाम में शांति स्थापित करना था।
Q5: होआ-होआ आन्दोलन की चर्चा करें?
उत्तर : होआ-होआ एक बौद्धिष्ट धार्मिक क्रांतिकारी आन्दोलन था, जो 1939 में शुरू हुआ था जिसके नेता ‘हुइन्ह फू-सो’ था। क्रांतिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे, जिनमें आत्मदाह तक भी शामिल होता था।
BSEB 10th History Exercise 3 Solution in Hindi : हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन : Short Question Answer
लघु उत्तरीय प्रश्न (60 शब्दों में उत्तर दें)
Q1: हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर : पुर्तगाली, डच और इंग्लैंड के व्यापारियों के बाद 17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिन्द चीन पहुँच गए। सन् 1747 ई. के बाद ही फ्रांस अन्नाम में रुचि लेने लगा। 1787 ई. में कोचीन-चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नाम, कोचीन-चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आन्दोलन हो रहे थे। फिर भी 1862 ई. में अन्नाम को सैन्य बल पर संधि के लिए बाध्य किया गया। उसके अगले वर्ष कम्बोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 में तोकिन में फ्रांसीसी सेना घुस गयी। इसी तरह 20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिन्द-चीन में फ्रांसीसियों का प्रसार हुआ।
Q2: रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेंग का वर्णन करें।
उत्तर : रासायनिक हथियार नामाप यह एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है जो अग्नि बमों में गैसोलीन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से चिपक जाता और जलता रहता था। इसका व्यापक पैमाने पर वियतनाम में प्रयोग किया गया था।
एजेंट ऑरेंज एक ऐसा जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती थी एवं पेड़ मार जाता था। जंगलों को खत्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इसका नाम ऑरेंज पट्टियों वाले ड्रमों में रखे जाने के कारण पड़ा। अमेरिका इनका इस्तेमाल जंगलों के साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया। इस जहर का असर आज भी नजर आता है, जहाँ इसका प्रयोग किया गया था वहाँ आज भी बच्चे विकलांगता के रूप में जन्म लेते हैं।
एजेंट ऑरेंज एक ऐसा जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती थी एवं पेड़ मार जाता था। जंगलों को खत्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इसका नाम ऑरेंज पट्टियों वाले ड्रमों में रखे जाने के कारण पड़ा। अमेरिका इनका इस्तेमाल जंगलों के साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया। इस जहर का असर आज भी नजर आता है, जहाँ इसका प्रयोग किया गया था वहाँ आज भी बच्चे विकलांगता के रूप में जन्म लेते हैं।
Q3: हो-ची-मिन्ह के विषय में संक्षिप्त में लिखें।
उत्तर : हो-ची-मिन्ह के विषय में संक्षिप्त विवरण निम्न है-
हो-ची-मिन्ह जिसका दूसरा नाम ‘न्यूगन आई क्वोक’ है, एक वियतनामी छात्र था हो-ची-मिन्ह ने 1917 में पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया, बाद में हो-ची-मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया, साथ ही कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर ली। अंततः 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वितनाम कांग सान देंग (वियतनाम कम्युनिष्ट पार्टी) की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी। आगे चलकर 2 सितंबर 1945 में हो-ची-मिन्ह वियतनामी गणराज्य की पहला राष्ट्रपति बने।
हो-ची-मिन्ह जिसका दूसरा नाम ‘न्यूगन आई क्वोक’ है, एक वियतनामी छात्र था हो-ची-मिन्ह ने 1917 में पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया, बाद में हो-ची-मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया, साथ ही कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर ली। अंततः 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वितनाम कांग सान देंग (वियतनाम कम्युनिष्ट पार्टी) की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी। आगे चलकर 2 सितंबर 1945 में हो-ची-मिन्ह वियतनामी गणराज्य की पहला राष्ट्रपति बने।
Q4: हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है, बतावें?
उत्तर : हो-ची-मिन्ह मार्ग हनोई से होकर लाओस को दक्षिणी वियतनाम को जोड़ने वाला रास्ता था। जिससे बीच में सैकड़ों कच्ची, पक्की सड़के जुड़ी हुई थी। इस मार्ग का नाम हो-ची-मिन्ह के नाम पर पड़ा था। युद्ध के दौरान अमेरिका ने इस मार्ग को अनेकों बार क्षतिग्रस्त कर चुका था, परंतु वियतकांग एवं उसके समर्थक लोग तुरंत इसका मरम्मत कर लेते थे। युद्ध के दौरान लाओस से दक्षिणी वियतनाम में रसद और हथियार पहुचने में इस मार्ग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह मार्ग घने जंगलों से होकर गुजरता था जिसके कारण अमेरिका इसपर कभी भी पूर्णरूप से कब्जा नहीं कर पाया।
Q5: अमेरिका हिन्द-चीन में कैसे घुसा, चर्चा करें?
उत्तर : जनेवा समझौता के बाद वियतनाम दो हिस्सों में टूट चुका था। उत्तरी वियतनाम तथा दक्षिणी वियतनाम। उत्तरी वियतनाम में साम्यवादी सरकार थी जबकि दक्षिणी वियतनाम में अमेरिका समर्थित पूंजीवादी सरकार थी। हालात विगड़ते गए और गृह युद्ध शुरू हो गया। इसी समय द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर आक्रमण किया तो अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया। अमेरिका जो फ्रांस का समर्थन कर रहा था अब सीधे हिन्द-चीन में उतर गया। हिन्द-चीन में अमेरिका के हस्तक्षेप का मुकी कारण साम्यवादी प्रभाव को रोकना था।
BSEB 10th History Exercise 3 Solution in Hindi : हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन : Long Question Answer
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (120 शब्दों में उत्तर दें)
Q1: हिन्द चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर : हिन्द चीन में फ्रांस का उपनिवेश स्थापना का प्रथम उद्देश्य डच एवं ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था। हिन्द चीन सुरक्षा की दृष्टि से भी फ्रांसीसियों के लिए उचित स्थान था। एक भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे। चीन में उनका व्यापारिक प्रतिद्वन्द्वी, मुख्य रूप से इंगलैड था। यहाँ खड़े होकर वे दोनों तरफ भारत एवं चीन की परिस्थितियों में संभल सकते थे। दूसरे, औद्योगिकीकरण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति उपनिवेशों से होती थी एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार भी उपलब्ध होता था। तीसरे, पिछड़े समाजों को समय बनाने का विकसित यूरोपीय राज्यों का स्वघोषित दायित्व था।
Q2: माई ली गाँव की घटना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : माई ली गाँव की घटना ऐसी घटना थी जो अमेरिकियों के लिए पूरे विश्व में दक्षिणी वियतनाम एक गाँव था जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गाँव को घेर कर पुरुषों को मार डाला, औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मार कर पूरे गाँव में आग लगा दी। लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा जिन्दा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया था।
माई ली गाँव की घटना का प्रभाव :
माई ली गाँव कि घटना अमेरिका के असली चेहरे को दुनिया से सामने रखने वाली घटना थी। इस घटना ने यह दिखाया की अमेरिका किस प्रकार से वियतमान युद्ध में मानव अधिकारों का हनन कर रहा है। इस घटना से अमेरिकी सेना की आलोचना पूरे विश्व में होने लगी। परिणाम स्वरूप विरोधी आंदोलन और तेजी पकड़ने लगीं। इसी दौरान राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की। इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। पुनः निक्सन ने आठ सूत्रीय योजना रखी। वियतनामियों के इसे भी खारिज कर दिया।
माई ली गाँव की घटना का प्रभाव :
माई ली गाँव कि घटना अमेरिका के असली चेहरे को दुनिया से सामने रखने वाली घटना थी। इस घटना ने यह दिखाया की अमेरिका किस प्रकार से वियतमान युद्ध में मानव अधिकारों का हनन कर रहा है। इस घटना से अमेरिकी सेना की आलोचना पूरे विश्व में होने लगी। परिणाम स्वरूप विरोधी आंदोलन और तेजी पकड़ने लगीं। इसी दौरान राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की। इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। पुनः निक्सन ने आठ सूत्रीय योजना रखी। वियतनामियों के इसे भी खारिज कर दिया।
Q3: राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द ने निम्नलिखित पाँचसूत्री योजना की घोषणा की
(1) हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथा स्थान पर रहें।
(2) युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
(3) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
(4) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलाने वाली घटनाओं तक।
(5) युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए।
इसका प्रभाव यह हुआ कि वियतनाम द्वारा इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिकी सेना पुनः बमबारी शुरू कर दी। लेकिन अमेरिका अब जान चुका था कि उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी ही पड़ेंगी। निक्सन ने पुनः आठसूत्री योजना रखी। वियतनामियों ने इसे खारिज कर दिया। अब अमेरिका चीन को अपने पक्ष में करने में लग गया। वियतनामियों को चीनी धोखों का अंदेशा होने लगा। 24 अक्टूबर, 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया परन्तु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए कहा।
वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बार इतने बम गिराए गए जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा ऑकी गई। हनोई भी इस बमबारी से ध्वस्त हो गया परन्तु वियतनामी डटे रहे। अंतत: 27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। समझौते की मुख्य बातें थीं-युद्ध समाप्त के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी। उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाह करने एकीकरण का मार्ग खोजेंगे। अमेरिका वियतनाम को असीमित आर्थिक सहायता देगा।
(1) हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथा स्थान पर रहें।
(2) युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
(3) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
(4) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलाने वाली घटनाओं तक।
(5) युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए।
इसका प्रभाव यह हुआ कि वियतनाम द्वारा इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिकी सेना पुनः बमबारी शुरू कर दी। लेकिन अमेरिका अब जान चुका था कि उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी ही पड़ेंगी। निक्सन ने पुनः आठसूत्री योजना रखी। वियतनामियों ने इसे खारिज कर दिया। अब अमेरिका चीन को अपने पक्ष में करने में लग गया। वियतनामियों को चीनी धोखों का अंदेशा होने लगा। 24 अक्टूबर, 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया परन्तु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए कहा।
वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बार इतने बम गिराए गए जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा ऑकी गई। हनोई भी इस बमबारी से ध्वस्त हो गया परन्तु वियतनामी डटे रहे। अंतत: 27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। समझौते की मुख्य बातें थीं-युद्ध समाप्त के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी। उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाह करने एकीकरण का मार्ग खोजेंगे। अमेरिका वियतनाम को असीमित आर्थिक सहायता देगा।
Q4: फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये साकारात्मक कार्यों की समीक्षा करें?
उत्तर : फ्रांसीसियों ने प्रारंभिक शोषण तो व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से शुरू किया। उसके बाद भीतरी ग्रामीण इलाको में किसानों का शोषण करना शुरू किया था। तोंकिन के जीवन का आधार लाल घाटी थी जबकि कम्बोडिया का मेकांग नदी का मैदानी क्षेत्र एवं कोचीन-चीन का मेकांग का डेल्टा क्षेत्र जबकि चीन से सटे राज्यों में खनिज संसाधन कोयला, टीन, जस्ता टंगस्टन, क्रोमियम आदि मिलते थे, पहाड़ी इलाकों में रबर की खेती होती थी तथा मैदानी क्षेत्र में धान की खेती होती थी। इन सभी इलाकों में फ्रांस नियंत्रण रखने लगा था।
फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कुछ सकरात्मक कार्य भी किए जिनकी चर्चा निम्न है-
(i) कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जलनिकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया। इन प्रयास का ही फल था कि 1931 ई. तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबर बगानों, खानों, फार्मों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था।
(ii) पूरे उत्तर से दक्षिण हिन्द चीन तक संरचनात्मक विकास जोरों पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क, सड़क जाल बिछ गया था। इसके माध्यम से कंचे माल को समुन्द्री तक पहुचते थे तथा अपने देश में बनाएं गए माल को हिन्द चीन में बेचने के लिए लाया करते थे।
(iii) जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी, परंतु इस क्षेत्र में बसने वाले , फ्रांसीसियों को शिक्षा के प्रसार के सकारात्मक प्रभावों का डर था। अत: आमलोगों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया जाने लगा और सकूल के अंतिम साल की परीक्षा में अधिकतर स्थानीय बच्चों को फेल कर दिया जाता था। स्थानीय जनता एवं कोलोनी की सामाजिक स्थिति में आसमान जमीन का अन्तर था और 1920 के दशक तक आते-आते छात्र-छात्राएँ राजनीतिक पार्टियाँ बनाने लगे थे। दनोई विश्वविद्यालय का बंद किया जाना फ्रांसीसी शोषण की पराकष्ठा थी।
फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कुछ सकरात्मक कार्य भी किए जिनकी चर्चा निम्न है-
(i) कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जलनिकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया। इन प्रयास का ही फल था कि 1931 ई. तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबर बगानों, खानों, फार्मों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था।
(ii) पूरे उत्तर से दक्षिण हिन्द चीन तक संरचनात्मक विकास जोरों पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क, सड़क जाल बिछ गया था। इसके माध्यम से कंचे माल को समुन्द्री तक पहुचते थे तथा अपने देश में बनाएं गए माल को हिन्द चीन में बेचने के लिए लाया करते थे।
(iii) जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी, परंतु इस क्षेत्र में बसने वाले , फ्रांसीसियों को शिक्षा के प्रसार के सकारात्मक प्रभावों का डर था। अत: आमलोगों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया जाने लगा और सकूल के अंतिम साल की परीक्षा में अधिकतर स्थानीय बच्चों को फेल कर दिया जाता था। स्थानीय जनता एवं कोलोनी की सामाजिक स्थिति में आसमान जमीन का अन्तर था और 1920 के दशक तक आते-आते छात्र-छात्राएँ राजनीतिक पार्टियाँ बनाने लगे थे। दनोई विश्वविद्यालय का बंद किया जाना फ्रांसीसी शोषण की पराकष्ठा थी।
Q5: हिन्द-चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
उत्तर : हिन्द चीन में राष्ट्रवाद के विकास में अनेक तत्वों का योगदान था। उनमे से कुछ का वर्णन निम्न है।
(1) फ्रांसीसियों द्वारा औपनिवेशक शोषण की नीतियाँ जिससे लोगों में असंतोष उत्पन्न हो रहा था। जो 20 वीं शताब्दी में स्पष्ट रूप से सामने आने लगा था।
(2) 1903 में ‘फान-बोई-चाऊ’ द्वारा ‘दुई तान होई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की गई। इसके नेता ‘कुआँग दें’ थे।
(3) इसी समय ‘फान-बोई-चाऊ’ द्वारा “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखी गई जिसने पूरे हिन्द-चीन में हलचल मचा दिया।
(4) जापान द्वारा 1905 में रूस को हराया जाना हिन्द-चीनियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया।
(5) रूसो तथा मांटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के विचार ने भी हिन्द चीनियों के लिए प्रेरणादायक बना और उनके राष्ट्रवाद को और बल दिया।
(6) राष्ट्रवादी नेता ‘फान-चू-त्रिन्ह’ ने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप की गणतंत्रवादी बनाने का प्रयत्न किया। जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र इसी तरह के विचारो के ही समर्थक थे। इन छात्रों ने ‘वियतनाम कुवान फुक होई’ (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना की।
(7) हिन्द-चीन में राष्ट्रवाद के विकास में प्रथम विश्व युद्ध की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। फ्रांस इन देशों से हजारों लोगों को सेना में भरती किया। युद्ध में इन्हे प्रथम पंक्ति में रखा जाता था। अतः मारे जाने वालों में हिन्दी-चीनी लोगों की संख्या ज्यादा थी। इन सब के प्रतिक्रिया स्वरूप 1914 देशभक्तों ने एक “वियतनामी राष्ट्रवादी दल” नामक सागठन बनाया।
(8) 1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने भी राष्टवाद के विकास में सहायक बनी। वस्तुओं के दामों में लगातार वृद्धि हो रही थी। लगातार बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही थी। दूसरी ओर लोग फ्रांसीसी सरकार की दमन चक्र से परेशान थे। इस स्थिति से परेशान लोग साम्यवाद को अपना रहे थे और उनमें राष्ट्रवादी भावना बढ़ती जा रही थी।
(1) फ्रांसीसियों द्वारा औपनिवेशक शोषण की नीतियाँ जिससे लोगों में असंतोष उत्पन्न हो रहा था। जो 20 वीं शताब्दी में स्पष्ट रूप से सामने आने लगा था।
(2) 1903 में ‘फान-बोई-चाऊ’ द्वारा ‘दुई तान होई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की गई। इसके नेता ‘कुआँग दें’ थे।
(3) इसी समय ‘फान-बोई-चाऊ’ द्वारा “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखी गई जिसने पूरे हिन्द-चीन में हलचल मचा दिया।
(4) जापान द्वारा 1905 में रूस को हराया जाना हिन्द-चीनियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया।
(5) रूसो तथा मांटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के विचार ने भी हिन्द चीनियों के लिए प्रेरणादायक बना और उनके राष्ट्रवाद को और बल दिया।
(6) राष्ट्रवादी नेता ‘फान-चू-त्रिन्ह’ ने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप की गणतंत्रवादी बनाने का प्रयत्न किया। जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र इसी तरह के विचारो के ही समर्थक थे। इन छात्रों ने ‘वियतनाम कुवान फुक होई’ (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना की।
(7) हिन्द-चीन में राष्ट्रवाद के विकास में प्रथम विश्व युद्ध की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। फ्रांस इन देशों से हजारों लोगों को सेना में भरती किया। युद्ध में इन्हे प्रथम पंक्ति में रखा जाता था। अतः मारे जाने वालों में हिन्दी-चीनी लोगों की संख्या ज्यादा थी। इन सब के प्रतिक्रिया स्वरूप 1914 देशभक्तों ने एक “वियतनामी राष्ट्रवादी दल” नामक सागठन बनाया।
(8) 1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने भी राष्टवाद के विकास में सहायक बनी। वस्तुओं के दामों में लगातार वृद्धि हो रही थी। लगातार बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही थी। दूसरी ओर लोग फ्रांसीसी सरकार की दमन चक्र से परेशान थे। इस स्थिति से परेशान लोग साम्यवाद को अपना रहे थे और उनमें राष्ट्रवादी भावना बढ़ती जा रही थी।
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नीचे आप सभी को बिहार बोर्ड कक्षा 10 के इतिहास के अध्याय 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन के सभी प्रश्नों का PDF link दिया जा रहा है। जिसे आप सभी छात्र बिल्कुल मुफ्त में Download कर सकते हैं।
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