दसवीं हिंदी पूरक पुस्तक वर्णिका भाग - 2 को कैसे पढ़ें
How to study Bihar Board 10th Hindi Varnika Smartly
यदि आप बिहार बोर्ड कक्षा 10 के विद्यार्थी हैं और वर्ष 2026 में मैट्रिक परीक्षा देने वाले हैं, तो हिन्दी विषय की तैयारी अन्य सभी विषयों की तरह मजबूत होना आवश्यक है। कक्षा 10 हिन्दी पाठ्यक्रम में दो पुस्तकों का अध्ययन करना होता है।
पहली मुख्य पुस्तक “गोधूली” है, जिसमें काव्य खंड और गद्य खंड के 12-12 अध्याय शामिल हैं। यदि आप इन अध्यायों के प्रश्न–उत्तर और व्याख्या देखना चाहते हैं, तो इस पोस्ट में आगे उनके समाधान लिंक उपलब्ध कराए गए हैं।
दूसरी पुस्तक “वर्णिका” एक पूरक पाठ्यपुस्तक है, जिसमें पाँच कहानियाँ शामिल हैं। ये कहानियाँ भारत की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं से ली गई हैं, जिनमें साहित्य के साथ-साथ उन क्षेत्रों के सामाजिक और सांस्कृतिक अनुभवों को भी प्रस्तुत किया गया है। वर्णिका परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वस्तुनिष्ठ तथा लिखित दोनों प्रकार के प्रश्न मैट्रिक परीक्षा में पूछे जाते हैं।
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि बिहार बोर्ड की हिन्दी पूरक पुस्तक “वर्णिका” का अध्ययन सही ढंग से कैसे किया जाए, ताकि विद्यार्थी साहित्यिक समझ के साथ-साथ भारत के विविध क्षेत्रों की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को भी अच्छी तरह समझ सकें।
दूसरी पुस्तक “वर्णिका” एक पूरक पाठ्यपुस्तक है, जिसमें पाँच कहानियाँ शामिल हैं। ये कहानियाँ भारत की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं से ली गई हैं, जिनमें साहित्य के साथ-साथ उन क्षेत्रों के सामाजिक और सांस्कृतिक अनुभवों को भी प्रस्तुत किया गया है। वर्णिका परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वस्तुनिष्ठ तथा लिखित दोनों प्रकार के प्रश्न मैट्रिक परीक्षा में पूछे जाते हैं।
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि बिहार बोर्ड की हिन्दी पूरक पुस्तक “वर्णिका” का अध्ययन सही ढंग से कैसे किया जाए, ताकि विद्यार्थी साहित्यिक समझ के साथ-साथ भारत के विविध क्षेत्रों की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को भी अच्छी तरह समझ सकें।
वर्णिका कक्षा - 10 में कौन-कौन से अध्याय हैं।
बिहार बोर्ड के कक्षा – 10 के हिंदी वर्णिका पुस्तक में पाँच अध्याय है। इन पाँचों अध्यायों का pdf तथा संक्षिप्त परिचय नीचे दिया जा रहा है।
क्रमांक | अध्याय |
---|---|
1 | दही वाले मगम्मा |
2 | ढहते विश्वास |
3 | माँ |
4 | नगर |
5 | धरती कब तक घूमेगी |
1. दही वाली मंगम्मा
“दही वाली मंगम्मा” कहानी के लेखक प्रसिद्ध कन्नड़ साहित्यकार मास्ती वेंकटेश अय्यंगार (मास्ती श्रीनिवास) हैं। इस कहानी का हिंदी अनुवाद बी. आर. नारायण ने किया है। यह कहानी मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखी गई।
सारांश :
यह कहानी मंगम्मा नामक महिला की है, जो एक साधारण ग्रामीण परिवार से संबंध रखती है और दही बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। मंगम्मा की बहू पारिवारिक कारोबार में दखल देना चाहती है, जिससे सास-बहू के बीच अधिकार को लेकर संघर्ष उत्पन्न होता है। दोनों की जिद के कारण घर का माहौल बिगड़ जाता है, परंतु समय के साथ दोनों अपने-अपने पक्ष को समझती हैं। कहानी में मंगम्मा का चरित्र एक सहनशील, समझदार और मेहनती महिला के रूप में चित्रित हुआ है, जो परिवार के लिए अपना अहं छोड़, परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेना जानती है। अंत में, आपसी समझ और प्रेम के कारण सास-बहू में सामंजस्य स्थापित हो जाता है तथा मँगम्मा अपने काम को बहू के हवाले कर देती है। इस कहानी से यह प्रेरणा मिलती है कि परिवार में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन धैर्य, त्याग और संवाद से हर समस्या का समाधान संभव है। यह कहानी भारतीय ग्रामीण परिवेश और महिला संघर्ष की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती है।
सारांश :
यह कहानी मंगम्मा नामक महिला की है, जो एक साधारण ग्रामीण परिवार से संबंध रखती है और दही बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। मंगम्मा की बहू पारिवारिक कारोबार में दखल देना चाहती है, जिससे सास-बहू के बीच अधिकार को लेकर संघर्ष उत्पन्न होता है। दोनों की जिद के कारण घर का माहौल बिगड़ जाता है, परंतु समय के साथ दोनों अपने-अपने पक्ष को समझती हैं। कहानी में मंगम्मा का चरित्र एक सहनशील, समझदार और मेहनती महिला के रूप में चित्रित हुआ है, जो परिवार के लिए अपना अहं छोड़, परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेना जानती है। अंत में, आपसी समझ और प्रेम के कारण सास-बहू में सामंजस्य स्थापित हो जाता है तथा मँगम्मा अपने काम को बहू के हवाले कर देती है। इस कहानी से यह प्रेरणा मिलती है कि परिवार में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन धैर्य, त्याग और संवाद से हर समस्या का समाधान संभव है। यह कहानी भारतीय ग्रामीण परिवेश और महिला संघर्ष की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती है।
2. ढहते विश्वास
‘ढहते विश्वास’ कहानी के लेखक सातकोड़ी हैं और उनका जन्म उड़ीसा में हुआ। यह कहानी उड़िया भाषा में लिखी गई थी, जिसे हिंदी में राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने अनुवाद किया। कहानी में उड़िया समाज और ग्रामीण जीवन दिखाया गया है।
संक्षेप में, कहानी समाज की वास्तविकता, संघर्ष और विश्वास की नाजुकता को सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करती है।
सारांश :
‘ढहते विश्वास’ कहानी उड़ीसा के ग्रामीण जीवन की त्रासद सच्चाई को उजागर करती है। प्रमुख पात्र लक्ष्मण और उसकी पत्नी लक्ष्मी हैं, जो बार-बार बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है—लक्ष्मण की मजदूरी में गुज़ारा नहीं होता, इसलिए लक्ष्मी तहसीलदार के घर काम करती है। लगातार विपत्तियों के बावजूद लोग देवी-देवताओं और सरकारी मदद पर भरोसा करते हैं, किन्तु जैसे ही बाढ़ का पानी गाँव में घुस आता है और बाँध टूट जाता है, लोगों का विश्वास डगमगाने लगता है। स्कूल और देवी स्थान जैसे शरण स्थल भी डूब जाते हैं। लक्ष्मी अपने बच्चों को लेकर पेड़ पर चढ़ जाती है, मगर उसकी गोद से उसका छोटा बेटा बिछुड़ जाता है। मुश्किल हालात में लक्ष्मी जब बच्चे की लाश से लिपट जाती है, तो उसे भी अहसास होता है कि उसका विश्वास अब टूट चुका है। कहानी का संदेश यही है कि बार-बार संकट और सहायता की उम्मीद में जब लोग ठगे जाते हैं, तो उनका विश्वास प्रथाओं, देवी–देवताओं और व्यवस्थाओं से डगमगा जाता है। यह कहानी मानव धैर्य, संघर्ष और टूटते विश्वास की गहरी संवेदना को उजागर करती है।
सारांश :
‘ढहते विश्वास’ कहानी उड़ीसा के ग्रामीण जीवन की त्रासद सच्चाई को उजागर करती है। प्रमुख पात्र लक्ष्मण और उसकी पत्नी लक्ष्मी हैं, जो बार-बार बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है—लक्ष्मण की मजदूरी में गुज़ारा नहीं होता, इसलिए लक्ष्मी तहसीलदार के घर काम करती है। लगातार विपत्तियों के बावजूद लोग देवी-देवताओं और सरकारी मदद पर भरोसा करते हैं, किन्तु जैसे ही बाढ़ का पानी गाँव में घुस आता है और बाँध टूट जाता है, लोगों का विश्वास डगमगाने लगता है। स्कूल और देवी स्थान जैसे शरण स्थल भी डूब जाते हैं। लक्ष्मी अपने बच्चों को लेकर पेड़ पर चढ़ जाती है, मगर उसकी गोद से उसका छोटा बेटा बिछुड़ जाता है। मुश्किल हालात में लक्ष्मी जब बच्चे की लाश से लिपट जाती है, तो उसे भी अहसास होता है कि उसका विश्वास अब टूट चुका है। कहानी का संदेश यही है कि बार-बार संकट और सहायता की उम्मीद में जब लोग ठगे जाते हैं, तो उनका विश्वास प्रथाओं, देवी–देवताओं और व्यवस्थाओं से डगमगा जाता है। यह कहानी मानव धैर्य, संघर्ष और टूटते विश्वास की गहरी संवेदना को उजागर करती है।
3. माँ
‘माँ’ कहानी के लेखक ईश्वर पेटलीकर हैं, जो गुजराती भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इसका हिंदी में अनुवाद गोपाल दास नागर ने किया है। यह कहानी गुजराती भाषा की है।
सारांश :
कहानी “माँ” मंगु नामक एक बच्चे के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। मंगु जन्मजात ही पागल और मूक है, जिससे उसके माता-पिता और परिवार को काफी चिंता रहती है। परिवार में अन्य सदस्य मौजूद हैं, लेकिन मंगु के प्रति माँ का स्नेह और लगाव सबसे अलग और गहरा है। माँ अपने बच्चे के प्रति असीम धैर्य और निस्वार्थ प्रेम दिखाती है। समाज में ऐसे बच्चों को लेकर कई तरह की आलोचनाएँ होती हैं, खासकर घर की बहुएँ मंगु की स्थिति पर सवाल उठाती हैं। लेकिन माँ अपने बच्चे की भलाई और सुख-संतोष के लिए समाज की बातों की परवाह किए बिना उसे सही इलाज दिलाने का निर्णय लेती है। वह अंततः मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए राजी हो जाती है। अस्पताल में मंगु का धीरे-धीरे स्वास्थ्य सुधरने लगता है। इस दौरान स्पष्ट होता है कि मंगु की सबसे बड़ी ताकत उसकी माँ का प्रेम और उसकी ममता है। माँ की चिंता, त्याग और अनमोल स्नेह के कारण ही मंगु अपने जीवन की कठिनाइयों से बाहर निकल पाता है। कहानी मातृत्व के प्रेम, त्याग, धैर्य और निस्वार्थ समर्पण को मार्मिक रूप में प्रस्तुत करती है। यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी माँ की ममता ही बच्चे के जीवन में सबसे बड़ा सहारा और शक्ति बनती है।
सारांश :
कहानी “माँ” मंगु नामक एक बच्चे के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। मंगु जन्मजात ही पागल और मूक है, जिससे उसके माता-पिता और परिवार को काफी चिंता रहती है। परिवार में अन्य सदस्य मौजूद हैं, लेकिन मंगु के प्रति माँ का स्नेह और लगाव सबसे अलग और गहरा है। माँ अपने बच्चे के प्रति असीम धैर्य और निस्वार्थ प्रेम दिखाती है। समाज में ऐसे बच्चों को लेकर कई तरह की आलोचनाएँ होती हैं, खासकर घर की बहुएँ मंगु की स्थिति पर सवाल उठाती हैं। लेकिन माँ अपने बच्चे की भलाई और सुख-संतोष के लिए समाज की बातों की परवाह किए बिना उसे सही इलाज दिलाने का निर्णय लेती है। वह अंततः मंगु को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए राजी हो जाती है। अस्पताल में मंगु का धीरे-धीरे स्वास्थ्य सुधरने लगता है। इस दौरान स्पष्ट होता है कि मंगु की सबसे बड़ी ताकत उसकी माँ का प्रेम और उसकी ममता है। माँ की चिंता, त्याग और अनमोल स्नेह के कारण ही मंगु अपने जीवन की कठिनाइयों से बाहर निकल पाता है। कहानी मातृत्व के प्रेम, त्याग, धैर्य और निस्वार्थ समर्पण को मार्मिक रूप में प्रस्तुत करती है। यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी माँ की ममता ही बच्चे के जीवन में सबसे बड़ा सहारा और शक्ति बनती है।
4. नगर
‘नगर’ कहानी के लेखक सुजाता हैं, जिनका असली नाम एस. रंगराजन है। वे तमिलनाडु के चेन्नई में 3 मई 1935 को जन्मे थे। यह कहानी मूल रूप से तमिल भाषा की है। हिंदी में इस कहानी का अनुवाद के.ए. जमुना ने किया है।
सारांश :
“नगर” कहानी शहरी जीवन की समस्याओं और असमानताओं पर व्यंग्य करती है। इसमें वल्ली अम्मल अपने बीमार बच्चे का इलाज कराने गांव से बड़े शहर मधुरई जाती है, क्योंकि गांव के डॉक्टर उसे ठीक तरह से इलाज नहीं दे पाते। शहर में भी उसे डॉक्टरों की बेरहमी, अस्पतालों की जटिलताएँ और बेईमानी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अंत में बच्चा स्वस्थ नहीं हो पाता। कहानी आधुनिक शहर की व्यवस्था, गरीबों के प्रति अनदेखी और सामाजिक असमानताओं को उजागर करती है। यह पाठकों को यह समझने और महसूस करने के लिए प्रेरित करती है कि गरीब और असहाय लोगों की कठिनाइयों के प्रति समाज में सहानुभूति और संवेदनशीलता होनी चाहिए।
सारांश :
“नगर” कहानी शहरी जीवन की समस्याओं और असमानताओं पर व्यंग्य करती है। इसमें वल्ली अम्मल अपने बीमार बच्चे का इलाज कराने गांव से बड़े शहर मधुरई जाती है, क्योंकि गांव के डॉक्टर उसे ठीक तरह से इलाज नहीं दे पाते। शहर में भी उसे डॉक्टरों की बेरहमी, अस्पतालों की जटिलताएँ और बेईमानी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अंत में बच्चा स्वस्थ नहीं हो पाता। कहानी आधुनिक शहर की व्यवस्था, गरीबों के प्रति अनदेखी और सामाजिक असमानताओं को उजागर करती है। यह पाठकों को यह समझने और महसूस करने के लिए प्रेरित करती है कि गरीब और असहाय लोगों की कठिनाइयों के प्रति समाज में सहानुभूति और संवेदनशीलता होनी चाहिए।
5. धरती कब तक घूमेगी
‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी के लेखक सावर दैया हैं, जो राजस्थानी भाषा के प्रमुख कहानीकार हैं। यह कहानी मूल रूप से राजस्थानी भाषा में लिखी गई है और इसका हिंदी अनुवाद भी स्वयं सावर दैया ने किया है।
सारांश :
कहानी का नायक पात्र सीता नामक महिला है, जो अपने पुत्रों और बहुओं के बीच पैदा हुए झगड़ों से परेशान है। उसके बेटे और बहुएं एक-दूसरे के प्रति कटुता और द्वेष बरतते हैं, जिससे परिवार में तनाव व्याप्त रहता है। सीता अपने पुराने दिनों को याद करती है, जब परिवार में शांति और प्रेम था। वह अपने जीवन के उन सुंदर पलों को सोचती है जब पति जीवित थे, और परिवार सद्भाव में था। वर्तमान स्थिति से निराश होकर, वह आकाश और धरती की ओर नजर उठाकर गहराई से सोचती है कि धरती कब तक घुमती रहेगी, अर्थात परिवार के सदस्यों के बीच यह कलह कब समाप्त होगी। कहानी का शीर्षक इसी प्रश्न को दर्शाता है। अंत में, यह कहानी हमें सामाजिक और पारिवारिक सद्भाव की महत्ता का एहसास कराती है और दिखाती है कि बिना प्रेम और समझदारी के जीवन अधूरा है। यह कहानी समाज की वास्तविक पीड़ा, पारिवारिक कलह और मनोवैज्ञानिक संघर्ष को बारीकी से दर्शाती है, जो पाठकों को संवेदनशील और सजग बनाती है
सारांश :
कहानी का नायक पात्र सीता नामक महिला है, जो अपने पुत्रों और बहुओं के बीच पैदा हुए झगड़ों से परेशान है। उसके बेटे और बहुएं एक-दूसरे के प्रति कटुता और द्वेष बरतते हैं, जिससे परिवार में तनाव व्याप्त रहता है। सीता अपने पुराने दिनों को याद करती है, जब परिवार में शांति और प्रेम था। वह अपने जीवन के उन सुंदर पलों को सोचती है जब पति जीवित थे, और परिवार सद्भाव में था। वर्तमान स्थिति से निराश होकर, वह आकाश और धरती की ओर नजर उठाकर गहराई से सोचती है कि धरती कब तक घुमती रहेगी, अर्थात परिवार के सदस्यों के बीच यह कलह कब समाप्त होगी। कहानी का शीर्षक इसी प्रश्न को दर्शाता है। अंत में, यह कहानी हमें सामाजिक और पारिवारिक सद्भाव की महत्ता का एहसास कराती है और दिखाती है कि बिना प्रेम और समझदारी के जीवन अधूरा है। यह कहानी समाज की वास्तविक पीड़ा, पारिवारिक कलह और मनोवैज्ञानिक संघर्ष को बारीकी से दर्शाती है, जो पाठकों को संवेदनशील और सजग बनाती है
दसवीं हिंदी वर्णिका के सभी अध्यायों को कैसे पढ़ें।
- वर्णिका के प्रत्येक अध्याय को स्वयं पढ़ें और किसी हिन्दी शिक्षक के माध्यम से समझें।
- किसी एक अध्याय को पढ़ने के बाद उसका सारांश स्वयं लिखें और ध्यानपूर्वक याद करें।
- उस अध्याय के प्रश्न-उत्तर लिखकर हल करें।
- अध्याय से जुड़े वस्तुनिष्ठ और लिखित प्रश्न समय-समय पर अभ्यास करें।
- बीच-बीच में हिन्दी मोक टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन और Revision करते रहें।
बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी वर्णिका की तैयारी कहाँ से करें।
बिहार बोर्ड कक्षा 10 की वर्णिका पुस्तक की तैयारी अब आसान और व्यवस्थित तरीके से की जा सकती है। आप स्वयं अध्याय पढ़कर, उसके सारांश लिखकर और प्रश्न-उत्तर हल करके तैयारी कर सकते हैं। इसके लिए उपरोक्त दिए गए tips का पालन करना बेहद उपयोगी है।
इसके अलावा, The Next Classes और BSEB Solution प्लेटफार्म पर भी आपकी तैयारी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करवाई जा सकती है। यहाँ आप पाठ्यक्रम को समझने के लिए 5 वीडियो के माध्यम से अध्ययन कर सकते हैं, साथ ही PDF और Varnika Solution के माध्यम से अभ्यास भी कर सकते हैं।
इस तरह, चाहे आप घर पर अकेले पढ़ना चाहें या किसी शिक्षक के मार्गदर्शन में, वर्णिका की तैयारी सभी छात्रों के लिए आसान, व्यवस्थित और प्रभावी बन जाती है। नियमित अभ्यास और वीडियो-पीडीएफ संसाधनों की मदद से आप अपनी परीक्षा की तैयारी पूरी तरह मजबूत कर सकते हैं।
इसके अलावा, The Next Classes और BSEB Solution प्लेटफार्म पर भी आपकी तैयारी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करवाई जा सकती है। यहाँ आप पाठ्यक्रम को समझने के लिए 5 वीडियो के माध्यम से अध्ययन कर सकते हैं, साथ ही PDF और Varnika Solution के माध्यम से अभ्यास भी कर सकते हैं।
इस तरह, चाहे आप घर पर अकेले पढ़ना चाहें या किसी शिक्षक के मार्गदर्शन में, वर्णिका की तैयारी सभी छात्रों के लिए आसान, व्यवस्थित और प्रभावी बन जाती है। नियमित अभ्यास और वीडियो-पीडीएफ संसाधनों की मदद से आप अपनी परीक्षा की तैयारी पूरी तरह मजबूत कर सकते हैं।
बिहार बोर्ड कक्षा - 10 हिंदी वर्णिका का समाधान। Ch - 1 से Ch - 5
यहाँ बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्दी – वर्णिका के सभी अध्यायों के अभ्यास प्रश्नों के समाधान, उनसे जुड़े वस्तुनिष्ठ प्रश्न तथा अति लघु उत्तरीय प्रश्न शामिल किए गए हैं। हर अध्याय का समाधान सरल, स्पष्ट और विद्यार्थियों की समझ के अनुरूप तैयार किया गया है।
सभी अध्याय तुरंत देखें और अध्ययन शुरू करें!
सभी अध्याय तुरंत देखें और अध्ययन शुरू करें!
क्रमांक | अध्याय |
---|---|
1 | दही वाले मगम्मा |
2 | ढहते विश्वास |
3 | माँ |
4 | नगर |
5 | धरती कब तक घूमेगी |
निष्कर्ष :
इस पोस्ट में हमने देखा कि बिहार बोर्ड कक्षा 10 के हिंदी वर्णिका पुस्तक में कितने अध्याय दिए है, इस पुस्तक से बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, वर्णिका पुस्तक को कैसे पढ़ना है, अपनी तैयार को कैसे बेहतर किया जा सकता है तथा आप वर्णिका पुस्तक को सबसे अच्छे तरीक़े से Source के साथ कहाँ से तैयार कर सकते हैं। सभी बिंदुओं पर विस्तृत और गहन चर्चा की। आशा है की ये आपको पसंद आया है। यदि इसके अतिरिक्त आपका कोई अन्य प्रश्न है तो हमसे संपर्क कर सकते हैं।
हम आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। संपर्क करें
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